कोरोना वायरस संक्रमण और 21 दिन से जारी लॉकडाउन के बीच थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति में भारी कमी आई है। थोक वस्तुओं की मुद्रास्फीती फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले मार्च में गिरकर एक प्रतिशत पर आ गई है। इस साल जनवरी में थोक मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत थी। साल भर पहले यानी फरवरी 2019 में यह 2.93 प्रतिशत पर थी।
देश में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी से कमी आई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य मुद्रास्फीति मार्च में गिरकर 4.91 प्रतिशत रह गई, जबकि इससे पिछले महीने में यह 7.79 प्रतिशत थी। कोरोना वायरस महामारी के चलते 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन का असर इस महीने के दौरान आंकड़े जमा करने पर भी पड़ा।
सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च में गिरकर 11.90 प्रतिशत रह गई, जबकि इससे पिछले महीने में यह 29.97 प्रतिशत थी। हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा बना रहा। ईंधन और बिजली उत्पादों में 1.76 प्रतिशत की अवस्फीति देखने को मिली, जबकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में 0.34 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई।
सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण नवीनतम माह के लिए डब्ल्यूपीआई के प्रारंभिक आंकड़ों की गणना निम्न प्रतिक्रिया दर के आधार पर की गई है और आगे चल कर इन आंकड़ों में उल्लेखनीय परिवर्तन हो सकता है।
बता दें कि खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च महीने में पिछले माह के मुकाबले कम होकर 5.91 प्रतिशत पर आ गयी थी। इसी हफ्ते सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2020 में 6.58 प्रतिशत तथा पिछले साल मार्च में 2.86 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर इस साल मार्च में 8.76 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने 10.81 प्रतिशत थी।
(पीटीआई इनपुट)