छत्रपति शिवाजी महाराज के बचपन के मित्र थे "तान्हाजी", बेटे का विवाह छोड़कर गए थे सिंहगढ़ का युद्ध लड़ने
By ज्ञानेश चौहान | Published: November 19, 2019 04:52 PM2019-11-19T16:52:07+5:302019-11-19T17:02:26+5:30
तान्हाजी ने सन 1670 में सिंहगढ़ का युद्ध लड़ा था। जिस समय सिंहगढ़ का युद्ध होने वाला था उस समय तान्हाजी अपने पुत्र के विवाह की तैयारियां कर रहे थे।
इतिहास में कई ऐसे योद्धा रह चुके हैं जिन्होंने अपना साम्राज्य बचाने के लिए अपना खून तक बहा दिया और मौत को गले लगा लिया। लेकिन दुख की बात यह है कि ऐसे योद्धाओं को कई लोग जानते तक नहीं हैं। इन्हीं में से एक योद्धा हैं तान्हाजी मालुसरे (Tanaji Malusare) जिन्होंने अपने पराक्रम से कई लड़ाइयां लड़ीं और अपने साम्राज्य की रक्षा की। तान्हाजी मराठा साम्राज्य की सेना के सेनापति थे, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मिलकर मुगलों से युद्ध किया था।
ऐसे महान योद्धा के जीवन पर आधारित फिल्म 'तानाजी द अनसंग वॉरियर' (Tanhaji: The Unsung Warrior) का ट्रेलर (Tanaji Trailer) आज लॉन्च हो चुका है। इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन (Ajay Devgn) और सैफ अली (Saif Ali Khan) खान मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म 10 जनवरी 2020 को रिलीज होगी। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं तान्हाजी के जीवन से जुड़ा एक बड़ा किस्सा जिसे काफी कम लोग ही जानते हैं।
तान्हाजी का जन्म 17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के कोंकण प्रान्त में महाड के पास 'उमरथे' में हुआ था। मुगल साम्राज्य की सेना के सेनापति तान्हाजी मालुसरे के बचपन के घनिष्ट मित्र थे छत्रपति शिवाजी महाराज। इसके साथ ही तान्हाजी वीर निष्ठावान मराठा सरदार भी थे। तान्हाजी छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मराठा साम्राज्य, हिंदवी स्वराज्य स्थापना के लिए सुभेदार की भूमिका निभाई थी।
तान्हाजीराव, शिवाजी के साथ हर लड़ाई में शामिल होते थे। वे शिवाजी के साथ औरंगजेब से मिलने दिल्ली गये थे तब औरंगजेब ने शिवाजी और तानाजी को छल-कपट से बंदी बना लिया था। तब शिवाजी और तानाजीराव ने एक योजना बनाई और मिठाई के पिटारे में छिपकर वहां से बाहर निकल गए।
तान्हाजी ने सन 1670 में सिंहगढ़ का युद्ध लड़ा था। जिस समय सिंहगढ़ का युद्ध होने वाला था उस समय तान्हाजी अपने पुत्र के विवाह की तैयारियां कर रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्हें मराठा साम्राज्य की तरफ से युद्ध का समाचार मिला, वैसे ही तान्हाजी अपने पुत्र का विवाह छोड़कर युद्ध के लिए निकल गए थे। इस समय तान्हाजी मालुसरे कोंडाना के लिए रवाना हो गए।
कोंडाना पहुंचने के बाद तानाजी और उनके लगभग 300 सैनिक इस किले में रात के समय पश्चिम दिशा की तरफ से घुसे थे। तान्हाजी ने शिवाजी के नेतृत्व में उदयभान के सैनिकों से युद्ध किया। यह एक भीषण युद्ध था। इस युद्ध में तान्हाजी ने एक शेर का तरह युद्ध किया। इस युद्ध में तान्हाजी की सेना को विजय प्राप्त हुई और उन्होंने किले पर अपना कब्जा कर लिया। लेकिन इस भीषण युद्ध में तानाजी शहीद हो गए। इस तरह तान्हाजी को वीरगति प्राप्त हुई। तान्हाजी के शहीद होने के बाद शिवाजी ने इस किले का नाम कोंडाना से बदलकर सिंहाड़ा कर दिया।