'आजकल सिनेमा, टेलीविजन में अंतर नहीं रह गया है'

By IANS | Published: February 18, 2018 07:01 PM2018-02-18T19:01:45+5:302018-02-18T19:02:08+5:30

आठ वर्ष तक टेलीविजन का हिस्सा रहे अभिनेता अंशुमन झा ने दिबाकर बनर्जी की 'लव सेक्स और धोखा' के साथ बड़े पर्दे पर कदम रखा और 'चौरंगा' और 'ये है बरकपुर' जैसी फिल्मों से प्रशंसा प्राप्त की। 

Nowadays there is no difference between cinema, television | 'आजकल सिनेमा, टेलीविजन में अंतर नहीं रह गया है'

'आजकल सिनेमा, टेलीविजन में अंतर नहीं रह गया है'

मुंबई, 18 फरवरी: आठ वर्ष तक टेलीविजन का हिस्सा रहे अभिनेता अंशुमन झा ने दिबाकर बनर्जी की 'लव सेक्स और धोखा' के साथ बड़े पर्दे पर कदम रखा और 'चौरंगा' और 'ये है बरकपुर' जैसी फिल्मों से प्रशंसा प्राप्त की। 

अब आयुष्मान वेब श्रृंखलाओं की दुनिया में कदम रख रहे हैं। वह टेलीविजन शो भी करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनका मानना है कि माध्यम कोई बाधा नहीं है। नई वेब श्रृंखला 'बब्बर का टब्बर' दिल्ली की पृष्ठभूमि पर है। इस शो की कुल 24 कड़ियां हैं।

उन्होंने कहा, "यह पूर्वी दिल्ली की पृष्ठभूमि पर है, जहां जामिया नामक एक किराएदार है, जो मेरा किरदार है, और बब्बर परिवार के परछट्टी (टेरेस रूम) में रहता है और उन्हें दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को अपने तरीके से हल करने के लिए जाना जाता है।"

लंबे समय तक इस माध्यम का इंतजार करने के बारे में पूछे जाने पर अंशुमन ने कहा, "मैं कहूंगा कि आज के समय में सिनेमा और टेलीविजन के बीच कोई अंतर नहीं है। यहां तक कि एचबीओ के लिए मेरिल स्ट्रीप भी 'बिग लिटिल लाइज' कर रहे हैं। मुझे टीवी में भी काम करना अच्छा लगता है, अगर स्क्रिप्ट चुनौतीपूर्ण है तो।" अंशुमन इससे पहले टेलीविजन के कई धारावाहिकों में काम करने से इंकार कर चुके हैं।

उन्होंने कहा, "मैं इससे पहले दो वेब शो के लिए इंकार कर चुका हूं, लेकिन इससे मैं काफी प्रभावित हुआ। यह दो चैनलों के साथ नए चैनल जी 5 के लॉन्च प्रोग्राम का एकमात्र शो है। इसमें कुल 24 एपिसोड हैं। सीजन वन में केवल 12 एपिसोड या उससे कम हैं।"

उन्होंने कहा, "इन वर्षो में टेलीविजन से दूर रहा और अब तक डिजिटल से भी इंकार करता रहा। इसकी पटकथा और इसका किरदार कुछ इस कदर था, जिसे मैं मना नहीं कर सकता था।" अंशुमन के लिए यह वर्ष बेहद व्यस्त है।

उन्होंने कहा, "हां, जब आप मुंबई फिल्म उद्योग के बाहर के हैं तो गुणवत्तापूर्ण काम करने के लिए संघर्ष करना कठिन हो जाता है, लेकिन मैं इसके लिए दृढ़ हूं। क्योंकि मेरा मानना है कि कड़ी मेहनत रंग लाती है।"

Web Title: Nowadays there is no difference between cinema, television

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