Shikara Movie Review: कश्मीरी पंडितों के 30 साल पुराने दर्द को विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म‘शिकारा’के ज़रिये पर्दे पर बखूबी दिखाया , जानें क्या है फिल्म का रिव्यू

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 7, 2020 01:37 PM2020-02-07T13:37:26+5:302020-02-07T13:38:55+5:30

कश्मीरी पंडितो की कहानी को उम्दा तरीके से परदे पर उतारने में डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा कामयाब हुए है. आप उस दर्द को बखूबी समझ सकते हो. फिल्म में कश्मीरी पंडितों का दुख, सुख, प्यार और इमोशंस को पूरी ईमानदारी के साथ दिखाया गया है.

Vidhu Vinod Chopra Film Shikara Review | Shikara Movie Review: कश्मीरी पंडितों के 30 साल पुराने दर्द को विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म‘शिकारा’के ज़रिये पर्दे पर बखूबी दिखाया , जानें क्या है फिल्म का रिव्यू

Shikara Movie Review: कश्मीरी पंडितों के 30 साल पुराने दर्द को विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म‘शिकारा’के ज़रिये पर्दे पर बखूबी दिखाया , जानें क्या है फिल्म का रिव्यू

कलाकार: आदिल खान, सादिया, प्रियांशु चटर्जी

डायरेक्टर : विधु विनोद चोपड़ा

लेखक: राहुल पंडिता, अभिजात जोशी, विधु विनोद चोपड़ा

रेटिंग - 4/5

करीब 30 साल के बाद डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा कश्मीरी पंडितो के पलायन का दर्द बड़े पर्दे पर लाए हैं. आज फिल्म शिकारा रिलीज हो गई है.  कश्मीरी पंडितों की लाइफ पर बनी ये फिल्म आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगी. फिल्म की कहानी शिव और शांति के इर्द गिर्द घूमती हुई नजर आती है जो कश्मीर की खूबसूरत वादियों में एक सीधा साधा जीवन बीता रहे होते हैं. लेकिन इन दोनों के लाइफ में उस वक्त भूचाल मचता है जब इन्हें कश्मीर घाटी से बाहर अपना आशियाना छोड़कर रिफ्यूजी कैंप में जाना पड़ता है. आइये जानते है कैसा है फिल्म का रिव्यू- 

फिल्म की कहानी 

फिल्म की कहानी शिव प्रकाश धर (आदिल खान) और शांति सप्रू (सादिया)  दोनों कश्मीरी पंडित है. दोनों के बीच प्यार हो जाता है और  वो शादी कर लेते हैं. वो अपनी पहली रात डल झील में एक शिकारा में बिताते हैं, इसीलिए शांति अपने नए घर का नाम शिकारा रखती है. फिल्म में  शिव शान्ति के लिए कविताएं लिखता है. जो सुन ने में आपको बहुत खुबसूरत लगेंगी. दोनों अपनी छोटी से दुनिया में बहुत खुश थे. लेकिन दोनों की खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाती. 19 जनवरी 1990 की रात सबकुछ तबाह हो जाता है जब  लाखों कश्मीरी पंडितों को आतंक का शिकार होकर अपना घर छोड़ना पड़ा था. कश्मीरी पंडितों के घर जलने शुरू हो जाते हैं, उनकी हत्याएं होने लगती हैं और उन्हें कश्मीर छोड़ कर भागना पड़ता है और जम्मू में एक शरणार्थी कैम्प में अपना जीवन गुजारना पड़ता है. शिव और शान्ति को भी अपने शिकारा को छोड़कर जाना होता है. लेकिन ज़िन्दगी के सबसे मुश्किल दौर से गुज़रने के बाद भी दोनों के बीच प्यार कम नहीं होता. फिल्म में कश्मीरी पंडितो के पलायन के दर्द के साथ एक मजबूत और खूबसूरत प्रेम कहानी दिखाई गई है. 

एक्टिंग 

शिव के रूप में आदिल खान और  शांति के रूप सादिया की एक्टिंग जबरदस्त है.  पहली ही फिल्म में उन्होंने शानदार काम किया है. कश्मीरी पंडितो के दर्द और पीड़ा को दोनों ने परदे पर बखूबी उतारा है. दोनों की एक्टिंग बहुत ही नेचुरल और सिंपल. अपनी पहली ही फिल्म से दोनों आपको सादगी और एक्टिंग से इम्प्रेस करेंगे. एक छोटे से रोल में प्रियांशु चटर्जी ने अभी अच्छा काम किया है. 

डायरेक्शन एंड म्यूजिक 

कश्मीरी पंडितो की कहानी को उम्दा तरीके से परदे पर उतारने में डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा कामयाब हुए है. आप उस दर्द को बखूबी समझ सकते हो. फिल्म में  कश्मीरी पंडितों का दुख, सुख, प्यार और इमोशंस को पूरी ईमानदारी के साथ दिखाया गया है. रंगराजन रामभद्रन की सिनेमेटोग्राफी शानदार है. विधु की एडिटिंग भी काफी अच्छी है. हालाँकि फिल्म का म्यूजिक ज्यादा ख़ास नहीं है 

हमारी तरफ से फिल्म की 4 स्टार्स आउट ऑफ़ 5. 


 

Web Title: Vidhu Vinod Chopra Film Shikara Review

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