राज कुमार पुण्यतिथि: आवाज ही पहचान थी लेकिन अंत समय में जिंदगी ने किया ये क्रूर मजाक

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 3, 2018 06:44 AM2018-07-03T06:44:03+5:302018-07-03T06:44:03+5:30

फिल्मों में आने से पहले राज कुमार बॉम्बे पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर नौकरी कर चुके थे।

raj kumar death anniversary special actor know for his voice lost it in last phase of life | राज कुमार पुण्यतिथि: आवाज ही पहचान थी लेकिन अंत समय में जिंदगी ने किया ये क्रूर मजाक

राज कुमार पुण्यतिथि: आवाज ही पहचान थी लेकिन अंत समय में जिंदगी ने किया ये क्रूर मजाक

वक़ार अहमद

स्क्रीन प्रजेंस जिनकी कमाल की, डायलॉग डिलीवरी के बादशाह इनका नाम है राज कुमार। जी हाँ यह दास्तान है लीजेंडरी एक्टर राज कुमार की जिनका जन्म हुआ 8 अक्टूबर 1926 को। एक कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मे राज कुमार का असली नाम था कुलभूषण पंडित। फिल्मों में आने से पहले राज कुमार मुंबई पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर काम कर चुके थे। वाकई यह दास्ताँ गवाही देती है कि कैसे एक पुलिसवाला पहुंचा फिल्मों की आलीशान दुनिया में। 

किस्सा कुछ यूं था कि राज कुमार के एक अच्छे दोस्त ने उन्हें फिल्मों में आने के लिए दबाव डाला जबकि राज कुमार को फिल्मों में कोई खास रुचि नहीं थी। राज कुमार के दोस्त ने उनके फोटोग्राफ्स एक प्रोडूसर को भेज दिए फिर क्या था राज कुमार को बुलाया गया और फिर 1952 में उन्हें रंगीली फिल्म मैं मौका दिया गया। 

तब भी यह तय नहीं था की यह छोटी सी चिंगारी आगे जा कर एक ज्वालामुखी का रूप ले लेगी और राज कुमार एक लीजेंडरी एक्टर बन जायेंगे। उसके बाद तो  एक के बाद एक लगातार राज कुमार ने कई फिल्में की आबशार, घमंड, लाखों में एक, और 1957 में सोहराब मोदी साहब की फिल्म नौशेरवा-ए-आदिल में प्रिंस नौशहज़ाद के किरदार से इन्हें मक़बूलियत हासिल हुई। 

उसके बाद फिल्म मदर इंडिया ने राज कुमार को एक नयी पहचान दी थी। हालांकी इस कल्ट फिल्म में उनका किरदार ज़रा मुख़्तसर सा था। राज कुमार की लम्बाई तकरीबन 6 फ़ीट थी और उनकी आवाज़ में गज़ब दमखम था। वह बड़े से बड़े हीरो को हिला के रख सकते थे। और उन्होंने हीरो शब्दों के मायने ही बदल दिए। इनके चेहरे पे रोमांस नज़र आता था। मगर एक अलग रौशनी के साथ....  

वह कभी भी कमज़ोर नहीं दिखते थे और जज़्बाती किरदार भी वह ऐसे निभाते थे के देखने वालो को भी जज़्बाती कर देते थे । बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा के साथ इनकी खासी दोस्ती रही और उनकी सदाबहार फिल्म वक़्त को कौन भूल सकता है। जिसमें राज कुमार ने राजा का किरदार ऐसे निभाया की चिनॉय सेठ आज भी अपने घर के शीशे बचा के रखता है। राज कुमार ने बदलते वक़्त के नए एक्टर्स के साथ भी काफी काम किया चाहे वह गोविंदा हो या नाना पाटेकर। 

यह बात हैरान करती है जिस आदमी की आवाज़ ने ही उन्हें जिस बुलंदी पर पहुंचायी। उसी आवाज़ ने उनका साथ छोड़ दिया। जिंदगी का इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है कि जिस अभिनेता को ताउम्र उसकी आवाज के वजह से चाहा और सराहा गया अंत समय में उसके लिए बोलना मुहाल हो गया। जी हाँ, जीवन के आखिरी सालों में राज कुमार को गले का कैंसर हो गया था जिसकी वजह से उनकी आवाज़ इतने धीरे निकलती थी कि उनको सुनने के लिये बहुत नज़दीक जाना होता था। 3 जुलाई 1996 को इस महान अभिनेता ने आखिरी साँसे ली। यकीनन भारतीय सिनेमा के इतिहास में राज कुमार जैसा अभिनेता न कोई था न कोई होगा। 

लोकमत न्यूज़ हिंदी राज कुमार साहब और उनकी उम्दा अदाकारी को तहे-दिल से सलाम करता है। 

(वक़ार अहमद लोकमत न्यूज में सीनियर मैनेजर वीडियो कंटेट हैं।)

Web Title: raj kumar death anniversary special actor know for his voice lost it in last phase of life

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