"बालासाहेब ठाकरे ही एकमात्र नेता थे, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के लिए आवाज उठाई थी", अनुपम खेर ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की आलोचना पर कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 4, 2022 04:55 PM2022-12-04T16:55:19+5:302022-12-04T17:06:29+5:30
फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर हो रहे विवाद पर अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि जब आतंकवादी घाटी में कश्मीरी पंडितों का कत्ल कर रहे थे और वो अपनी जान बचाकर भाग रहे थे तब इकलौते बालासाहेब ठाकरे थे, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को महाराष्ट्र आने के लिए कहा था।

फाइल फोटो
मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता और फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में अहम किरदार अदा करने वाले अनुपम खेर ने हाल ही में आयोजित 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जूरी प्रमुख नवाद लपिड द्वारा लगातार की जा रही फिल्म की आलोचना को लेकर कहा कि यह एक सच्ची कहानी है और कश्मीरी पंडितों की न जाने कितनी पीढ़ी इसके परिणाम को आजतक भुगत रही है।
इजराइली फिल्मकार नवाद लपिड ने फिल्म समारोह के समापन में 'द कश्मीर फाइल्स' को एक अश्लील प्रचार कहते हुए इसे समारोह में शामिल किये जाने पर हैरानी जताई थी। लपिड के बयान पर 'द कश्मीर फाइल्स' के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री, अभिनेता अनुपम खेर, चिन्मय मंडलेकर ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए लपिड के खिलाफ आक्रामक बयान दिया था।
अब इस विवाद में अनुपम खेर ने शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे को लेकर बयान दिया है, जो काफी चर्चा में है। अनुपम खेर ने फिल्म के संबंध में बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए कहा, "स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने 90 के दशक में घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों के दर्द को समझा था और उनके लिए आवाज उठाई थी।"
इसके साथ ही अनुपम खेर ने यह भी कहा, "जब आतंकवादी घाटी में कश्मीरी पंडितों का कत्ल कर रहे थे और वो अपनी जान बचाकर भाग रहे थे तो इकलौते बालासाहेब थे, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को महाराष्ट्र आने के लिए कहा था। बालासाहेब की वजह से ही महाराष्ट्र के लोगों को कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय के बारे में पता चला था।"
'द कश्मीर फाइल्स' में सशक्त भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर ने इसके विरोध पर कहा कि यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में है। लेकिन दिलचस्प है कि जब फिल्म रिलीज हुई तो जिनको कश्मीरी पंडितों से कोई सरोकार नहीं था, उन्होंने भी फिल्म का विरोध किया। लेकिन उन्हें विरोध से पहले यह जानना चाहिए कि यह फिल्म नहीं एक सच्ची कहानी है। कश्मीरी पंडितों की कई पीढ़ियों ने आतंकवाद के इस भयानक परिणाम को भुगता है।
अनुपम खेर ने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा कि बालासाहेब ठाकरे एकमात्र ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने दहशत के माहौल से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों का महाराष्ट्र में स्वागत किया था। बालासाहेब ने कश्मीरी छात्रों की चिंता की और उन्हें महाराष्ट्र के कॉलेजों में दाखिला दिलाने के लिए विशेष पहल की थी।
अनुपम खेर ने आगे कहा कि आज जिन लोगों में सच पचाने की ताकत नहीं है, वही लोग द कश्मीर फाइल्स का विरोध कर रहे हैं। साल 1993 के मुंबई दंगे हों या 1984 के सिख दंगे हो, क्या हम उन तथ्यों को खारिज करते हैं।
इसके साथ ही अनुपम खेर ने सवालिया लहजे में कहा विश्व युद्ध और कोविड भी हमारे सामने एक सच है और 50 साल बाद जब यह कहा जाएगा कि कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था तो क्या वह झूठ माना जाएगा। अपनी बात को खत्म करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि फिल्म की आलोचना करने वाले पहले इस बात को समझे कि यह उन 5 लाख लोगों की कहानी है, जिन्हें 90 के दशक में दहशत के कारण बेघर होना पड़ा था। हमारी मां-बहनों को प्रताड़ित किया था। लेकिन 32 साल तक यह मामला दबा रहा, दुनिया के सामने नहीं आया। काफी मुश्किलों और कोर्ट-कचहरी से जूझने के बाद इस फिल्म को रिलीज किया गया है।