जन्मदिन विशेषः कमाल अमरोही की ज़िंदगी का सफरनामा और मीना कुमारी से जुड़े दिलचस्प किस्से

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 17, 2018 04:16 PM2018-01-17T16:16:59+5:302018-01-17T21:07:45+5:30

कमाल अमरोही ने बेहद चुनिंदा फ़िल्मों के लिए काम किया लेकिन जो भी काम किया पूरी तबीयत और जुनून के साथ किया। इसका सबूत हैं महल, पाकीज़ा और रज़िया सुल्तान जैसी भव्य कलात्मक फ़िल्में।

Intresting Stories of Kamal Amrohi and Meena Kumari life Journey | जन्मदिन विशेषः कमाल अमरोही की ज़िंदगी का सफरनामा और मीना कुमारी से जुड़े दिलचस्प किस्से

जन्मदिन विशेषः कमाल अमरोही की ज़िंदगी का सफरनामा और मीना कुमारी से जुड़े दिलचस्प किस्से

आज मशहूर गीतकार, लेखक, निर्माता और निर्देशक कमाल अमरोही का जन्मदिन है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे अमरोहा का लड़का कैसे लाहौर और फिर मुंबई पहुंचा? क्या है कमाल अमरोही के मुगले आज़म से जुड़ने की कहानी। कमाल के ड्रीम प्रोजेक्ट पाकीज़ा को बनने में 15 साल का वक्त कैसे लग गया। इसके अलावा इस फीचर में आप पढ़ेंगे मीना कुमारी और कमाल अमरोही की जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से...

कमाल अमरोही का असली नाम 'सैयद आमिर हैदर कमाल' था। 17 जनवरी 1918 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्म लेने वाले, कमाल की जिंदगी का सफरनामा भी किसी फिल्मी कहानी से कम रोमांचक नहीं है। बचपन में कमाल काफी शरारती थे। एक दिन उनकी शरारत से तंग आकर उनके बड़े भाई ने थप्पड़ जड़ दिया। कमाल को यह नागवार गुजरा और वो घर छोड़कर लाहौर भाग गए। यहीं से कमाल के अंदर का लेखक गढ़ना शुरू हुआ। लाहौर में कमाल ने एक उर्दू अखबार में लिखना शुरू कर दिया। लाहौर से निकलकर वो मुंबई पहुंचे जहां उनकी मुलाकात सोहराब मोदी, कुंदरलाल सहगल और ख्वाजा अहमद अब्बास जैसे लीजेंड्स से हुई। कमाल अमरोही को पता चला कि सोहराब मोदी को एक कहानी की तलाश है। उनकी कहानी पर आधारित फ़िल्म ‘पुकार’ (1939) सुपर हिट रही। और सिलसिला चल पड़ा।

पाकीजा कमाल अमरोही का ड्रीम प्रोजेक्ट था। 1958 में बनना शुरू हुई यह फिल्म 1971 में बनकर तैयार हुई। फिल्म की शुरुआत के वक्त मीना कुमारी कमाल अमरोही की पत्नी थी लेकिन दोनों के अलगाव के बावजूद यह फिल्म लटक गई। रिश्ते में इतना बड़ा धक्का लगने के बावजूद कमाल अमरोही ने हार नहीं मानी और अंततः मीना कुमार पाकीजा पूरी करने के लिए राजी हो गई। पाकीजा को भारतीय सिनेमाई इतिहास की शानदार क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।

कमाल अमरोही ने तीन शादियां की। उनकी तीसरी पत्नी बॉलीवुड की ट्रेजडी क्वीन मानी जाने वाली मीना कुमारी थी। पहली बार दोनों की मुलाकात एक फिल्म के सेट पर हुई थी। दोनों को प्यार हुआ। उस वक्त कमाल अमरोही की उम्र 34 साल और मीना कुमार महज 19 साल की थी। 1952 में दोनों ने जिंदगी एक दूसरे के साथ रहने की कसमें खाईं। 1952 में दोनों ने शादी की लेकिन आपसी मनमुटाव के चलते उनकी शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी। जल्दी ही दोनों अलग हो गए।

किस्सा-1ः

कमाल अमरोही मीना कुमारी के साथ 'साहब बीबी और ग़ुलाम' के प्रीमियर से लौट रहे थे। ड्राइवर ने कहा कि मैडम बाहर निकल रहे लोग आपकी बहुत तारीफ़ कर रहे थे फ़िल्म जरूर चलेगी। मीना जी जाहिराना तौर पर खुश हुईं पर उन्हें यही बात अपने खाविंद से भी सुननी थी। मीना कुमारी ने पूछा कि आपको कैसी लगी फिल्म। कमाल ने मुख्तसर सा जवाब दिया- ठीक थी। मीना ने मायूसी से पूछा- सिर्फ ठीक? मगर लोग तो कह रहे थे कि.... और इतना कहकर वो चुप हो गई। कमाल ने कहा कि लोगों और एक निर्देशक के देखने में फर्क होता है। छोटी बहू के किरदार में तुमने जो अभिनय किया वह पक्की शराबनोश का चित्र देता है। जबकि छोटी बहू ने अपने पति को रोकने के लिए पहली बार शराब पी थी। इतना सुनने के बाद कार में रास्ते भर एक मुर्दा खामोशी छाई रही।

किस्सा-2ः

एक फिल्म के सेट पर के. आसिफ ने कमाल अमरोही का परिचय कुछ यूं करवाया। इनसे मिलिए, ये कमाल अमरोही हैं। मीना जी के पति। इसपर उन्होंने कहा, मैं निर्देशक कमाल अमरोही, मीना मेरी पत्नी है। इतना कहकर वो सेट से बाहर निकल गए।

किस्सा-3ः

बीमारी और अलगाव के बावजूद मीना कुमारी ने कमाल अमरोही की पाकीजा पूरी की थी। कहते हैं 30 मार्च 1972 की एक शाम मीना कुमारी ने कमाल अमरोही को बुलाया। बिस्तर पर लेटे हुए उन्होंने कमाल को करीब बुलाया और हल्की आवाज में कहा, 'चंदन, अब मैं जिंदा नहीं रहूंगी, मेरी आखिरी इच्छा है कि मैं तुम्हारी बाहों में दम तोड़ूं। अगले दिन 31 मार्च की सुबह मीना कुमारी ने आखिरी सांस ली।

कमाल अमरोही ने बेहद चुनिंदा फ़िल्मों के लिए काम किया लेकिन जो भी काम किया पूरी तबीयत और जुनून के साथ किया। इसका सबूत हैं महल, पाकीज़ा और रज़िया सुल्तान जैसी भव्य कलात्मक फ़िल्में। उनके काम पर उनके व्यक्तित्व की छाप रहती थी। यही वजह है कि फ़िल्में बनाने की उनकी रफ़्तार काफ़ी धीमी रही और उन्हें इसके लिए आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ता था। कमाल अमरोही 11 फरवरी 1993 को इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी यादगार फिल्में उनके व्यक्तित्व की मौजूदगी का प्रमाण हैं।

Web Title: Intresting Stories of Kamal Amrohi and Meena Kumari life Journey

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