दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना भारत, पहली तिमाही में 13.5 फीसदी रहा वृद्धि दर

By भाषा | Published: September 1, 2022 09:40 AM2022-09-01T09:40:10+5:302022-09-01T09:42:15+5:30

India is the world's fastest growing economy 13.5 percent growth in the first quarter | दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना भारत, पहली तिमाही में 13.5 फीसदी रहा वृद्धि दर

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना भारत, पहली तिमाही में 13.5 फीसदी रहा वृद्धि दर

Highlightsडेलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जहां नरमी के संकेत हैं वहीं उनकी तुलना में भारत की वृद्धि दर बेहतर है।विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से घटकर 4.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 49 प्रतिशत थी।बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में नरम पड़कर 4.5 प्रतिशत रही जो छह महीने में सबसे कम है।

नई दिल्ली: भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही जो पिछले एक साल में सबसे अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार ब्याज की बढ़ती लागत और विकसित देशों में मंदी की आशंका से आने वाली तिमाहियों में वृद्धि दर की गति धीमी पड़ने की आशंका है। 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष (2021-22) की अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडपी) की वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत रही थी। जनवरी-मार्च 2022 में यह 4.09 प्रतिशत रही थी। 

जीडीपी से आशय एक निश्चित अवधि (तिमाही या वित्त वर्ष) में देश की सीमा के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से है। यानी यह बताता है कि निश्चित अवधि में देश में कितने मूल्य का आर्थिक उत्पादन हुआ है। हालांकि, पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक के इस महीने की शुरुआत में जारी 16.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है। 

पहली तिमाही में वृद्धि को खपत से गति मिली है। इससे संकेत मिलता है कि खासकर सेवा क्षेत्र में घरेलू मांग पटरी पर आ रही है। महामारी के असर के कारण दो साल तक विभिन्न पाबंदियों के बाद अब खपत बढ़ती दिख रही है। लोग खर्च के लिये बाहर आ रहे हैं। सेवा क्षेत्र में तेजी देखी जा रही है और आने वाले महीनों में त्योहारों के दौरान इसे और गति मिलने की उम्मीद है। 

हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि धीमी पड़कर 4.8 प्रतिशत रही जो चिंता का कारण है। इसके अलावा निर्यात के मुकाबले आयात का अधिक होना भी चिंताजनक है। जीडीपी आंकड़ा बेहतर होने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर ध्यान दे सकेगा। खुदरा महंगाई दर अभी आरबीआई के संतोषजक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। 

अप्रैल-जून तिमाही की चीन की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी निवेश सालाना आधार पर 20.1 प्रतिशत बढ़ा। सरकारी खर्च इस दौरान 1.3 प्रतिशत जबकि निजी खपत 25.9 प्रतिशत बढ़ी है। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) इस साल अप्रैल-जून तिमाही में 12.7 प्रतिशत रहा। 

इसमें सेवा क्षेत्र में 17.6 प्रतिशत, उद्योग में 8.6 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कृषि क्षेत्र की जीवीए वृद्धि लू के रबी फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका को गलत साबित करती है। सकल मूल्य वर्धन यानी जीवीए देश की सीमा के भीतर निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को बताता है। इसमें उत्पाद के मूल्य में जो वृद्धि होती है, उसे लिया जाता है। 

;जीडीपी आंकड़ों के बारे में वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि भारत का जीडीपी अब महामारी-पूर्व स्तर से करीब चार प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल करने के रास्ते पर है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सकल स्थिर पूंजी निर्माण अप्रैल-जून में 34.7 प्रतिशत रही जो 10 साल में सबसे अधिक है। 

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि निश्चित रूप से जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर नरम पड़ेगी क्योंकि तुलनात्मक आधार अब सामान्य हो रहा है। यह आठ बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर के आंकड़ों से पता चलता है। बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में नरम पड़कर 4.5 प्रतिशत रही जो छह महीने में सबसे कम है। एक साल पहले इसी महीने में यह 9.9 प्रतिशत थी। 

आंकड़ों के अनुसार, आठ बुनियादी उद्योगों...कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली...की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में 11.5 प्रतिशत रही। एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में यह 21.4 प्रतिशत थी। नायर ने कहा, "हमारा अनुमान है कि एनएसओ के वित्त वर्ष 2022-23 में जीवीए वृद्धि दर 12.7 प्रतिशत रहने का अनुमान कुछ नीचे जाएगा। इसका कारण कृषि क्षेत्र की मौजूदा 4.5 प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान में कमी की आशंका है।" 

डेलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जहां नरमी के संकेत हैं वहीं उनकी तुलना में भारत की वृद्धि दर बेहतर है। "इससे वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ने और देश में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलनी चाहिए।" एनएसओ ने बयान में कहा, "स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी 2022-23 की पहली तिमाही में 36.85 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। यह एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 32.46 लाख करोड़ रुपए थी। इससे पता चलता है कि पहली तिमाही में इसमें 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है...।" 

वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद 2020 में अप्रैल-जून तिमाही में 27.03 लाख करोड़ रुपए था। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में इसमें 23.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आंकड़ों के अनुसार, सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) इस साल अप्रैल-जून तिमाही में 12.7 प्रतिशत बढ़कर 34.41 लाख करोड़ रुपए रहा। कृषि क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.2 प्रतिशत थी। 

हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से घटकर 4.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 49 प्रतिशत थी। एनएसओ के अनुसार, मौजूदा कीमत पर जीडीपी (नॉमिनल जीडीपी) 2022-23 की पहली तिमाही में 26.7 प्रतिशत बढ़कर 64.95 लाख करोड़ रुपए रही जो बीते वित्त वर्ष 2021-22 की इसी तिमाही में 51.27 लाख करोड़ रुपए थी। वित्त वर्ष 2021-22 में मौजूदा कीमत पर जीडीपी में 32.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

Web Title: India is the world's fastest growing economy 13.5 percent growth in the first quarter

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