बर्थ डे स्पेशल: बुरे हालातों के चलते गायिका से हास्य कलाकार बनीं टुनटुन, जानें कैसा था फिल्मी सफर

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 11, 2018 05:57 AM2018-07-11T05:57:06+5:302018-07-11T06:14:27+5:30

अपने अभिनय के दम पर आज भी फैंस के दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री टुनटुन का आज जन्मदिन है। टुनटुन का असली नाम उमा देवी था।

happy anniversary tuntun: tuntun birthday unknown facts | बर्थ डे स्पेशल: बुरे हालातों के चलते गायिका से हास्य कलाकार बनीं टुनटुन, जानें कैसा था फिल्मी सफर

बर्थ डे स्पेशल: बुरे हालातों के चलते गायिका से हास्य कलाकार बनीं टुनटुन, जानें कैसा था फिल्मी सफर

अपने अभिनय के दम पर आज भी फैंस के दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री टुनटुन का आज जन्मदिन है। टुनटुन का असली नाम उमा देवी था। सिनेजगत में उनको टुनटुन नाम मिला। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज़ गाँव में हुआ और बचपन में ही वह अपने माता-पिता दोनों को खो चुकी थीं। उमा रेडियो और नूरजहां की दीवानी थी। फिर एक दिन फिल्मों में गायिका बनने के लिए उमा देवी भाग कर मुंबई पहुंचीं। मगर किस्मत ने उन्हें गायिका उमा नहीं अभिनेत्री टुनटुन के रूप में मशहूर किया।

फिल्मों में संघर्ष

फिल्मों में संघर्ष करने वाले ज्यादातर कलाकारों के लिए पहला मौका बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। एक मुकाम पाने के लिए उमा ने भी बेहद संघर्ष किया। कहते हैं मधुबाला और लता मंगेशकर को ‘महल’ (1949) के जिस गाने ‘आएगा आने वाला’ ने पहचान दिलवाई, वह गाना पहले टुनटुन को गाना था। मगर अनुबंध के कारण वह कारदार स्टूडियो के अलावा किसी और की फिल्म में नहीं गा सकती थीं। शुरूआती दौर में उनकी आवाज किसी भी निर्माता निर्देशक को हीं भा ही थी।

गायिका बनना चाहती थीं

उमा बचपन से ही रेडियो सुन कर गाना सीखने फिल्मों में गायिका भी बनना चाहती थीं। सो वह एक दिन घर से भाग मुंबई पहुंच गर्इं। लोगों के यहां बरतन धोए, झाड़ू लगाई। अरुण कुमार आहूजा ही थे जिन्होंनेकई संगीतकारों से उमा को मिलवाया। संगीतकार अल्लारखा ने उनसे एक गाना भी गवाया और इसके लिए 200 रुपए दिए। मगर उमा तो नौशाद के साथ गाना चाहती थीं। आखिर किसी तरह वह निर्माता-निर्देशक एआर कारदार से मिलीं, जिन्होंने उमा को अपने संगीतकार नौशाद के पास भेज दिया। जहां से उनके करियर ने पल्टा खाया।

500 रूपए से शुरुआत

नौशाद ने जब उमा को सुना तो समझ गए कि छरहरी-सी यह लड़की गाना-वाना तो जानती नहीं है। आवाज में उतार-चढ़ाव है नहीं मगर गाने का जुनून सवार है। चूंकि नौशाद उन दिनों कई फिल्मों में काम कर रहे थे, तो उन्हें लगा एकाध फिल्म में उमा से गवा लेंगे। इस तरह उमा का कारदार स्टूडियो के साथ अनुबंध हुआ, जिसमें किसी दूसरे निर्माता की फिल्म में गाने की मनाही थी। 500 रुपए तनख्वाह फाइनल हुई। नौशाद ने उमा से ‘दर्द’ (1947) में ‘अफसाना लिख रही हूं’ गवाया। गाना आज भी फैंस को भाता है।बस  इसके बाद उमा को कई फिल्में मिलीं।

अभिनय में हाथ

करियर पीक प्वाइंट पर उन्होंने अचानक शादी कर ली और नतीजा धीरे-धीरे उमा को काम मिलना बंद हो गया। कहते हैं जिस कारण से जब फाकों की नौबत आई तो उमा नौशाद के पास फिर पहुंचीं। जब ववह नौशद के पास गईं तो उन्होंने कहा कि अब तुम्हारा गला गाने के काम का नहीं बचा। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि तुम अभिनय करो। नौशाद की सलाह सुन कर उमा ने तुरंत कहा कि अभिनय करेंगी तो सिर्फ दिलीप कुमार के साथ। तब वह दिलीप कुमार को लेकर ‘बाबुल’ (1949) बना रहे थे। ‘बाबुल’ में उमा को एक किरदार मिल गया। इसी फिल्म के बाद लोगों ने मोटी होने के कारण उमा को टुन टुन कहना शुरू किया। बस उसके बाद से ही उमा देवी खत्री हमेशा के लिए टुन टुन बन गईं और लगभग पांच सौ फिल्मों में काम किया और उन्होंने अभिनय कर एक पूरी पीढ़ी को अपनी अदाओं से हंसाया और आज भी हंसा रही हैं।

Web Title: happy anniversary tuntun: tuntun birthday unknown facts

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