सरकार जीएसटी राजस्व को लेकर 'चिंतित', राज्यों से मांगे कंपनसेशन सेस और रेवेन्यू बढ़ाने के सुझाव

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 4, 2019 10:17 AM2019-12-04T10:17:29+5:302019-12-04T10:20:35+5:30

GST Council: 18 दिसंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में राजस्व और कंपनसेशन सेस बढ़ाने पर होगा विचार

GST Council writes States and asks their suggestions on revenue and compensation cess augmentation | सरकार जीएसटी राजस्व को लेकर 'चिंतित', राज्यों से मांगे कंपनसेशन सेस और रेवेन्यू बढ़ाने के सुझाव

सरकार ने राज्यों से पूछे जीएसटी रेवेन्यू बढ़ाने के उपाय

Highlightsसरकार ने राज्यों से मांगी जीएसटी रेवेन्यू बढ़ाने की सलाहसरकार ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान कंपनसेशन सेस भी रहा हैह समस्या

राज्यों को कंपनसेशन देने में देरी और रेवेन्यू बढ़ाने के उपायों पर फोकस करने के उद्देश्य से जीएसटी काउंसिल ने राज्यों से कहा है कि वे जीएसटी रेवेन्यू और कंपनसेशन सेस बढ़ाने के लिए उपाय सुझाएं। राजस्व बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिए जीएसटी काउंसिल की 18 दिसंबर को बैठक होने वाली है। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टके मुताबिक, जीएसटी काउंसिल ने राज्यों को लिखे खत में कहा है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान जीएसटी और कंपनसेशन सेस कलेक्शन चिंता का विषय बन गया और कंपनसेशन की जरूरतों का पूरा किया जाना मुश्किल है। 

कंपनसेशन सेस से प्राप्त रेवेन्यू से ही राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई की जाती है।

राज्यों ने की कंपनसेशन मिलने में देरी कि शिकायत

वहीं राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन मिलने में होने वाली देरी को लेकर कुछ राज्यों के वित्तमंत्री बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बातचीत करेंगे।  

जीएसटी काउंसिल एक संवैधानिक निकाय है जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं और इसमें सभी राज्यों के वित्त/राजस्व और वित्त मंत्री शामिल होते हैं। यह गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिशें करता है।

जीएसटी ऐक्ट के मुताबिक, राज्यों को 14 प्रतिशत से कम की आय में कमी के लिए मुआवजे की गारंटी दी गई है। अगले पांच सालों के लिए (2022 तक) राज्यों को हर दो महीने में केंद्र द्वारा कंपनसेशन दिया जाना है। 

अगस्त-सितंबर के लिए जीएसटी राजस्व में कमी के लिए केंद्र ने पहले ही राज्यों को मुआवजा देने में देरी कर दी है, जिसका भुगतान अक्टूबर में होना था।

कम से कम पांच विपक्षी शासन वाले राज्यों/केंद्र प्रशासित प्रदेशों-केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब ने 20 नवंबर को इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था। 

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कंपनशेनल सेस में अप्रैल-नवंबर के दौरान 64528 करोड़ रुपये एकत्र किए और अप्रैल-जुलाई अवधि के लिए 45744 करोड़ रुपये का भुगतान किया। केंद्र ने 18784 करोड़ रुपये अपने पास रखे, जिसका मतलब है कि अगस्त-सितंबर महीने के लिए राज्यों को कोई भुगतान नहीं किया गया। 

अधिकारियों का कहना है कि राज्यों  का भुगतान संग्रह में कमी और इसके सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ने वाले प्रभावों के लिए रोका गया।

सरकार करेगी राजस्व बढ़ाने के लिए जीएसटी के कई मुद्दों पर पुनर्विचार

जीएसटी परिषद ने अब राज्यों से कहा है कि वे विभिन्न मदों पर छूट, जीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर दरों की समीक्षा, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के अनुरूप दरों को तय करने, अनुपालन और राजस्व बढ़ाने के उपायों के लिए 6 दिसंबर तक अपने इनपुट्स और प्रस्ताव दें।

साथ ही सरकार ने राज्यों से जीएसटी दरों को लेकर भी सुझाव मांगे हैं। सरकार ने पूछा है कि अभी जो वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं क्या उन्की भी समीक्षा की जानी चाहिए? साथ ही सरकार जीएसटी और कंपनसेशन रेट पर भी पुनर्विचार करने पर विचार कर रही है।

नवंबर में जीएसटी कलेक्शन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6 फीसदी बढ़कर 1.03 लाख करोड़ रुपये रहा। ये इस साल में चौथी बार है जब जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ को पार गया, ये जीएसटी लागू होन के बाद से तीसरा सर्वाधिक कलेक्शन भी है।

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