Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री का जाना उद्योग जगत के लिए भारी झटका, जानिए बिजनेस की दुनिया में कैसे दी पारसी समुदाय को एक शानदार ऊंचाई

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 4, 2022 06:14 PM2022-09-04T18:14:04+5:302022-09-04T18:19:49+5:30

बिजनेस की दुनिया में अपना अलग रसूख रखने वाले साइरस मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को देश के जानेमाने पारसी परिवार पल्लोनजी मिस्त्री के यहां हुआ था। उनके पिता पल्लोनजी मिस्त्री का कंस्ट्रक्शन में बहुत बड़ा नाम था।

Cyrus Mistry's death is a huge setback for the industry, know how he gave Parsi community a great height in the world of business | Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री का जाना उद्योग जगत के लिए भारी झटका, जानिए बिजनेस की दुनिया में कैसे दी पारसी समुदाय को एक शानदार ऊंचाई

फाइल फोटो

Highlightsसाइरस मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को उद्योगपति पल्लोनजी मिस्त्री के यहां हुआ थासाइरस मिस्त्री 28 दिसंबर 2012 को रतन टाटा के बाद टाटा समूह के छठे अध्यक्ष बनाये गये थे अक्टूबर 2016 में टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री को अध्यक्ष पद से हटा दिया था

मुंबई: भारतीय उद्योग जगत को आज उस समय भारी झटका लगा जब 54 साल की उम्र में शापूरजी पल्लोनजी समूह के मुखिया और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। मिस्त्री के साथ यह हादसा तब हुआ, जब वो अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे।

साइरस की मर्सिडिज एसयूवी में ड्राइवर समेत कुल चार लोग सवार थे, जिसमें मिस्त्री समेत दो की मौत हो गई है, वहीं दो गंभीर रूप से घायल हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। आइये जानते हैं उस साइरस मिस्त्री के बारे में, जिन्होंने टाटा के बाद बिजनेस की दुनिया में पारसी समुदाय को एक शानदार ऊंचाई दी।

कौन थे साइरस मिस्त्री

बिजनेस की दुनिया में अपना अलग रसूख रखने वाले साइरस मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को देश के जानेमाने पारसी परिवार पल्लोनजी मिस्त्री  के यहां हुआ था। उनके पिता पल्लोनजी मिस्त्री का कंस्ट्रक्शन में बहुत बड़ा नाम था, जो बीते जून 2022 में दिवंगत हुए थे।

साइरस की शुरुआती शिक्षा मुंबई में कैथेड्रल एवं एंड जॉन कॉनन स्कूल में हुई। उसके बाद उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में भी मास्टर डिग्री ली और वे इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स के फेलो भी थे।

साइरस का परिवार

साइरस मिस्त्री पैट्सी पेरिन दुबाश और पल्लोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे हैं। साइरस मिस्त्री ने प्रसिद्ध वकील इकबाल छागला की बेटी और देश के प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, राजनयिक और कैबिनेट मंत्री रहे एमसी छागला की पोती रोहिका छागला से शादी की थी।

अपने पिता पल्लोनजी मिस्त्री की तरह साइरस मिस्त्री के पास भी आयरिश और भारतीय नागरिकता थी लेकिन वो स्थाई रूप से मुंबई के निवासी थे।

टाटा समूह के प्रमुख बनने और हटाये जाने की कहानी 

साइरस मिस्त्री, जिस शापूरजी पल्लोनजी मिस्त्री परिवार से हैं। उसकी टाटा समूह में सबसे बड़ी होल्डिंग हैं यानी शापूरजी पल्लोनजी कंपनी टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक है। साल 2006 में साइरस को टाटा समूह के निदेशक मंडल में शामिल किया गया। इसके साथ ही वो टाटा समूह की कई और कंपनियों जैसे जैसे टाटा संस तथा टाटा एलेक्सी (इंडिया) के निदेशक रहे।

मिस्त्री टाटा समूह के उस पांच सदस्यीय चयन समिति में भी शामिल किये गये थे, जिन्हें टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा के उत्तराधिकारी ढूंढने की जिम्मेदारी दी गई थी।

नवंबर 2011 में मिस्त्री को टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया था, जो कि रतन टाटा के बाद सीधे नंबर दो की पोजिशन थी। उसके बाद 28 दिसंबर 2012 को टाटा समूह के बोर्ड ने सर्वसम्मती से साइरस मिस्त्री को टाटा समूह का छठे अध्यक्ष बने।

लेकिन 24 अक्टूबर 2016 को अचानक टाटा समूह ने चेयरमैन के पद से साइरस मिस्त्री को हटा दिया गया था। रतन टाटा ने साइरस को पद से हटाने के बाद एक बार फिर टाटा समूह की कमान अपने हाथों में ले ली।

टाटा समूह ने जिस तरह से साइरस मिस्त्री को हटाया, उससे पूरा उद्योग जगत हैरान रह गया। आकिर टाटा समूह और रतन टाटा ने यह फैसला क्यों लिया, आज तक उस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई लेकिन माना जाता है कि वे टाटा समूह और खासकर रतन टाटा की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। केवल दबे-छुपे में यह बात सामने आई की साइरस मिस्त्री की अगुवाई में टाटा समूह को उम्मीदों के अनुरूप ग्रोथ नहीं मिल पाई।

साइरस मिस्त्री का शापूरजी पल्लोनजी समूह में योगदान

लंदन से शिक्षा लेकर साइरस मिस्त्री सीधे अपने पिता की स्थापित कंपनी शापूरजी पल्लोनजी से जुड़ गये। अपनी मेहनत और लगन के बल पर मिस्त्री कंपनी को एक नये मुकाम पर ले गये। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि साल 1991 के बाद शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप ने जिस नई ऊंचाई को छुआ, उसका सारा श्रेय साइरस मिस्त्री को जाता है। लगभग 23000 कर्मचारियों वाले शापूरजी पल्लोनजी समूह केवल भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया देशों में सफल कारोबार कर रही है। 

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