जब विनोद खन्ना स्टारडम छोड़कर ओशो के चेले बन गए थे...
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: October 6, 2018 07:56 AM2018-10-06T07:56:25+5:302018-10-06T08:05:01+5:30
Vinod Khanna Birth Anniversary: विनोद खन्ना का आज जन्मदिन है अगर आज वो जिंदा होते तो अपना 72 वां जन्मदिन मना रहे होते। विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था।
भले ही विनोद खन्ना आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी स्टाइल और फिल्मों की वजह से वो हमेशा याद किए जाएंगे। अपने समय के सबसे हैंडसम एक्टर्स में से एक विनोद खन्ना का आज जन्मदिन है। अगर आज वो जिंदा होते तो अपना 72वां जन्मदिन मना रहे होते। विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। 27 अप्रैल 2017 को वे कैंसर की जंग से वो हार गए थे। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले विनोद खन्ना ने सुपरस्टार बनने के बाद अचानक से बॉलीवुड को बाय-बाय कह दिया था। आइये उनकी जयंती पर आपको बताते है कि आखिर क्यों उन्होंने फिल्मों से किनारा कर लिया था...
सुपरस्टार विनोद खन्ना को सबसे पहले सुनील दत्त ने फिल्म ‘मन का मीत’ (1968) में विलेन के रूप ब्रेक दिया था। पहली फिल्म उनकी ठीक-ठाक चली जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक 15 फिल्में साइन कर लीं थी। लेकिन गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ (1971) से विनोद खन्ना को अलग पहचान मिली। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा। विनोद खन्ना ने उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त जैसे कलाकारों के साथ कई मल्टीस्टारर फिल्मों में भी काम किया था।
आपको बता दें अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया। ‘हेराफेरी’, ‘खून पसीना’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी फ़िल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। फिल्मों में लगातार सफलता के बाद उन्होंने गीतांजलि से शादी कर ली। इस शादी से दोनों के दो बच्चे हैं - अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना।
विनोद खन्ना का जीवन एकदम खुशहाल चल रहा था लेकिन सक्सेस मिलने के बाद भी 1982 में विनोद खन्ना अचानक से अपने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गए थे और बॉलीवुड की चमकती दुनिया को उन्होंने अलविदा कह दिया था।
महेश भट्ट ने ओशो से मिलवाया
ये बात है सन 1979 की है, जब विनोद का मन फिल्मों से उखड़ने लगा था। इसी बीच फिल्म निर्देशक महेश भट्ट ने उन्हें पुणे में रजनीश से मिलाया था।धीरे-धीरे करके रजनीश के प्रवचनों का असर विनोद खन्ना पर पड़ना शुरू हो गया। इतना ही नहीं विनोद खन्ना अपने शूटिंग लोकेशंस पर रुद्राक्ष की माला पहन कर आने लगे थे और उनके कपड़ों का रंग भी भगवा हो गया था। उन्हें अपनी जिंदगी में एक खालीपन सा लगने लगा था। और फिर विनोद ने दौलत, शोहरत और आलीशान घर छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि भले ही उनके पास दौलत-शोहरत है लेकिन एक कमी से लगती है। इसी वजह से उन्होंने संन्यास का फैसला किया था और अमेरिका में आध्यात्मिक गुरु ओशो के आश्रम चले गए। अपने संन्यास लेने की बात उन्होंने खुद एक प्रेस कांफ्रेंस कर ये बात सबको बताई थी।उस वक़्त उन्होंने इस बात पर मुहर लगा दी कि वो इंडस्ट्री से संन्यास लेने वाले हैं। उनके इस प्रेस कांफ्रेंस में उनका पूरा परिवार मौजूद था। कहा जाता है की जीवन का सत्य जानने के लिए विनोद खन्ना ने अपना स्टारडम त्याग दिया था।
अचानक इस तरह से अपने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले जाने के कारण उनकी पहली पत्नी गीतांजली नाराज हुई और दोनों के बीच तलाक हो गया। लेकिन गीतांजली से तालाक के बाद साल 1990 में जब विनोद गृहस्थ जीवन में वापस आए तो विनोद ने कविता से शादी की। विनोद खन्ना अभिनेता होने के अलावा, निर्माता और सक्रिय राजनेता भी रहें। वह भाजपा के सदस्य थे और चुनाव भी जीते, वह मंत्री भी रहे। 27 अप्रैल 2017 को मुंबई में विनोद खन्ना ने आखिरी सांस ली।