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माल में विविधता का अभाव,भौगोलिक पहचान का लाभ न उठा पाने से चाय निर्यात मंदा : विशेष्ज्ञ

By भाषा | Updated: June 13, 2021 20:10 IST

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कोलकाता 13 जून चाय व्यापारियों और बागान मालिकों का मानना है कि उत्पाद में विविधता की कमी और विशिष्ट भौगोलिक पहचान फायदा न उठा पाने में विफलता जैसे कारणों से भारतीय चाय निर्यात में सुस्ती है।

उनका कहना है कि श्रीलंका विपणन का ठोस प्रयास कर भारत से आगे निकल रहा है।

भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने पीटीआई-भाषा से कहा,'' हमने दार्जिलिंग चाय की विशिष्ट भौगोलिक पहचान का इस्तेमाल कानून लड़ाई और खरीदारों को धमकाने में किया है जबकि समय की मांग कोलम्बियाई कॉफी की तर्ज पर धन लगा कर भारतीय चय को प्रोत्साहन देने की है।।"

उन्होंने कहा कि भारतीय सीटीसी चाय अफ़्रीकी चाय मुकाबले महंगी है। जिसके कारण निर्यात बाजार में भारत को 1.6 करोड़ किलो का नुकसान हुआ है।

भारतीय चाय संघ (आईटीए) के सचिव सुजीत पात्रा ने कहा कि निर्यात बाजार में भौगोलिक पहचान के नियम लागू कराना जरूरी है। लेकिन उतना ही जरूरी उन बाजारों में भारतीय चाय के लोगो का पंजीकरण कराया जाना और उसका प्रचार करना भी है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, "उदाहरण के तौर पर एक वर्ष में 85 लाख किलो दार्जलिंग चाय का उत्पादन होता है। लेकिन वैश्विक स्तर पर 5 करोड़ किलो चाय की बिक्री दार्जलिंग चाय के नाम से हो गयी। यह विशिष्ट भौलिक पहचान के नियम का उल्लघंन हैं। नियमों को सही तरह से लागू किया जाना चाहिए और विदेशों में प्रामाणिक दार्जिलिंग चाय की जांच के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है।"

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रमुख सलाहकार संदीप मुखर्जी ने कहा कि नेपाल की चाय भी घरेलू और अंतराष्ट्रीय बाजारों में दार्जलिंग चाय के नाम से बेची जा रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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