वप्पाला बालाचंद्रन का ब्लॉग: ईरान-इजराइल के हल्के हमलों के मायने
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 24, 2024 12:24 PM2024-04-24T12:24:05+5:302024-04-24T12:25:48+5:30
1979 की खुमैनी क्रांति के साथ द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई, जब इरान में इजराइली दूतावास को बंद कर दिया गया और इसके परिसर को फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को सौंप दिया गया.
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प्रतीकात्मक तस्वीर
क्या 14 और 19 अप्रैल को ईरान-इजराइल के ‘जैसे को तैसा’ हमलों से ‘पूर्ण युद्ध’ शुरू हो जाएगा जैसा कि द टेलीग्राफ (यूके) ने आशंका जताई थी? 1948 में इजराइल के गठन के बाद शुरू में ईरान और इजराइल ने मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे. डेविड बेन गुरियन ने ईरान- एक गैर-अरब देश- को अपने ‘परिधि के सिद्धांत’ के तहत एक ‘प्राकृतिक सहयोगी’ माना.
हालांकि 1951 में, ईरानी प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसाद्देग ने इजराइल के साथ संबंध तोड़ दिए क्योंकि वह इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक चौकी मानते थे. 1953 के एंग्लो-अमेरिकन तख्तापलट ने मोसाद्देग को अपदस्थ कर दिया और मोहम्मद रजा शाह को लाया गया, जिन्होंने इजराइल के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए.
1979 की खुमैनी क्रांति के साथ द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई, जब इरान में इजराइली दूतावास को बंद कर दिया गया और इसके परिसर को फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को सौंप दिया गया. तभी से दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है. इजराइल 2010 से ईरान के वैज्ञानिकों को मारकर उसके परमाणु कार्यक्रमों को बाधित करने की कोशिश कर रहा है.
2017 के बाद से इजराइल सीरिया में ईरान समर्थक मिलिशिया पर सीधे हमला करने की हद तक आगे बढ़ गया है. 2 अप्रैल 2024 को इजराइल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर सीधे मिसाइल हमले का आदेश देकर एक कदम और आगे बढ़ाया, जिसमें ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के दूसरे सबसे वरिष्ठ जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत हो गई.
इन वर्षों में ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई इजराइल के साथ सीधे टकराव से बचते हुए ‘रणनीतिक धैर्य’ की नीति अपना रहे थे. हालांकि दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला ‘धैर्य की सीमा’ को पार कर गया और ईरान को कार्रवाई करनी पड़ी, ताकि वह ‘धारणा’ की लड़ाई न हार जाए. फिर भी, द गार्जियन (यूके) द्वारा साक्षात्कार किए गए सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, 14 अप्रैल को ईरान का इजराइल पर सीधा हमला ‘नपा-तुला और सावधान करके किया गया’ था.
उन्हें लगा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि इस तरह की अग्रिम चेतावनी से ‘इजराइल को कोई नुकसान पहुंचेगा’. 19 अप्रैल, 2024 को, इजराइल ने इस्फहान सैन्य हवाई अड्डे और तबरीज के पास ईरान पर हमला किया. ईरान ने कहा कि उसने कुछ ड्रोन मार गिराए हैं. इस्फहान में कई सैन्य प्रतिष्ठान हैं. इसमें ईरान की परमाणु सुविधाएं भी हैं.
बीबीसी के सुरक्षा संवाददाता फ्रैंक गार्डनर का मानना है कि हमला ‘सीमित, लगभग प्रतीकात्मक, और संभावित रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया था कि संघर्ष आगे न बढ़े.’ ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्ष वैश्विक और घरेलू दर्शकों को प्रभावित करने के स्वांग में लिप्त हैं.
सवाल ये हैं: क्या नेतन्याहू ईरान को और न भड़काने के अमेरिकी दबाव के आगे झुक रहे हैं या क्या इजराइल की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली (एरो-डेविड्स स्लिंग-आयरन डोम) बहुत महंगी है क्योंकि हर बार इसकी लागत कम से कम 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर होती है? या क्या ईरान अपनी पुरानी पड़ चुकी वायु रक्षा प्रणाली ‘बड़े पैमाने पर रूसी एस-200 या एस-300 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों और स्थानीय मिसाइलों से निर्मित’ के साथ आगे के अपने साहसिक कार्यों से झिझक रहा है?