भारतीय रिजर्व बैंक एक्शन में, 24 घंटे में दो बैंकों पर कार्रवाई, लक्ष्मी विलास के बाद इस बैंक पर पाबंदी, ग्राहक 6 माह तक नहीं निकाल पाएंगे पैसे
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 18, 2020 12:59 PM2020-11-18T12:59:07+5:302020-11-18T15:10:04+5:30
केंद्रीय बैंक ने बताया कि उसने इस बैंक को कुछ निर्देश दिए हैं, जो 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद से छह माह तक प्रभावी होंगे। इन निर्देशों के अनुसार, यह बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना कोई कर्ज या उधार नहीं दे सकेगा और न ही पुराने कर्जों का नवीनीकरण तथा कोई निवेश कर सकेगा।
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 24 घंटे में दो बैंकों पर एक्शन लिया है। निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक के बाद महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोआपरेटिव बैंक पर धन के भुगतान और कर्ज के लेन देन को लेकर छह माह के लिए पाबंदी लगा दी है।
केंद्रीय बैंक ने बताया कि उसने इस बैंक को कुछ निर्देश दिए हैं, जो 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद से छह माह तक प्रभावी होंगे। इन निर्देशों के अनुसार, यह बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना कोई कर्ज या उधार नहीं दे सकेगा और न ही पुराने कर्जों का नवीनीकरण तथा कोई निवेश कर सकेगा। बैंक पर नयी जमा राशि स्वीकार करने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है। वह कोई भुगतान भी नहीं कर सकेगा और ना ही भुगतान करने का कोई समझौता कर सकेगा।
यह भी पढ़ें - लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों की मिल सकती है राहत, ये प्लान दूर करेगा टेंशन!
निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिये पाबंदियां लगा दी
सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिये पाबंदियां लगा दी है। इसके तहत बैंक के खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेंगे। इसके साथ ही सरकार ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना की भी घोषणा की।
बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बैंक की ओर से विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना नहीं पेश करने की स्थिति में जमाधारकों के हित में यह फैसला किया गया है।
साथ ही बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का भी ख्याल रखा गया है। रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल को भी हटा दिया है और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरन को 30 दिनों के लिये उसका प्रशासक नियुक्त किया है।
यह कॉरपोरेटिव बैंक अब आरबीआई की लिखित में पूर्व अनुमति के बिना किसी भी लोन का नवीनीकरण नहीं कर सकता है और न ही नया लोन इशू कर सकता है, इसके अलावा वह कोई भी निवेश नहीं कर सकता है और वह कोई भी उधारी या फ्रेश डिपॉजिट नहीं ले सकता है।
शुश्रुति सौहार्द साहकार बैंक नियमित पर 20 लाख की मॉनिटर पेनॉल्टी
बैंक किसी भी प्रकार का भुगतान भी नहीं कर सकता है, आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक बैंक के किसी भी बचत खाते या चालू खाते या किसी भी प्रकार के अन्य खाते से किसी भी प्रकार की निकासी नहीं हो सकती है। आरबीआई ने एक और रिलीज जारी कर बेंगलुरु स्थित शुश्रुति सौहार्द साहकार बैंक नियमित पर 20 लाख की मॉनिटर पेनॉल्टी लगाया है।
यह जुर्माना नियामकीय शर्तों को पूरा नहीं करने की वजह से लगाया गया है. इसी तरह कर्नाटक के विजयपुरा में स्थित द डेक्कन अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर भी 1 लाख का जुर्माना लगाया गया है. यह जुर्माना उन निर्देशों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है जिसे आरबीआई ने इसके निदेशक को लोन एंड एडवांसेज पर रोक लगाने को लेकर जारी किया था।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगायी है। बयान में कहा गया है, ‘‘रिजर्व बैंक के परामर्श पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने आज (मंगलवार) से बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदियां लगायी हैं।’’ आदेश के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा।
इस बीच रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय की मसौदा योजना भी सार्वजनिक की है। आरबीआई ने कहा, ‘‘विलय योजना को मंजूरी मिलने पर इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में सिंगापुर का डीबीएस बैंक 2,500 करोड़ रुपये (46.3 करोड़ सिंगापुर डॉलर) लगायेगा।
इसका वित्त पोषण पूरी तरह से डीबीएस के मौजूदा संसाधनों से किया जायेगा।’’ यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है। यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगायी गयी थीं। सरकार ने तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मदद से यस बैंक को उबारा था। एसबीआई ने यस बैंक की 45 प्रतिशत हिस्सेदारी के बदले 7,250 करोड़ रुपये लगाया था।
(इनपुट एजेंसी)