Stree Movie Review: हंसाने के साथ डराती भी है यह 'स्त्री'
By विवेक कुमार | Published: August 31, 2018 12:57 AM2018-08-31T00:57:24+5:302018-08-31T16:41:20+5:30
Stree Movie Review in Hindi: फिल्म 'स्त्री' में गाने कहीं भी जबरन ठूंसे नहीं गए हैं जो कि इस फिल्म की बेहद खास बात है। कमरिया, मिलेगी मिलेगी, आओ कभी हवेली पर, आपको पसंद आएंगे।
फिल्म – स्त्री
जॉनर – हॉरर कॉमेडी
कलाकार – राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर, पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना, अभिषेक बनर्जी
निर्देशक – अमर कौशिक
रेटिंग- 5/4
हमने अक्सर अपनी जिन्दगी में कभी न कभी भूत और चुड़ैल की कई कहानियां सुनी हैं लेकिन क्या हो जब ये कहानियां सिल्वर स्क्रीन पर नजर आए। जो आपको डराने के साथ-साथ हंसाए भी। बॉलीवुड में ऐसी बहुत कम फ़िल्में हैं जो आपको डराने के साथ हंसाती भी है। अमर कौशिक के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'स्त्री' की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जो कि डर और कॉमेडी का कॉकटेल है।
कहानी- इस फिल्म की कहानी की शुरुआत चंदेरी गांव से होती है। जहां एक 'स्त्री' का काला साया मंडराता है। गांव में इस स्त्री के भूत का खौफ इतना ज्यादा है कि घर के सभी दीवारों पर 'ओ स्त्री कल आना' लिखा होता है। गांव वालों का मानना है कि हर साल पूजा के अवसर पर ये स्त्री आती है और गांव के पुरषों को उठा ले जाती है। वहीं इस गांव में एक फेमस लेडिज टेलर विकी (राजकुमार राव) भी रहता है जिसे भूत और इन सब चीजों में विश्वास नहीं है। गांव में विकी के दो जिगरी दोस्त भी हैं बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और जनक (अभिषेक बनर्जी)। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब एक दिन विकी के जिन्दगी में अचानक श्रद्धा कपूर की एंट्री होती है। लेकिन श्रद्धा के आते ही गांव के आदमियों का गायब होने का सिलसिला शुरू हो जाता है। विकी के दोस्तों को शक है कि ये स्त्री(भूत) और कोई नहीं श्रद्धा कपूर ही है। ये शक और भी ज्यादा गहरा हो जाता है जब विकी का जिगरी दोस्त जनक, स्त्री का अगला शिकार बनता है। जिसके बाद शक की पूरी सूई श्रद्धा की तरफ जाती है। फिर शुरू होती है 'स्त्री' से छुटकारा पाने की खोज जिसमें विकी का साथ पंकज त्रिपाठी देते हैं। जिसके बाद कहानी कई ट्विस्ट और टर्न लेती है जो आपको डराती और गुदगुदाती है। लेकिन क्या विकी पूरे गांव को इस स्त्री के काले साए से बचा पाएगा? क्या उसका जिगरी दोस्त जनक वापस लौटेगा? क्या है श्रद्धा कपूर की असली हकीकत? आखिर क्यों भटकती है 'स्त्री' की आत्मा? इन तमाम सवालों के जवाब के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।
डायरेक्शन- अमर कौशिक ने 'स्त्री' के जरिए डायरेक्शन क्षेत्र में कदम रखा है। फिल्म को देखकर ऐसा कहीं भी नहीं लगता कि ये उनकी पहली फिल्म है। एक मंझे हुए डायरेक्टर की तरह से उन्होंने हॉरर और कॉमेडी का बैलेंस पूरी फिल्म में बनाए रखा है। जो कि काबिलेतारीफ है।
एक्टिंग- राजकुमार राव ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि उनके जैसा कोई नहीं है। सीरियस हो या कॉमेडी वो हर एक रोल में बिल्कुल फिट नजर आते हैं। पूरी फिल्म में उनके मजेदार डायलॉग्स बेहद कमाल के हैं। इस फिल्म में श्रद्धा की एक्टिंग भी दमदार नजर आई। पंकज त्रिपाठी के डायलॉग्स आपको गुदगुदाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे। अपारशक्ति खुराना, अभिषेक बनर्जी ने भी अपना बेस्ट परफॉरमेंस दिया है।
म्यूजिक- फिल्म 'स्त्री' में गाने कहीं भी जबरन ठूंसे नहीं गए हैं जो कि इस फिल्म की बेहद खास बात है। कमरिया, मिलेगी मिलेगी, आओ कभी हवेली पर, आपको पसंद आएंगे।
क्या है स्पेशल: फिल्म 'स्त्री' की कहानी बिल्कुल नई और अनोखी है जो आपको हंसाएगी भी और डराएगी भी। वहीं राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी की दमदार एक्टिंग इसे और भी ज्यादा स्पेशल बनाती है। फिल्म पूरी तरह से एंटरटेनिंग है।