प्रकाश बियाणी का ब्लाग: बदलाव की प्रचंड आंधी है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
By Prakash Biyani | Published: February 19, 2021 05:44 PM2021-02-19T17:44:59+5:302021-02-19T17:47:36+5:30
डिजिटल इंडिया अब केवल नारा नहीं रहा, देश के भविष्य से जुड़ा संकल्प बन गया है. देश के हर कोने में टेक्नोलॉजी पार्क बन रहे हैं.
टेक्नोलॉजी का विरोध किया जा सकता है, इसे कुछ देर के लिए टाला जा सकता है पर रोका नहीं जा सकता. टेक्नोलॉजी बदलाव की ऐसी प्रचंड आंधी है जो संसार को बदल देती है. 21 वीं सदी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति मनुष्य के संपूर्ण क्रियाकलापों का कायाकल्प करने लगी है. मनुष्य सहित सभी प्राणियों को विधाता से मिली है- प्राकृतिक बुद्धि. मनुष्य से मशीनों को मिली है- कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.
आज हमारे लिए सोचने- विश्लेषण करने से लेकर याद रखने का काम यंत्न कर रहे हैं. स्मार्टफोन को ही ले लीजिए. ये अब केवल परस्पर बातचीत का माध्यम नहीं रहे. ये हमारी निजी टेलीफोन डायरेक्टरी बन गए हैं. हम इनसे ऑनलाइन खरीद करते हैं, बिलों का भुगतान करते हैं, गेम खेलते हैं, मूवी देखते हैं. मशीनें हमारे लिए प्लानिंग, लर्निग, लैंग्वेज प्रोसेसिंग और प्रेजेंटेशन कर रही हैं.
रोबोटिक आर्म्स एक्यूरेट और फास्ट मैन्युफैक्चरिंग कर रहे हैं. सीसीटीवी जासूसी कर रहे हैं. ड्रोन्स सुरक्षा के नए उपकरण बन गए हैं. सेल्फ ड्राइविंग मोटर कारें सड़कों पर दौड़ने लगी हैं. बिना ड्राइवर की मेट्रो ट्रेन हमारे देश में भी आ गई है. कोरोना महामारी के दौर में आर्टि़फिशियल इंटेलिजेंस ने हम सबके लिए घरों को दफ्तर तो बच्चों के लिए क्लास बना दिया. अब हम ड्राइंग रूम में बैठकर बिजनेस मीटिंग्स में हिस्सा लेने लगे हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ही देश को कम लागत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएगा जिससे भारत एशिया का सुपर पावर बनेगा. डिजिटल इंडिया अब केवल नारा नहीं रहा, देश के भविष्य से जुड़ा संकल्प बन गया है. देश के हर कोने में टेक्नोलॉजी पार्क बन रहे हैं. सॉफ्टवेयर का वैसे ही लेखन और पुनर्लेखन हो रहा है जैसे देश के कोने कोने से अखबार छपते और घर-घर पहुंचते हैं. अब जो राज्य और शहर अपने टेक्नोक्रेट्स की कद्र करेंगे वे आगे बढ़ेंगे. वे ही समृद्धि और विकास के नए केंद्र बनेंगे.
तकनीकी बदलाव जिंदगी आसान करता है तो मुश्किलें भी बढ़ाता है. 90 के दशक में बैंकिंग उद्योग में कम्प्यूटर आए थे तब बैंक यूनियनों ने यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी. आज बिना कम्यूटर बैंक काम ही नहीं कर पाते हैं. वर्ल्ड बैंक रिसर्च के अनुसार बिना प्लानिंग के ऑटोमेशन हुआ तो भारत में 70 फीसदी अकुशल श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे, पर कुशल श्रमिकों की मांग बढ़ेगी.
आईटी सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. अब जॉब मार्केट में मनुष्य से मनुष्य का नहीं, बल्कि मनुष्य से मशीनों का मुकाबला है. वे मशीनें जो 24 घंटे काम करती हैं, एक्यूरेट काम करती हैं, तेजी से काम करती हैं, ना-नुकर नहीं करतीं. मशीनों को वे ही मनुष्य हरा रहे हैं जो हुनरमंद हैं.विगत 5 वर्षो से अर्थशास्त्नी शिकायत कर रहे हैं कि इकोनॉमी ग्रो हो रही है पर रोजगार नहीं बढ़ रहा है. यह सही है कि जॉबलेस ग्रोथ ने रोजगार के अवसर घटाए हैं पर स्वरोजगार बढ़ाया है.
अब विरासत में मिला पैसा या यूनिवर्सिटी की भारी भरकम डिग्री अमीर नहीं बनाती. लीक से हटकर सोच और उसे साकार करने के संकल्प, साहस और सूझबूझ के साथ स्टार्टअप स्थापित करने वाले युवा अमीर बन रहे हैं.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी दूसरे ग्रह की बुद्धिमान मशीन का हमला नहीं है पर भविष्य में कृत्रिम बुद्धि मानव बुद्धि से अधिक श्रेष्ठ होगी. मशीन का मस्तिष्क नहीं होता पर आज मशीनों के बिना कई काम नहीं हो सकते.
वैज्ञानिक मशीनों को स्व-निर्णय लेने वाली स्थिति में पहुंचाने में जुटे हुए हैं. उन्हें विश्वास है कि वे मशीनों को बौद्धिक रूप से इतना सक्षम बना देंगे कि वे स्वयं की सूझबूझ से कार्य कर सकें.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से काम करनेवाली मशीनों को वैज्ञानिक उनकी क्षमता के अनुसार विभाजित करते हैं, जैसे वीक एआई यानी संकीर्ण बुद्धिमत्ता वाले उपकरण जो केवल एक प्रकार का कार्य ही करते हैं. स्ट्रॉन्ग एआई का मतलब जो मशीन लगभग मनुष्य जैसी बुद्धिमान हो और सिंगुलेरिटी यानी वह मशीन जो खुद कुछ नया ईजाद कर ले.
भारत का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्केट 45 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है. देश में आज दो हजार से ज्यादा एआई स्टार्टअप्स और 90 हजार से अधिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोफेशनल्स हैं. संक्षेप में कहें तो संसार को आर्टि़फिशियल इंटेलिजेंस ने बदलाव की दहलीज पर खड़ा कर दिया है. बदलाव के इस भूचाल के साथ चलना ही अब हमारी नियति है. यही भविष्य है.