शोभा डे ने फिल्म 'कबीर सिंह' पर एक बार फिर कसा तंज, कहा- 'अगर ऐसी फिल्में हिट हो रही हैं तो इसकी वजह भी हम ही तो हैं'
By ज्ञानेश चौहान | Published: January 24, 2020 08:44 PM2020-01-24T20:44:41+5:302020-01-24T20:44:41+5:30
उन्होंने कहा कि वह बदलाव का दौर था और पहली बार ऐसा हुआ कि हिंदी फिल्मों में अभिनेत्री को आधुनिका के तौर पर पेश किया गया। परवीन बॉबी और जीनत अमान ने यह किया।
अच्छी या बुरी जैसी भी फिल्में बनती हैं वे हमारे समाज का ही चेहरा दिखाती हैं। अगर आज कबीर सिंह जैसी फिल्मे हिट हो रही है तो यह हमारी वजह से ही हो रहा है और यह बताता है कि हम क्या देखना चाहते हैं। जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) के दूसरे दिन “शब्द, ध्वनि एवं छवि“ विषय पर आयोजित सत्र में लेखिका शोभा डे और अमित खन्ना ने पत्रकार कावेरी बामजई से बातचीत में यह बात कही।
शोभा डे ने कहा “अच्छी या बुरी जो भी फिल्म बनती है, वह हमारे समाज का चेहरा दिखाती है। कबीर सिंह जैसी फिल्म यदि हिट हो रही है तो यह हमारी वजह से ही हो रही है। यह बताती है कि हम क्या देखना चाहते है।‘ शोभा डे ने सत्तर के दशक को बदलाव का दौर बताया।
उन्होंने कहा कि वह बदलाव का दौर था और पहली बार ऐसा हुआ कि हिंदी फिल्मों में अभिनेत्री को आधुनिका के तौर पर पेश किया गया। परवीन बॉबी और जीनत अमान ने यह किया। इससे पहले आधुनिक होने का मतलब वैंप (खलनायिका) होना होता था।
सत्र के दौरान फिल्मकार अमित खन्ना ने कहा कि मीडिया में जितना लोकतंत्र इस समय है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आज मीडिया और विषेशकर सोशल मीडिया पर लोग खुल कर अपनी बात कहते है। आपस में संवाद करते है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया सामाजिक संवाद के लिए था, लेकिन इस पर बौद्धिक संवाद भी हो रहा है जो यह बताता है कि देश क्या सोच रहा है।
उन्होंने आज फिल्म इंडस्ट्री में आपस में हो रहे विवादों का कारण ‘‘संवादहीनता’’ को बताया। फिल्मकार ने कहा कि पुराने दौर में अभिनेताओं के बीच संवाद कायम रहता था। दिलीप कुमार, राजकुमार और देव आनंद जैसे शीर्ष के अभिनेताओं के बीच न केवल संवाद रहता था बल्कि वे मिलते-जुलते भी थे।