शोभना जैन का ब्लॉग: एफएटीएफ की कठोर कार्रवाई से बचेगा पाकिस्तान ?
By शोभना जैन | Published: October 17, 2020 11:48 AM2020-10-17T11:48:00+5:302020-10-17T11:48:00+5:30
पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का बुरी तरह से वार ङोलने वाला भारत विश्व बिरादरी के सम्मुख हर मंच से पाक के आतंकवाद पर अपनी चिंताएं जताता रहा है और दुनिया भर में आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर जोर देता रहा है.
आतंकी गतिविधियों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बदस्तूर चला रहा पाकिस्तान अगले सप्ताह होने वाली अहम ‘फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स’ (आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली अंतर सरकारी विश्व संस्था) की ‘ग्रे सूची’ से नीचे गिर कर ‘काली सूची’ में आने से बचने के लिए हर संभव पैंतरेबाजी में जुटा है. एक तरफ घरेलू मोर्चे पर भी बुरी तरह से पस्त और देश में विपक्ष की लगातार कसती घेराबंदी के बीच पाकिस्तान हमेशा की तरह इस बार भी अपनी ‘आतंकी हरकतों’ का अंजाम भुगतने से बचने के लिए विश्व बिरादरी के सामने भारत के खिलाफ अनर्गल आरोप लगा कर खुद आतंक पीड़ित होने का स्वांग रच, घड़ियाली आंसू बहा रहा है. एफएटीएफ की अहम वर्चुअल बैठक अगले हफ्ते 21-23 अक्तूबर को पेरिस में होगी जिसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकी हरकतों को लगाम लगाने के लिए समुचित और प्रभावी कार्रवाई नहीं किए जाने पर उसे इस संस्था की ग्रे सूची में बनाए रखा जाए और उस पर कार्रवाई करने के लिए निरंतर निगरानी रखी जाए.
पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का बुरी तरह से वार ङोलने वाला भारत विश्व बिरादरी के सम्मुख हर मंच से पाक के आतंकवाद पर अपनी चिंताएं जताता रहा है और दुनिया भर में आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर जोर देता रहा है. वैसे बैठक से पूर्व अपने पक्ष में चीन के वरदहस्त में लामबंदी में लगे पाकिस्तान ने उन देशों को साधने की कवायद शुरू की है जो एफएटीएफ में उसके कारनामों पर पर्दा डाल सकें. हालांकि भारत भी पाकिस्तान को लगभग हर मंच पर बेनकाब करता रहा है और उसने पाकिस्तान की दिखावटी कार्रवाई से अमेरिका सहित अन्य प्रभावी देशों को आगाह किया है. लेकिन जैसा कि पाकिस्तान से अपेक्षित है, इस बार भी आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की बजाय उसने आरोपों का वही पुलिंदा भारत की तरफ उछाल दिया है. हाल ही में राष्ट्रमंडल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि वह आतंकवाद से पीड़ित होने का बहाना करता है जबकि वह खुद ही राज्य प्रायोजित आतंकवाद का प्रवर्तक है. पाकिस्तान का सीधा नाम लिए बगैर भारत ने कहा कि पड़ोसी देश आतंकवाद का केंद्र बिंदु है और बड़ी संख्या में ऐसे आतंकवादियों की वहां मौजूदगी है जिन पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाया हुआ है.
बैठक में विदेश मंत्नी डॉ. एस. जयशंकर का प्रतिनिधित्व करते हुए विदेश मंत्नालय में सचिव विकास स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान ऐसा देश है जो दूसरे स्थानों पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रवचन का ढोंग करता है जबकि खुद अपने यहां के अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलता है और उसने वास्तव में दुखद रूप से इस मंच का सीधा-सीधा दुरु पयोग किया है.
गौरतलब है कि एफएटीएफ ने गत जून में हुई बैठक के बाद जब हाल ही में पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का जायजा लिया तो पता लगा कि 27 में से 6 बड़े क्षेत्न ऐसे हैं जिसमें पाकिस्तान ने आतंक से निपटने में अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं की है. वैसे समझा जाता है कि एफएटीएफ के 39 सदस्यों के बीच पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई या यूं कहें इसे ग्रे सूची से ब्लैक सूची में डाले जाने पर सहमति नहीं है. पाकिस्तान के खैरख्वाह चीन के अलावा इस संस्था में अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, रूस जैसे देश शामिल हैं. वैसे एफएटीएफ की बैठकों से पूर्व पाकिस्तान आतंक से निपटने के लिए दिखावटी खानापूरी करता रहा है. विगत दो महीनों में इसी जोड़-तोड़ के तहत इमरान सरकार ने आतंक से निपटने के लिए आठ कानून भी बनाए. लेकिन नतीजा क्या रहा, यह हम सब के सामने है.
हालांकि एक वरिष्ठ पूर्व राजनयिक के अनुसार अमेरिका का मत इस बारे में अहम होगा और पाकिस्तान को भरोसा है कि तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत करवाने में उसकी ‘भूमिका’ और ‘प्रभाव’ के मद्देनजर उसे अमेरिका का समर्थन मिल सकता है. लेकिन ऐसा अभी सीधे तौर पर दिखा नहीं है.
वैसे सदस्य देशों में अगर सहमति बन जाती है तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट भी किया जा सकता है, हालांकि कम से कम इस बार तो इस की उम्मीद नहीं है. चीन, तुर्की और मलेशिया पहले भी पाकिस्तान को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करते रहे हैं. आसार तो यही हैं कि अगले हफ्ते की बैठक में पाकिस्तान को आतंक से ठोस और प्रभावी तरीके से निपटने की चेतावनी देते हुए उसे फिलहाल अगले वर्ष फरवरी तक ग्रे सूची में ही रखा जाएगा.
पाकिस्तान को सोचना होगा कि इस तरह की नापाक हरकतें कर वह कब तक कठोर कार्रवाई से बचता रहेगा. विश्व बिरादरी को भी पाकिस्तान के सीमा पार के आतंक और उसकी सबसे बुरी तरह से मार ङोल रहे भारत के सरोकारों और चिंताओं को अत्यधिक गंभीरता व मुस्तैदी से समझना होगा ताकि आतंक के खिलाफ विश्व बिरादरी एकजुट होकर बिना किसी पूर्वाग्रह के लड़ाई लड़ सके.