Bellbottom Review: सिनेमाघरों में डेढ़ साल से पड़े सूखे को खत्म करते हुए रिलीज हुई अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड फिल्म बेलबॉटम, जानिए किस हद तक रही कामयाब
By वैशाली कुमारी | Published: August 25, 2021 05:14 PM2021-08-25T17:14:51+5:302021-08-25T18:47:19+5:30
बेल बॉटम की कहानी 80 के दशक में हुयी प्लेन हाइजैक की वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है।
मूवी - बेलबॉटम
अवधि - 02 घण्टे 05 मिनट
मेन लीड - अक्षय कुमार, वाणी कपूर, हुमा कुरैसी
निर्देशक - रंजीत तिवारी
IMDB - 6.9/10
सबसे पहले बात करते हैं फिल्म की कहानी पर, बेल बॉटम की कहानी 80 के दशक में हुयी प्लेन हाइजैक की वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म शुरू होती है एक प्लेन हाइजैकिंग से, 210 यात्रियों से भरे प्लेन को कुछ आतंकवादी हाईजैक कर ले जाते हैं। फिर वह हाईजैक प्लेन को छोड़ने के बदले भारत सरकार के सामने कई डिमांड रखते हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आतंकवादियों से कोई नेगोशिएशन करना नहीं चाहती हैं। इसलिये वे ये काम RAW को सौंपती हैं। "रा" यह काम अपने एक ऐसे ऑफिसर को देता है, जो प्लेन हाइजैकिंग की घटनाओं को बारीकी से स्टडी कर चुका है, और कहीं ना कहीं इससे काफी हद तक जुड़ा हुआ है। इसी के साथ फिल्म में एन्ट्री होती है हमारे "बेलबॉटम" यानी अक्षय कुमार की।
अक्षय कुमार फिल्म में एक अंडर कवर "रा" अधिकारी "अंशुल मलहोत्रा" की भूमिका में हैं। अंशुल मलहोत्रा 35 साल का एक शादीशुदा इन्सान है। बच्चों को पढ़ाता है और साथ ही साथ UPSC की तैयारी कर रहा है। हिन्दी, इंग्लिश के साथ फ्रेंच और जर्मन भी बोल और लिख सकता है। नेशनल लेवल का चेस प्लेयर भी है। "रा" को कैसे ज्वाइन किया इसके पीछे भी एक स्टोरी है, जो आपको फिल्म देखने पर पता चलेगी।
खैर "बेलबॉटम" कैसे उस हाईजैक हुये 210 पैसेंजर्स के प्लेन को कैसे वापस लाता है, पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म में "रा" के काम करने के अंदाज को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रोल को इस तरह से दिखाया गया है कि वह किसी राजनीतिक पचड़े में ना पड़े। इसके साथ ही उनकी डिसीजन लेने की क्षमता और "रा" पर किये गए भरोसे को भी काफी अच्छी तरीके से दिखाया गया है।
ऐक्टिंग की बात करें तो अक्षय कुमार "बेलबॉटम" यानी अंशुल मलहोत्रा के किरदार में हमेशा की तरह लाजवाब हैं। वाणी कपूर अंशुल मलहोत्रा की पत्नी राधिका मल्होत्रा के किरदार में हैं। फिल्म में बहुत कम ही नजर आईं हैं, लेकिन फिर उनकी ऐक्टिंग काफी शानदार रही है। अदीला रहमान के रोल में "हुमा कुरैसी" ने स्पेशल अटेन्शन ज़रूर हासिल की है। फिल्म में उनका किरदार अचानक ट्विस्ट लाता है। इंदिरा गांधी के किरदार में "लारा दत्ता " को पहचानना मुश्किल है। उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बखूबी पर्दे पर उतारने की कोशिश की है, और इसमे वे कामयाब भी रहीं हैं। इसके साथ-साथ "रा" चीफ के रोल में आदिल हुसैन ने काबिले तारीफ काम किया है।
म्यूजिक की बात करें तो, तो फिल्म में कोई भी ऐसा गाना नहीं है, जो खत्म होने के बाद भी आपको याद रह सके। जो गानें हैं वे भी जबरजस्ती डाले गए हैं। ऐसी फिल्म में अगर गाने न हो तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन जब "बेलबॉटम" अपने मिशन को पूरा करने निकलता है तो बैकग्राउंड में बजने वाला म्यूजिक काफी अच्छा लगता है। फिल्म की ending की बात करें तो ये कुछ ज्यादा ही फिल्मी हो जाता है। एक दर्शक के तौर पर आप ऐसी उम्मीद नहीं करते हैं। बाकी फिल्म काफी मजेदार है दर्शकों को अंत तक बांधकर रखती है। अगर आप सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं और अक्षय कुमार के फैन हैं तो ये फिल्म आपको मिस नहीं करनी चाहिए।