#Flashback: राज कपूर का सफेद साड़ी से था खास नाता, पढ़ें, आरके की स्थापना से लेकर थप्पड़ खाने तक की शो मैन की कहानी

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: December 13, 2018 10:49 AM2018-12-13T10:49:17+5:302018-12-14T08:28:18+5:30

14 दिसंबर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में जन्में बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले राजकपूर का भला कौन दीवाना नहीं है। राज कपूर का पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था। 

#Flashback Raj Kapoor: Raj Kapoor life history, facts From RK Studio to the greatest showman of Hindi cinema | #Flashback: राज कपूर का सफेद साड़ी से था खास नाता, पढ़ें, आरके की स्थापना से लेकर थप्पड़ खाने तक की शो मैन की कहानी

फाइल फोटो

श्री 420, आवारा, मेरा नाम जोकर अगर इनमें से किसी एक फिल्म को बेस्ट कहा जाए को शायद गलत होगा। क्योंकि द शोमैन राज कपूर साहब की किसी भी फिल्म का आपस में कंपेयर कैसे किया जा सकता है। 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में जन्में बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले राजकपूर का भला कौन दीवाना नहीं है। राज कपूर का पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था। 

भले राज कपूर का जन्म जिस परिवार में हुआ उसका नाम बॉलीवुड में हर किसी की जुबां पर था लेकिन  राज कपूर ने अपने करियर में जिन ऊंचाइयों को छुआ, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत और काबिलियत थी। पृथ्वीराज कपूर के बेटे होने के कारण अभिनय उनको विरासत मे मिला था। 

 स्पॉटब्वॉय की शुरुआत

 17 साल की उम्र में 'रंजीत मूवीकॉम' और 'बॉम्बे टॉकीज' फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉटब्वॉय का काम उन्होंने शुरू किया। पृथ्वी राज कपूर जैसी हस्ती के घर जन्म लेने के बाद भी राज कपूर को बॉलीवुड में कड़ा संघर्ष किया था। उनके लिए शुरुआत इतनी आसान नहीं रही थी। शुमार केदार शर्मा की एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करते हुए राज कपूर ने एक बार इतनी जोर से क्लैप किया कि फिल्म के हीरो की नकली दाड़ी क्लैप में फंसकर बाहर आ गई। राज कपूर की इस हरकत पर केदार शर्मा को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में आकर राज कपूर को एक जोरदार चांटा रसीद कर दिया था।

बॉलीवुड में डेब्यू

 साल 1935 में मात्र 10 साल की उम्र में फिल्म 'इंकलाब' में छोटा रोल किया, उसके 12 साल बाद राज कपूर ने मशहूर अदाकारा मधुबाला के साथ फिल्म 'नीलकमल' में लीड रोल किया।

सफेद साड़ी से लगाव

राज कपूर के बारे में एक बेहद खास बात कही जाती है कि उन्हें सफेद साड़ी बहुत पसंद थी। जब छोटे थे तब उन्होंने सफेद साड़ी में एक महिला को देखा था, जिस पर उनका दिल आ गया था।   उस घटना के बाद से राज कपूर का सफेद साड़ी प्रति इतना गहरा प्रभाव डाला कि उन्होंने अपनी फिल्मों में काम करने सभी अभिनेत्रियों नरगिस से लेकर पद्मिनी तक हर किसी को सफेद साड़ी पहनाई, यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा भी हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं।

आरके स्टूडियो की स्थापना

 महज 24 साल ही उम्र में उन्होंने  आरके फिल्म्स की स्थापना की थी और इंडस्ट्री के सबसे यंग डायरेक्टर बन गए थे। अपनी प्रोडक्शन की पहली फिल्म 'आग' में राज कपूर ने मधुबाला, कामिनी कौशल और प्रेम नाथ के साथ काम किया। खास बात ये थी इस फिल्म में उन्होंने डायरेक्टर और एक्टर दोनों की भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1947 में अपने स्टूडियो की स्थापना की, जहाँ 'आग' से 'राम तेरी गंगा मैली' (1985) तक उन्होंने कुल 18 फिल्मों का निर्माण किया।

पर्दे पर उतारा जिंदगी का सीन

राज कपूर रियल शो मैन थे, यही कारण था कि  अपनी कई फिल्मों में वो कोई ऐसा सीन ज़रूर रख देते थे, जो उनके निजी ज़िंदगी का कभी हिस्सा रहा हो। फिल्म बॉबी का वो सीन तो आपको याद ही होगा, जब पहली बार ऋषि कपूर डिंपल कपाड़िया से उसके घर मिलते हैं। डिंपल दरवाज़ा खोलती हैं और उनके चेहरे पर आटा लगा होता है. असल में यह सीन राज कपूर और नरगिस के रियल लाइफ का हिस्सा था। असर में जब वह नरगिस से पहली बार मिले थे तो नरगिस के चेहरे पर आटा ही लगा था उस मुलाकात को वह कभी नहीं भूल पाए।

नरगिस से दिल का रिश्ता

बात राज की हो और नरगिस की ना हो ऐसा नहीं हो सकता है,राज कपूर और नर्गिस 1940-1960 के दशक की बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर जोड़ियों में से एक है। इन दोनों के आगे कोई जोड़ी टिक नहीं पाई है। आवारा फिल्म की शूटिंग के दौरान एक गाने को फिल्माने के लिए ही राजकपूर ने 8 लाख रुपये खर्च कर दिए। जबकि पूरी फिल्म पर तब तक 12 लाख रुपये ही खर्च हुए थे। वजह से जब फिल्म ओवरबजट हो गई तो नरगिस ने अपने गहने बेचकर राज कपूर की मदद की। आर के वाकई नर्गिस-राजकपूर का एक बैनर था। ये इनका प्यार ही था जो नरगिस ने इस तरह से राज की मदद की थी। दोनों का प्यार किसी से छुपा नहीं था लेकिन राज के शादीशुदा होने के कारण दोनों की शादी नहीं हो पाई और एक दिन नरदिन ने सुनील दत्त का हाथ थाम लिया । कहते हैं जब उन्हें पता चला कि नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली है तो वो आपे से बाहर हो गए। वह अपने दोस्तों के सामने ही फूट-फूटकर रोने लगे। ये भी कहा जाता है कि उन्होंने जलती हुई सिगरेट से खुद को जलाकर ये जानने की कोशिश की कि कहीं वो कोई सपना तो नहीं देख रहते थे। कहते हैं राज बाथरुम में अपने बाथटब में नरगिस की याद में रोते थे।

और कह दिया अलविदा

भारत सरकार ने राज कपूर को मनोरंजन जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में 'पद्मभूषण' से सम्मनित किया था, साल 1987 में उन्हें सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' भी दिया गया। 'शोमैन' राज कपूर को एक अवार्ड समारोह में दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे, आखिरकार 2 जून 1988 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

आज वक्त ऐसा आज गया जिस आरके स्टूडियो में राज साहब की यादें बसी हैं उसको अब बेचा जा रहा है। सच ही था राज साहब का गाना इन दिन मिट जाएगा माटी के माले जग में रह....आज भले राज साहब ना हों लेकिन अपने चाहने वालों के बीच वो आज भी जिंदा हैं और शायद हमेशा रहेंगे।

Web Title: #Flashback Raj Kapoor: Raj Kapoor life history, facts From RK Studio to the greatest showman of Hindi cinema

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