फिजी में हिंदी : संघर्ष और विकास की मर्मस्पर्शी गाथा

By विशाला शर्मा | Published: February 16, 2023 12:23 PM2023-02-16T12:23:04+5:302023-02-16T12:25:34+5:30

फिजी में प्रवासियों के संघर्ष और विकास की गाथा को अंत:करण से महसूस करने की आवश्यकता है। 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के माध्यम से हिंदी प्रेमी फिजी के मंच पर एकत्रित होकर हिंदी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भूमिका पर विचार कर रहे हैं।

World Hindi Conference in Fiji A touching saga of struggle and development | फिजी में हिंदी : संघर्ष और विकास की मर्मस्पर्शी गाथा

फिजी में हिंदी : संघर्ष और विकास की मर्मस्पर्शी गाथा

भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र को वैश्विक पटल प्रदान करने तथा हिंदी भाषा, जीवन मूल्यों, परंपराओं एवं भावनात्मक रूप से रिश्तों को जोड़ने में प्रवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। हिंदी का विश्व में फैलाव होने का मुख्य कारण गिरमिटिया मजदूर हैं, जिन्हें फिजी मॉरीशस, सूरीनाम, गयाना, त्रिनिदाद, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार आदि प्रदेशों से मजदूर के रूप में लाया गया था। यह लोग एग्रीमेंट या शर्त बंद प्रथा के आधार पर भारत से लाए गए थे। ब्रिटिश एग्रीमेंट का विकृत रूप ही गिरमिटिया कहलाया।

आज भारतीय स्वेच्छा से विदेश चुनते हैं। कई बार धार्मिक कारण, तीर्थ यात्रा भ्रमण और उच्च शिक्षा के साथ-साथ भौतिक जीवन व्यतीत करने की इच्छा भी प्रवास का कारण रही है। इन सब स्थितियों में विश्व मन का भाव लिए हिंदी विश्व में अपनी पकड़ अपने इन्हीं प्रवासियों के माध्यम से बनाती चली गई।
 
फिजी में प्रवासियों के संघर्ष और विकास की गाथा को अंत:करण से महसूस करने की आवश्यकता है। 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के माध्यम से हिंदी प्रेमी फिजी के मंच पर एकत्रित होकर हिंदी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भूमिका पर विचार कर रहे हैं। 2 मार्च 1930 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन के 19वें अधिवेशन में अध्यक्षता करते हुए अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी ने कहा था, ‘मुझे तो वह दिन दूर दिखाई नहीं देता, जब हिंदी साहित्य अपने सौष्ठव के कारण जगत साहित्य में अपना विशेष स्थान प्राप्त करेगा। हिंदी भारत जैसे विशाल देश की राष्ट्रभाषा की हैसियत से न केवल महाद्वीप के राष्ट्रों की पंचायत में बल्कि संसार भर के देशों की पंचायत में एक साधारण भाषा के समान न केवल बोली भर जाएगी अपितु अपने बल से संसार भर की बड़ी-बड़ी समस्याओं पर भरपूर प्रभाव भी डालेगी।’

हिंदी की बढ़ती साहित्यिक शक्ति को लक्ष्य कर उसके भावी विकास की स्वर्णिम संभावनाओं से तो हम सब परिचित हैं ही, यह हिंदी की शक्ति का मात्र एक पक्ष है। अब हिंदी साहित्य के साथ-साथ प्रशासन, बाजार, सिनेमा, अनुवाद, संचार आदि विविध क्षेत्रों में उत्तरोत्तर समृद्ध हो रही है। यही कारण है कि फिजी के संविधान ने तो संसद में हिंदी के प्रयोग का प्रावधान किया है। तो क्यों न हम भी अपने वंशजों की विपरीत विषम परिस्थिति में अपनी प्रतिभा, मेधा और मातृभूमि प्रेम को जागृत करने की भावना का सम्मान करें और इन भारतवंशियों द्वारा रचित साहित्य को मुख्यधारा से जोड़कर हिंदी भाषा और साहित्य का मान बढ़ाएं। फिजी का हिंदी साहित्य गिरमिट इतिहास का दस्तावेजीकरण है, जो हमारे भारतवंशियों के संघर्ष व विकास की गाथा सुनाता है।

Web Title: World Hindi Conference in Fiji A touching saga of struggle and development

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