Israel-Hamas ceasefire highlights: नफरत को पूरी तरह दफन कर दें इजराइल और हमास
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 21, 2025 01:32 PM2025-01-21T13:32:48+5:302025-01-21T13:33:51+5:30
Israel-Hamas ceasefire highlights: जो बाइडेन अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएंगे और युद्ध खत्म हुए बिना ही उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा.

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Israel-Hamas ceasefire highlights: सारी अनिश्चितता के बाद अंतत: गाजा में युद्ध विराम लागू हो गया. लगभग 50 हजार लोगों की जान लेने वाले इस युद्ध को खत्म करने के लिए इजराइल और छापामार संगठन हमास राजी हो गया. अपने कार्यकाल के आखिरी कुछ दिनों में अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन इजराइल तथा हमास के बीच समझौता करवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे थे और अंतत: वह अपने उद्देश्य में सफल रहे. पिछले तीन दिनों से युद्ध विराम समझौते को लेकर अनिश्चितता के बादल छाए हुए थे.
ऐसा लग रहा था कि बाइडेन अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएंगे और युद्ध खत्म हुए बिना ही उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा. बंधकों की अदला-बदली को लेकर इजराइल तथा हमास के बीच गतिरोध बना हुआ था मगर अंत में सबकुछ ठीक हो गया और बाइडेन को अपने कार्यकाल को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के साथ खत्म करने में सफलता मिल गई.
यह युद्ध 15 महीने चला. हमास ने इजराइल पर अचानक हमला कर सैकड़ों नागरिकों की जान ले ली थी. इजराइल ने भी जवाबी हमला किया और इसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच युद्ध शुरू हो गया. शुरू में ऐसा लग रहा था कि युद्ध जल्दी खत्म हो जाएगा क्योंकि हमास पर जवाबी हमला कर इजराइल ने अपने नागरिकों की मौत का बदला ले लिया.
लेकिन दोनों पक्षों के आक्रामक तथा अड़ियल रवैये के कारण युद्ध सवा साल तक खिंच गया. युद्ध को खत्म करने में अमेरिका के अलावा मिस्र ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. सात अक्तूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर हमला करने के बाद 251 इजराइली नागरिकों को बंधक भी बना लिया था. इसमें से कुछ को आजाद करवाने में इजराइल कामयाब रहा लेकिन उसका दावा है कि 90 से ज्यादा इजराइली अभी भी हमास के कब्जे में हैं. समझौते के तहत एक इजराइली बंधक रिहा होने पर इजराइल 30 फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त कर देगा.
इजराइल छह चरणों में लगभग 1900 फिलिस्तीनियों को रिहा कर देगा. इस समझौते से विश्व ने राहत की सांस ली है. इसने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका पैदा कर दी थी. युद्ध के कारण विश्व दो खेमों में बंट गया था. एक का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था जबकि रूस तथा ईरान की सहानुभूति हमास के साथ थी. इस युद्ध ने पश्चिम एशिया को अमेरिका तथा रूस के बीच एक और शक्ति परीक्षण का अखाड़ा बना दिया था.
दोनों ही महाशक्तियां इस युद्ध की आड़ में एशिया में अपने सामरिक प्रभुत्व का विस्तार करना चाहती थीं. फिलहाल युद्ध खत्म करवा कर अमेरिका ने बाजी मार ली है. वैसे ईरान इसे हमास की जीत बता रहा है. मुस्लिम जगत में युद्धविराम समझौते को लेकर जश्न का माहौल है क्योंकि अरब मुल्कों के विरुद्ध इजराइल ने संभवत: पहली बार इतना लचीला रुख अपनाया है और हमास की कुछ शर्तों को मानने पर राजी हुआ है. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फिलिस्तीनियों के प्रति सख्त रवैये के लिए जाने जाते हैं. फिलिस्तीनी उन्हें फूटी आंखों नहीं सुहाते.
वह फिलिस्तीनियों का अलग मुल्क बनते देखना नहीं चाहते. इसीलिए फिलिस्तीन पर हमला करने का कोई मौका वह नहीं चूकते. इस युद्ध को खत्म करने के लिए नेतन्याहू पर इजराइली जनता का भारी दबाव था. उन्हें लगातार जनाक्रोश का सामना भी करना पड़ रहा था. उनके देश की जनता नहीं चाहती थी कि हमास पर हमले की आड़ में फिलिस्तीनियों पर अमानवीय कहर ढाया जाए.
भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इजराइल में पहले से नेतन्याहू के विरुद्ध आक्रोश था जो युद्ध के कारण चरम पर पहुंच गया. युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका भी नेतन्याहू पर दबाव बनाए हुए था. युद्ध के दौरान मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाले दृश्य सामने आए. अस्पतालों पर हमले हुए. बुजुर्ग, बच्चे तथा महिलाएं इजराइली हमलों का निशाना बने.
हमास के कब्जे वाले क्षेत्र में लाखों फिलिस्तीनी पीने के पानी तथा अनाज के एक-एक दाने के लिए तरस गए थे. इजराइल ने वैश्विक दबाव के बावजूद लंबे समय तक युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता पहुंचने नहीं दी. इससे नेतन्याहू के साथ-साथ इजराइल की छवि भी धूमिल हो हुई. इस युद्ध से इजराइल और हमास दोनों किसी मकसद में कामयाब नहीं हुए.
हमास ने कसम खा रखी थी कि वह इजराइल की कमर तोड़ देगा और नेतन्याहू ने कसम खाई थी कि वह हमास का नामोनिशान मिटा देंगे. दोनों अपने लक्ष्य में सफल नहीं हुए लेकिन उन्होंने हजारों निर्दोष लोगों के खून से अपने हाथ जरूर रंग लिए और तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका पैदा कर दी. युद्ध से हमास कमजोर जरूर हुआ है लेकिन वह फिर से खुद को मजबूत बना लेगा.
इजराइल को भी युद्ध में भारी नुकसान हुआ है. युद्ध से उसकी अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता. इजराइल तथा फिलिस्तीनियों को सहअस्तित्व के सिद्धांत का सम्मान करना होगा. शांति में ही दोनों पक्षों की भलाई है. दोनों पक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे एक-दूसरे के प्रति नफरत को पूरी तरह दफन कर दें. तभी युद्ध विराम समझौता कारगर होगा.