विदेशी मुद्रा भंडारः केंद्र सरकार को झटका, 542.021 अरब डॉलर रहा, जानिए क्या है कारण
By भाषा | Published: October 2, 2020 10:04 PM2020-10-02T22:04:09+5:302020-10-02T22:04:09+5:30
18 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.378 अरब डॉलर बढ़कर 545.038 अरब डॉलर रहा था। समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना है।
मुंबई/नई दिल्लीः देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 3.017 अरब डॉलर घटकर 542.021 अरब डॉलर रह गया। इससे पूर्व के हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहु्ंच गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार इस संबंध मं आंकड़े जारी किए। इससे पहले 18 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.378 अरब डॉलर बढ़कर 545.038 अरब डॉलर रहा था। समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना है।
यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम अंग होता है। इस दौरान एफसीए 1.523 अरब डॉलर घटकर 499.941 अरब डॉलर रह गया। रिजर्वबैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में देश का कुल स्वर्ण भंडार 1.441 अरब डॉलर कम होकर 35.999 अरब डॉलर रह गया।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) एक करोड़ डॉलर घटकर 1.472 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 4.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.608 अरब डॉलर रह गया।
सितंबर में निर्यात 5.27 प्रतिशत बढ़ा, व्यापार घाटा कम होकर 2.91 अरब डॉलर पर
देश के निर्यात में लगातार छह महीने की गिरावट पर विराम लग गया और सितंबर महीने में सालाना आधार पर यह 5.27 प्रतिशत बढ़कर 27.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान व्यापार घाटा कम होकर 2.91 अरब डॉलर पर आ गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार आलोच्य महीने में आयात 19.6 प्रतिशत घटकर 30.31 अरब डॉलर रहा। फलस्वरूप व्यापार घाटा 2.91 अरब डॉलर रह गया। व्यापार घाटा पिछले साल सितंबर में 11.67 अरब डॉलर और निर्यात 26.02 अरब डॉलर रहा था।
आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के दौरान निर्यात में 21.43 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह 125.06 अरब डॉलर रहा है। वहीं पहली छमाही में आयात 40.06 प्रतिशत घटकर 148.69 अरब डॉलर रहा है। सितंबर में जिन जिंसों के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है, उनमें लौह अयस्क 109.52 प्रतिशत, चावल 92.44 प्रतिशत, ऑयल मील 43.9 प्रतिशत, कालीन 42.89 प्रतिशत शामिल हैं। इसी तरह फार्मा निर्यात में 24.36 प्रतिशत, मांस, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 19.96 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
इस दौरान कपास/धागा/कपड़ा/मेडअप, हथकरघा उत्पादों में 14.82 प्रतिशत, तंबाकू का निर्यात 11.09 प्रतिशत, पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 4.17 प्रतिशत, इंजीनियरिंग सामान का 3.73 प्रतिशत, रसायन का 2.87 प्रतिशत और कॉफी का निर्यात 0.79 प्रतिशत बढ़ा। मंत्रालय ने कहा कि सितंबर में कच्चे तेल का आयात 35.92 प्रतिशत घटकर 5.82 अरब डॉलर रह गया। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कच्चे तेल का आयात 51.14 प्रतिशत घटकर 31.85 अरब डॉलर पर आ गया। आंकडों के अनुसार इस साल सितंबर में गैर-तेल आयात 14.41 प्रतिशत घटकर 24.48 अरब डॉलर रहा। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार पहली छमाही में गैर-तेल आयात 36.12 प्रतिशत घटकर 116.83 अरब डॉलर पर आ गया।
सितंबर में सोने के आयात में 52.85 प्रतिशत की गिरावट आई। कोविड-19 महामारी और वैश्विक मांग में नरमी के कारण निर्यात वृद्धि में मार्च महीने से गिरावट जारी थी। निर्यात आंकड़े के बारे में निर्यातकों का शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि 2020-21 में पहली बार मासिक निर्यात में सकारात्मक वृद्धि हुई है। यह पुनरूद्धार का संकेत है। ‘लॉकडाउन पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दिये जाने से कारोबारी धारणा सुधरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा दुनिया भर में चीन विरोधी धारणा की वजह से निर्यात में सुधार हुआ है। व्यापार गतिविधियां और आर्थिक धारणा वैश्विक स्तर पर सामान्य होने की दिशा में बढ़ रही हैं। निर्यातकों को दुनिया भर से आर्डर मिलने शुरू हो गये हैं....।’’ सर्राफ ने कहा कि चालू प्रवृत्ति जारी रही तो 2020-21 में निर्यात 290 से 300 अरब डॉलर के दायरे में रह सकता है।