Nanu Ki Jaanu Review: अभय देओल और पत्रलेखा की प्रतिभा का सत्यानाश

By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 20, 2018 04:44 AM2018-04-20T04:44:31+5:302018-04-20T04:46:04+5:30

'नानू की जानू' अभय देओल समेत कुछ बेहतर कलाकारों और एक अच्छे निर्देशक की प्रतिभा के दुरुपयोग वाली फिल्म है। हरियाणवी डांसर सपना चौधरी का डांस इस पूरी फिल्म पर भारी है।

Nanu Ki Jaanu Review: Faraz Haider misuses Abhay Deol Patralekhaa Sapna Chaudhary tallents | Nanu Ki Jaanu Review: अभय देओल और पत्रलेखा की प्रतिभा का सत्यानाश

nanu ki jaanu review in hindi

नानू की जानू
रेटिंगः 1/2* (आधा स्टार)
निर्देशकः फराज हैदर
कलाकारः अभय देओल, पत्रलेखा, राजेश शर्मा, ब्रिजेंद्र काला, मनोज पहवा और मनु ऋषि चड्ढा
लेखकः मनु ऋषि चड्ढा

अभय देओल, पत्रलेखा, राजेश शर्मा, ब्रिजेंद्र काला और मनोज पहवा जैसे प्रतिभावान कलाकारों को 'नानू की जानू' जैसी फिल्मों का हिस्सा होना निराश करता है। सपना चौधरी की प्रतिभा का दुरुपयोग हताश करता है। 'नानू की जानू' एक लचर पटकथा और सुस्त निर्देशन की आदर्श फिल्म है। 'ओए लक्की, लक्की ओए', 'वार छोड़ ना यार' जैसी कसी हुई फिल्में बनाने वाले निर्देशक फराज हैदर, लगता है किसी मजबूरी में यह फिल्म बना बैठे हैं।

16 साल एक्टिंग के बाद फिल्म राइटिंग में डेब्‍यू करने वाले मनु ऋषि चड्ढा ने एक कंफ्यूज फिल्म लिखने मिसाल पेश की है। फिल्म एक दृश्य के बाद दूसरे दृश्य के लिए मुंह ताकती नजर आती है। क्लाइमेक्स तक जाते-जाते फिल्म रोड सेफ्टी जैसे जरूरी विषय की इतनी सतही प्रस्तुति देखकर दर्शक ठगे जाने की बाद वाली हंसी हंसते हैं।

उलझी हुई 'नानू की जानू' कभी भूतिया व डरावनी, तो कभी कॉमेडी, तो कभी मर्डर मिस्ट्री और कभी सामाजिक संदेश देने लगती है। ट्रेलर या इसकी कहानी पढ़ने और सुनने में भले विविधता भरी रोचक जान पड़े, पर पर्दे ऐसा कमजोर दृश्यांकन किया गया है कि फिल्म देखना समय और पैसे की बर्बादी होगा। हां, अगर आपके पास अतिरिक्त समय और पैसे हों और आप अभय देओल के फैन हों तो यह फिल्म झेल सकते हैं।

नानू की जानू की कहानी

एक्‍टर मनु ऋषि चड्ढा ने लेखक के तौर पर डेब्यू किया है। उन्होंने दिल्ली के वर्तमान परिवेश में एक भूत की कल्पना वाली कहानी लिखी है, जिसमें नायिका सिद्धी (पत्रलेखा) एक सड़क हादसे में मारी गई है और उसकी आत्मा एक अपार्टमेंट के फ्लैट के किचेन की चिमनी आकर बस गई है। वह फ्लैट फिल्म के नायक नानू (अभय देओल) का है। सड़क हादसे के बाद सड़क पर गिरी सिद्धी को नानू अस्पताल लेकर जाता है, इसी बीच उसे सिद्धी से प्यार हो जाता है। बस इसी बिना एक शब्द की बातचीत वाली करीब 1 मिनट की मुलाकात लोगों के फ्लैट पर कब्जा करने वाले बिगड़ैल, फ्रॉड नानू की पूरी जिंदगी बदल कर रख देती है।

शुरुआत में वह इस गुत्‍थी को नहीं सुलझा पाता, लेकिन बाद में जब सिद्धी का भूत उसकी जिंदगी को प्रभावित करता है, उसे बीयर पीने से रोकता है, उसकी मां पर हमला करने वाले को सबक सिखाता है तो वह भूत से प्यार करने लगता है। उधर सिद्धी के पिता मिस्टर कपूर (राजेश शर्मा) अपनी बेटी की मौत से गहसे सदमे में चले जाते हैं और उसकी लाश को अपनी बर्फ की फैक्ट्री में छुपा लेते हैं। वह सिद्धी के हत्यारे को ढूंढ़ते हैं। लेकिन सिद्धी का भूत चाहता है कि वह हत्यारे तक कभी न पहुंच पाए। भूत ऐसा क्यों चाहता है यह जानने में अगर आपको दिलचस्पी आ रही हो तो आप फिल्म देखें। इसके अलावा फिल्म में नायक के पड़ोसी कुमार (ब्रिजेंद्र काला) आदि का किरदार फिलर के तौर पर हैं। नायक के दोस्तों (प्रमुख रूप से मनु ऋषि चड्ढा) के डायलॉग चेहरे पर थोड़ी हंसी लाते हैं।

