‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री के डायरेक्टर आनंद पटवर्धन ने अयोध्या मामले पर तोड़ी चुप्पी, फैसले को बताया निराशाजनक
By ज्ञानेश चौहान | Published: November 11, 2019 08:35 PM2019-11-11T20:35:20+5:302019-11-11T20:35:20+5:30
पटवर्धन ‘राम के नाम’ के निर्माण के दौरान 1990 में अयोध्या गए थे। वृत्तचित्र में बाबरी मस्जिद के स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए छेड़ी गई मुहिम और इससे भड़की हिंसा को दर्शाया गया है।
प्रसिद्ध वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) ‘राम के नाम’ के निर्देशक आनंद पटवर्धन अयोध्या मामले पर सुनाए उच्चतम न्यायालय के फैसले से ‘‘बेहद निराश’’ हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था।
इसके अलावा पीठ ने अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का केंद्र को निर्देश दिया था। पटवर्धन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले से बेहद निराश और स्तब्ध हूं।’’
पटवर्धन ‘राम के नाम’ के निर्माण के दौरान 1990 में अयोध्या गए थे। वृत्तचित्र में बाबरी मस्जिद के स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए छेड़ी गई मुहिम और इससे भड़की हिंसा को दर्शाया गया है। पटवर्धन ने दावा किया, ‘‘ बाबरी मस्जिद को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया था। यह केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि हिंदुओं की भी थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ उसे तोड़ने वाले नेता कभी जेल नहीं गए। इसकी बजाय उन्हें सम्मानित किया गया। धर्मनिरपेक्ष भारत का निर्माण तभी हो सकता है जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए मूल्यों को फिर से अपनाएं।’’ पटवर्धन ने 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथ यात्रा पर भी वृत्तचित्र बनाया था।