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एक महीने में 8-10 रुपये किलो घटे खाद्य तेलों के दाम, आगे और नीचे आएंगे : उद्योग

By भाषा | Updated: December 11, 2021 18:45 IST

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नयी दिल्ली, 11 दिसंबर आयात शुल्क में कमी के कारण खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले एक महीने में 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। आने वाले महीनों में तिलहन के अधिक घरेलू उत्पादन और वैश्विक बाजारों में मंदी के रुख के कारण खाद्य तेलों के दाम 3-4 रुपये प्रति किलो और नीचे आ सकते हैं। उद्योग निकाय साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने यह जानकारी दी है।

एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा, ‘‘पाम, सोया और सूरजमुखी जैसे सभी तेलों की बहुत ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण पिछले कुछ महीने भारतीय खाद्य तेल उपभोक्ताओं के लिए काफी परेशानी भरे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि एसईए ने दिवाली से पहले अपने सदस्यों को कीमतों को यथासंभव कम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क भी कम कर दिया है।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘हमें इस बात की पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है कि कई उपायों के कारण पिछले 30 दिन में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है।’’

एसईए ने कहा कि उसके सदस्य उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ देने के लिए पूर्व में भी तुरंत कदम उठाते रहे हैं।

एसईए अध्यक्ष ने कहा कि उसके सदस्यों ने तेल की कम लागत का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए सहमति जताई है। हमें लगता है कि हमारे सदस्यों द्वारा निकट भविष्य में कीमतों में लगभग 3-4 रुपये प्रति किलोग्राम की और कमी की जाएगी। इससे हमारे खाद्य तेल उपभोक्ताओं को त्योहारी सीजन के दौरान राहत मिलनी चाहिये।

लगभग 120 लाख टन सोयाबीन की फसल और 80 लाख टन से अधिक मूंगफली की फसल के साथ चतुर्वेदी ने उम्मीद जताई कि खाद्य तेलों की कीमतें अब नियंत्रण में रहेंगी।

उन्होंने कहा कि सरसों तेल खली की इतनी अधिक मांग है कि किसानों को अच्छा दाम मिलने से आपूर्ति की स्थिति बेहतर हुई है और उन्होंने (किसानों ने) अब तक के सबसे अधिक रकबे (करीब 77.62 लाख हेक्टेयर) में सरसों की बुवाई की है। यह आंकड़ा पहले के मुकाबले लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा है और आने वाले वर्ष में घरेलू सरसों तेल की उपलब्धता आठ से 10 लाख टन तक बढ़ सकती है।

चतुर्वेदी ने कहा कि खाद्य तेल की कीमतों का वैश्विक रुख ‘अपेक्षाकृत मंदी वाला है और हमें लगता है कि कीमतों में गिरावट जारी रहेगी।’

एसईए के अनुसार, भारत की खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता लगभग 2.2-2.25 करोड़ टन की कुल खपत का लगभग 65 प्रतिशत है। मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए भारत 1.3-1.5 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात करता है।

पिछले दो विपणन वर्षों (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान महामारी के कारण, आयात घटकर लगभग 1.3 करोड़ टन रह गया है।

एसईए ने पिछले महीने कहा था, ‘‘वर्ष 2019-20 में आयात घटकर लगभग 71,600 करोड़ रुपये या 1.32 करोड़ टन तक नीचे चला गया था। वर्ष 2020-21 में भारत ने समान मात्रा में खाद्य तेलों का आयात किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ने के कारण आयात खर्च 63 प्रतिशत बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये के उच्चस्तर पर जा पहुंचा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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