India-UAE FTA: प्लेटिनम, चांदी, हीरे, सोने के आभूषणों पर शुल्क कटौती की रियायत वापस लेने का सुझाव, घरेलू उद्योग को नुकसान!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 16, 2024 02:59 PM2024-08-16T14:59:32+5:302024-08-16T15:00:49+5:30
India-UAE FTA: आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है और यह एक मई 2022 को लागू किया गया।
India-UAE FTA: सरकार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीएफ) में प्लेटिनम, चांदी, हीरे, सोने के आभूषणों पर शुल्क कटौती की रियायत वापस लेने तथा इसके मूल्य संवर्धन नियमों में बदलाव पर ध्यान देना चाहिए। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने शुक्रवार को एक बयान में यह बात कही। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 18 फरवरी 2022 को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए थे। इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है और यह एक मई 2022 को लागू किया गया।
सरकार अब यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौते के कुछ प्रावधानों की समीक्षा पर विचार कर रही है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, इस समझौते में अगले कुछ वर्षों में भारत में शुल्क मुक्त सोना, चांदी, प्लैटिनम और हीरे के असीमित आयात का प्रावधान है और इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा।
जीटीआरआई ने आरोप लगाया कि समझौते में मूल नियमों का दुरुपयोग होने की आशंका है। इस कारण भारत को सीईपीए की समीक्षा करनी चाहिए। समझौते के तहत शुल्क रियायतें पाने के लिए इन नियमों को पूरा करना अनिवार्य है। शोध संस्थान ने कहा कि समीक्षा में भारत को ‘‘ प्लैटिनम, चांदी, हीरे और सोने के आभूषणों पर शुल्क कटौती वापस लेने, मूल्य संवर्धन नियमों को समायोजित करने (ताकि मूल नियमों में मूल्य संवर्धन गणना से लाभ मुनाफे को बाहर रखा जा सके) और सीईपीए लाभों का फायदा उठाने के लिए महंगे उत्पादों (चांदी की छड़ों) को सस्ते उत्पादों (चांदी के दानों) में बदलने पर प्रतिबंध लगाने’’ जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
जीटीआरआई ने सरकार से दुबई के रास्ते रूस से प्रतिबंधित धातुओं के आयात को रोकने तथा दुरुपयोग के कारण गिफ्ट सिटी बुलियन एक्सचेंज को दिए गए विशेषाधिकारों को रद्द करने को भी कहा। समीक्षा का मुख्य मकसद बड़े पैमाने पर बुलियन आयात में कमी लाना तथा दुबई से बुलियन आयात के दुरुपयोग को रोकने के लिए उत्पत्ति के नियमों को कड़ा करना होना चाहिए।
सुझावों पर जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने दुबई से प्लैटिनम की असीमित मात्रा पर शून्य शुल्क पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें शुल्क आज के पांच प्रतिशत से घटकर 2026 तक शून्य हो जाएगा। यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि डब्ल्यूसीओ (विश्व सीमा शुल्क संगठन) वर्गीकरण नियमों के अनुसार केवल दो प्रतिशत प्लैटिनम वाली किसी भी धातु को प्लैटिनम के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ कंपनियों ने प्लैटिनम का आयात करके इसका फायदा उठाया है, जिसमें वास्तव में 98 प्रतिशत सोना होता है।
इस खामी के कारण दुबई से बिना किसी शुल्क के असीमित सोने का आयात हो सकेगा, जिससे सीमा शुल्क राजस्व में भारी हानि होगी और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आएगी।’’ इसमें चांदी के संबंध में कहा गया कि भारत 2022 से 10 वर्षों में चांदी पर शुल्क को शून्य करने पर सहमत हो गया है तथा दुबई से आयात पर वर्तमान रियायती शुल्क आठ प्रतिशत है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ अगले कुछ वर्षों में शुल्क शून्य हो जाने के साथ, जब तक सीईपीए पर पुनः बातचीत नहीं की जाती, आयात में पुनः वृद्धि होने की संभावना है।’’ उन्होंने साथ ही कहा कि गिफ्ट सिटी एक्सचेंज में किए जाने वाले व्यापार में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे पूर्व-निर्धारित सौदों तथा ‘बिल’ में हेराफेरी को लेकर ‘‘गंभीर’’ चिंताएं उत्पन्न होती हैं।