B'day Special: एक्टर बनने के लिए बेच दी थी पिता की दी हुई घड़ी, ऐसी रही है 'जुबली कुमार' की जिन्दगी
By विवेक कुमार | Published: July 20, 2018 08:38 AM2018-07-20T08:38:54+5:302018-07-20T12:25:39+5:30
राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब मुंबई के सभी दस सिनेमाघरों में उनकी ही फ़िल्में लगीं।
बॉलीवुड में 'जुबली कुमार' के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार का आज 89वां जन्मदिन है। राजेंद्र कुमार ने कई सुपरहिट फिल्मों में दमदार अभिनय किया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। राजेंद्र कुमार को अपनी करियर के शुरूआती दौर में बहुत संघर्ष करना पड़ा था।
पिता की दी घड़ी बेचकर पहुंचे थे मुंबई
20 जुलाई 1929 को पंजाब के सिलाकोट में एक मध्य वर्गीय परिवार में जन्में राजेंद्र कुमार अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। अपने पिता की दी हुई घड़ी बेचकर वह मुंबई पहुंचे। घड़ी बेचकर उन्हें केवल 63 रुपये मिले थे जिसमे से 13 रुपये का उन्होंने फ्रंटियर रेल का टिकट खरीदा और मात्र 50 रुपये लेकर अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई पहुंच गए।
मुंबई आए फिल्मों में काम नहीं मिल सका उस दौरान गीतकार राजेंद्र कृष्ण की मदद से राजेंद्र कुमार को 150 रुपये मासिक वेतन पर निर्माता निर्देशक एच.एस. रवेल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने का मौका मिला। उसके बाद 1950 में फिल्म 'जोगन' में राजेंद्र कुमार को काम करने का अवसर मिला। फिल्म जोगन के बाद भी राजेंद्र कुमार ने कई फिल्मों में काम किया लेकिन कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। लेकिन फिर भी वह फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे।
1959 में फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' में बतौर अभिनेता काम किया। यह फिल्म उनके सिने करियर की सबसे हिट फिल्म साबित हुई। वहीं उसके बाद 1963 में प्रदर्शित फिल्म 'मेरे मेहबूब' से राजेंद्र कुमार शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचे।
ऐसे बने राजेंद्र कुमार से 'जुबली कुमार'
वर्ष 1963 से 1966 के बीच राजेंद्र कुमार बुलंदियों पर थे उनकी लगातार छह फ़िल्में हिट रहीं जिनमे 'मेरे मेहबूब', 'जिंदगी', 'संगम' और 'आई मिलन की बेला' जैसी फ़िल्में शामिल हैं जिनका बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन रहा। राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब मुंबई के सभी दस सिनेमाघरों में उनकी ही फ़िल्में लगीं और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली भी मनाई जिसके चलते उनके प्रशंसकों ने उनका नाम ही जुबली कुमार रख दिया।
अपने बेटे कुमार गौरव को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए उन्होंने फिल्म 'लव स्टोरी' का निर्माण और निर्देशन किया। जिसने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी भी हासिल की। उसके बाद उन्होंने कुमार गौरव के करियर को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म 'नाम' का निर्माण किया जिसमे कुमार गौरव के साथ संजय दत्त भी थे। फिल्म सफल रही लेकिन फिल्म की सफलता का सारा श्रेय संजय दत्त ले गए।
राजेंद्र कुमार ने उसके बाद एक और फिल्म 'फूल' का निर्माण भी किया जो बुरी तरह पिट गई और कुमार गौरव के फ़िल्मी करियर पर भी विराम लग गया। अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में राज करने वाले राजेंद्र कुमार 12 जुलाई 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।