अलग-अलग भाषाओं की 2200 फिल्मों का संरक्षण करेगी सरकार, 363 करोड़ रुपये होंगे खर्च, जानिए
By भाषा | Published: May 6, 2022 09:08 AM2022-05-06T09:08:12+5:302022-05-06T09:13:55+5:30
पुणे की अपनी यात्रा के दौरान संगठन के कामकाज की समीक्षा के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि संरक्षण परियोजना की तैयारी भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रह (एनएफएआई) में जोरों-शोरों पर है।
नयी दिल्लीः सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म संरक्षण परियोजना शुरू की है, जिसके तहत विभिन्न भाषाओं की 2,200 फिल्में 363 करोड़ रुपये की लागत से संरक्षित की जायेंगी। पुणे की अपनी यात्रा के दौरान संगठन के कामकाज की समीक्षा के बाद ठाकुर ने कहा कि संरक्षण परियोजना की तैयारी भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रह (एनएफएआई) में जोरों-शोरों पर है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि फिल्म निर्माताओं, फिल्म इतिहासकारों, अपर्णा सेन, श्रीराम राघवन, अंजलि मेनन और वेत्रिमारन जैसे निर्माताओं की भाषावार समितियों ने संरक्षण के लिए फिल्मों का चयन किया है। मंत्री ने बताया कि ''राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन में बहाली के अलावा 597 करोड़ रुपये के कुल आवंटित बजट के साथ फिल्म स्थिति का मूल्यांकन, निवारक संरक्षण और डिजिटलीकरण की संरक्षण प्रक्रियाएं भी शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े फिल्म संरक्षण मिशनों में से एक है।''
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रह ने सत्यजीत रे की दस प्रतिष्ठित फिल्मों की बहाली की, जिन्हें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया जाएगा। रे की क्लासिक फिल्म ''प्रतिद्वंदी'' का नया संस्करण इस महीने के अंत में कान्स क्लासिक्स सेक्शन में प्रर्दशित किया जाएगा।
1978 में आई जी अरविंदन की मलयालम फिल्म ''थम्प'' के पुनर्स्थापित संस्करण को फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा कान महोत्सव में रेस्टोरेशन वर्ल्ड प्रीमियर में प्रदर्शित किया जाएगा। सत्यजीत रे की फिल्मों के अलावा, 'नीलकुयिल' (मलयालम) और 'दो आखें बारह हाथ' (हिंदी) जैसी विविध फीचर फिल्मों को भी संरक्षित किया जाएगा।