ब्लॉग: हमलों के हाईटेक तरीकों के दौर की आह
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 21, 2024 10:32 IST2024-09-21T10:31:55+5:302024-09-21T10:32:17+5:30
सुरक्षा की जिन चिंताओं को अभी तक कुछ लोग अव्यावहारिक मानकर खारिज कर देते थे, पेजर हमले के बाद अब उन पर ध्यान देने का समय आ गया है, क्योंकि हमले के हाईटेक तरीकों में पिछड़ने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

ब्लॉग: हमलों के हाईटेक तरीकों के दौर की आह
लेबनान में जिस तरह से पेजर, वॉकी-टॉकी, रेडियो, सोलर पैनल तथा अन्य गैजेट में विस्फोट हुए हैं, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इजराइल ने हालांकि इन विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन पूरी दुनिया मानती है कि हिजबुल्लाह को नुकसान पहुंचाने के लिए इजराइल ने ही इन विस्फोटों को अंजाम दिया है। इजराइल का जानी दुश्मन हिजबुल्लाह जानता है कि हाईटेक गैजेट्स का इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है, इजराइल उन्हें बहुत आसानी से हैक करके उसे नुकसान पहुंचा सकता है, 1996 में मोबाइल में विस्फोट कराकर उसने हमास के एक बम बनाने के एक्सपर्ट को मार डाला था।
इसीलिए हिजबुल्लाह पेजर जैसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा था, क्योंकि इसमें सेंध लगा पाना आसान नहीं होता। लेकिन इजराइल के खुफिया संगठन मोसाद ने साबित कर दिया है कि उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। हालांकि अभी भी एकदम पक्के तौर पर तो कुछ भी नहीं मालूम है लेकिन कहा जा रहा है कि उसने कई साल पहले ही अपना आपरेशन शुरू कर दिया था।
मोसाद ने छद्म कंपनियां बनाकर हिजबुल्लाह को पेजर व वॉकी-टॉकी की आपूर्ति करने वाली ताइवान की कंपनी से ठेका हासिल कर लिया था और इन उपकरणों में विस्फोटकयुक्त बोर्ड लगा दिया, जिसमें एक विशेष कोड के जरिये ब्लास्ट किया जा सकता था। अभी कुछ दिन पहले ही हमास के चीफ हानियेह को इजराइल ने ईरान में बेहद रहस्यमय तरीके से विस्फोट करके मार डाला था और उसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है, सिर्फ अटकलें ही लगाई जा रही हैं कि उन्हें किस तरह से मारा गया होगा। इजराइल के ये हमले संकेट दे रहे हैं कि पारंपरिक तरीके से लड़े जाने वाले युद्ध अब बहुत जल्दी इतिहास बनकर रह जाने वाले हैं।
जमाना अब हाईटेक युद्धों का आने वाला है। इसकी शुरुआत भले ही इजराइल ने की हो लेकिन पूरी दुनिया को इसे अपनाते देर नहीं लगेगी। असंभव नहीं है कि पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में कसने की इच्छा रखने वाला चीन इस दिशा में गुपचुप तरीके से काम कर रहा हो और अब तक काफी प्रगति कर चुका हो। चीन की तकनीकें हमेशा शक के दायरे में रही हैं। द टाइम्स की इस साल जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार चीन में बनी कारों, घरेलू उपकरण और लाइटबल्ब में माइक्रोचिप से जासूसी की जा सकती है। साथ ही चाइनीज लैपटॉप, वॉइस कंट्रोल स्मार्ट स्पीकर, स्मार्टवॉच, स्मार्ट एनर्जी मीटर और फ्रिज से इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से जासूसी की जा सकती है।
पूरी दुनिया में निर्यात किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चीन की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है। चीन की दूरसंचार कंपनी हुआवेई द्वारा जासूसी को लेकर कई साल से बीजिंग और अमेरिका के बीच टकराव जारी है। जर्मनी ने भी जासूसी के खतरे के मद्देनजर अगले 5 साल में अपने 5जी वायरलेस नेटवर्क से हुआवेई और चीनी दूरसंचार कंपनी जेडटीई के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को हटाने का निर्देश दिया है।
भारत सरकार ने भी टेलिकॉम कंपनियों को 4जी और 5जी रोलआउट में चाइनीज टेलिकॉम गियर से दूर रहने को कहा है। जर्मनी और भारत की तरह अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान ने भी 5जी नेटवर्क में चाइनीज प्रोडक्ट और उनकी कंपनियों को बैन किया है। सुरक्षा की जिन चिंताओं को अभी तक कुछ लोग अव्यावहारिक मानकर खारिज कर देते थे, पेजर हमले के बाद अब उन पर ध्यान देने का समय आ गया है, क्योंकि हमले के हाईटेक तरीकों में पिछड़ने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।