Los Angeles wildfires: जंगल की आग के सामने असहाय अमेरिका?, बाढ़, भूकंप के सामने इंसान लाचार

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: January 15, 2025 03:24 PM2025-01-15T15:24:44+5:302025-01-15T15:25:44+5:30

Los Angeles wildfires:  कैलिफोर्निया प्रांत में लॉस एंजेलिस के 38 हजार एकड़ इलाके में जंगल की आग ने ऐसा विनाश रच दिया, मानो वहां तक किसी ने भारी-भरकम बम फोड़ दिया है.

Los Angeles wildfires America helpless in front forest fire blog Abhishek Kumar Singh Humans still largely helpless face natural disasters like fire, flood, earthquake | Los Angeles wildfires: जंगल की आग के सामने असहाय अमेरिका?, बाढ़, भूकंप के सामने इंसान लाचार

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Highlightsआलम यह है कि इस दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क भी उसके सामने असहाय साबित हुआ.हजारों घर स्वाहा हुए और लाखों लोग विस्थापित हो गए.इलाके में यह आग तब लगी, जब इसके लगने की कोई आशंका नहीं थी.

Los Angeles wildfires: आज से करीब आठ लाख साल पहले इंसान जंगल में ही था, जब उसने आग की खोज की और भोजन पकाने, रोशनी व वन्यजीवों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से आग जलाना शुरू किया. आग के इस इस्तेमाल में उस पर नियंत्रण पाने की जरूरत थी, जिसने इंसान को ताकतवर बनाया. लेकिन आज अमेरिका के जंगलों से फैली आग से हुए विनाश को देखें तो कह सकते हैं कि आग, बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान अभी भी काफी हद तक लाचार है. आलम यह है कि इस दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क भी उसके सामने असहाय साबित हुआ.

चंद रोज में इस मुल्क के कैलिफोर्निया प्रांत में लॉस एंजेलिस के 38 हजार एकड़ इलाके में जंगल की आग ने ऐसा विनाश रच दिया, मानो वहां तक किसी ने भारी-भरकम बम फोड़ दिया है. शुरुआती आकलन कहता है कि अमेरिकी इतिहास की इस सबसे भीषण आग में एक दर्जन से ज्यादा जानें गईं, हजारों घर स्वाहा हुए और लाखों लोग विस्थापित हो गए.

कहने को तो यह सिर्फ जंगल की आग है, लेकिन जिन कारणों से अमेरिका इस बुरी तरह झुलसा है उनसे पूरी दुनिया में यह चिंता फैल रही है कि ऐसा तो कहीं भी और कभी भी हो सकता है. जलवायु परिवर्तन, गर्म और शुष्क मौसम और सूखे की स्थितियों में अमेरिका के इस इलाके में यह आग तब लगी, जब इसके लगने की कोई आशंका नहीं थी.

यानी जिस मौसम में इन इलाकों के जंगल तकरीबन हर साल- दूसरे साल दहकते थे, वह मौसम अभी वहां आया ही नहीं था. जहां तक पर्यावरणीय और वैज्ञानिक कारणों की बात है, तो अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) का कहना है कि पिछले दो दशकों में पश्चिमी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के कारकों की अनदेखी ने जो हालात पैदा किए हैं- वे इस आग के लिए मुख्यतः जिम्मेदार हैं. आम तौर पर वहां मई-जून से अक्तूबर के बीच जंगल की आग संबंधी कुछ घटनाएं हर साल होती रही हैं, लेकिन अब ऐसा लगने लगा है कि इस आग का दायरा बढ़ गया है.

बताया जा रहा है कि इस बार सबसे पहले जंगल की आग कैलिफोर्निया के पैलिसेड्स इलाके में भड़की. आसमानी बिजली या किसी इंसान की करतूत से छोटे स्तर पर जंगल में लगी आग वहां बहने वाली तेज हवाओं के कारण इस कदर बेकाबू हो गई कि वह बेहद बड़ा इलाका देखते-देखते राख हो गया, जहां हॉलीवुड की तमाम हस्तियों के आलीशान घर थे.

जंगल की इस आग को बुझाने के तीन तरीके विशेषज्ञ सुझाते हैं. पहला, मशीनों से जंगलों की नियमित सफाई हो. सूखी पत्तियों और झाड़ियों को समय रहते हटाया जाए, लेकिन यह बेहद महंगा विकल्प है. दूसरा विकल्प यह सुझाया जाता है कि मानव आबादी के नजदीकी जंगलों में नियंत्रित ढंग से आग लगाई जाए ताकि गर्म मौसम में वहां खुद कोई आग न भड़के.

अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में यही किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए भी काफी संसाधन चाहिए. तीसरा यह है कि पर्वतीय इलाकों में पलायन रोक कर जंगलों पर आश्रित व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए, जिससे जंगलों की साफ-सफाई होगी और आग के खतरे कम होंगे.

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