नानू की जानू के दृश्य

1- आइटम डांस के तौर पर लोकप्रिय सपना चौधरी के डांस में अभय देओल का स्टेज होना अखरता है। यूट्यूब पर 'क्लासिक' का दर्जा पा चुकी सपना के डांस का अभय देओल ने 'क्लासिक' खराब कॉपी करते नजर आते हैं।

2- दिल्ली-एनसीआर में कुकुरमुत्ते की तरह खड़े अपार्टमेंट के फ्लैटों में सिमटी जिंदगी का अच्छा फिल्मांकन। सोसाइटी के वाचमैन का गिलास में बीयर मांगना, बीयर खोलने के लिए पड़ोसी से ओपनर मांगना, सोसाइटी में बैचलर को ना मिलने पर कुछ दिनों के लिए मां को बुलाना, कैब के लिए 300 रुपये उधार ‌लिए पैसों को वापस मांगना देखने में अच्छे लगते हैं।

3- करीब 10 मंजिला अपार्टमेंट में बस तीन फैमिली रहने के दृश्य अखरते हैं।

4- देश में बीफ को लेकर चल रहे विवाद पर सतही दृश्य।

5- बैकग्राउंड म्यूजिक को बंद कर के अचानक से तेज आवाज लाने, बिजली के बल्व के लुप-लुप, छोटी बच्ची में आत्मा समाने से उसके बदले रूप से डराने के बचकाने दृश्य

नानू की जानू का निर्देशन

निर्देशक फराज हैदर इस बार फिल्म में बड़ी-बड़ी तकनीकी गलतियां करते दिखे। वे दिल्‍ली-नोएडा की पटकथा में आधी के बाद दिल्‍ली मेट्रो को गुजरते हुए दिखाते हैं। जबकि ब्लू लाइन पर आखिरी मेट्रो अधिकतम 1 बजे तक चलती हैं। फिल्म में दिखता है कि एक युवक अलसुबह डर के मारे पैदल भागना शुरू करता है और अपने दोस्त के घर चला जाता है। वह अपने दोस्त को बताता है कि उसके घर में भूत है। दोनों फटाफटा उस घर में आते हैं और उनके पहुंचने में आधी रात हो चुकी होती है।

इस बार फराज ने पेचींदा महौल को उकेरने के लिए ऐसे दृश्यों का चयन किया, जिन्होंने फिल्म का सत्यानाश कर दिया। फिल्म में कई दृश्य बेहद बोझिल हैं। इंटरवल के बाद फिल्म ठहर जाती है। निर्देशक जबरन उसे हीरो-हीरोइन के गाने, उस फॉरचुनर की खोज, जिसने हीरोइन की स्कूटी से टक्कर की थी... आदि के दृश्य खींचे हैं।

नानू की जानू में अभिनय

अभय देओल सहज अभिनेता हैं। चिंता, संशय, उहापोह, तनावग्रस्त, कॉमेडी आदि के भाव बड़ी सहता से पर्दे पर उकेर देते हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी संजीदा है। फिल्म जब वे कहते हैं कि सुबह से हगा भी नहीं हूं तो यह अटपटा नहीं लगता। जब वे कहते हैं कि ना लौंडियाबाजी में मन, ना दारुबाजी में मन, चौबीस घंटा अदर बस लुप-लुप-लुप-लुप, इसकी मां की इमोशन मारो... तो वे अश्लील लगने के बजॉय कॉमिक लगते हैं। पत्रलेखा के हिस्से गिने-चुने दृश्य हैं जिनमें वे सहज दिखती हैं। इकलौती बेटी खो चुके पिता के किरदार से राजेश शर्मा न्याय करते लेकिन उनके हिस्से दृश्य बेहद कन्फ्यूजिंग आए हैं। ब्रिजेंद्र काला एक दो दृश्य में अच्छी कॉमेडी करते हैं।

नानू की जानू में संगीत

मीत ब्रदर्स, जीत गांगुली, साजिद-वाजिद व दो अन्य संगीतकारों ने मिलकर फिल्म को एक ऐसा गाना नहीं दे पाए हैं जो जुबान पर चढ़ें। सपना चौधरी पर फिल्माया गया गाना भी प्रभाव नहीं छोड़ता। जबकि सपना चौधरी के अपने गाने बेहद प्रचलित होते हैं।

English summary :
Nanu Ki Jaanu Movie Review: Read This & Save Yourself From Some Horrendous Torture.


Web Title: Nanu Ki Jaanu Review: Faraz Haider misuses Abhay Deol Patralekhaa Sapna Chaudhary tallents

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