ब्लॉग: आदिवासियों की देशज ज्ञान परंपरा मानवता के लिए अमूल्य धरोहर

By राजेश बादल | Published: August 9, 2024 01:57 PM2024-08-09T13:57:58+5:302024-08-09T13:59:47+5:30

यह नारा था अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोही आदिवासी जननायकों का, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत, महाजनी प्रथा और अंग्रेजों द्वारा नियुक्त किए गए सामंतों के शोषण के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ी. लेकिन देश की आजादी के 75 साल बाद भी भारत के लगभग 700 आदिवासी जनजाति समुदाय, जिनकी जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है. 

Indigenous knowledge tradition of tribals is an invaluable heritage for humanity | ब्लॉग: आदिवासियों की देशज ज्ञान परंपरा मानवता के लिए अमूल्य धरोहर

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsविश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.विश्व आदिवासी दिवस का महत्व केवल आदिवासी समुदायों के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र मानवता के लिए है.

विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. विश्व आदिवासी दिवस का महत्व केवल आदिवासी समुदायों के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र मानवता के लिए है. ‘अबुआ दिशुम, अबुआ राज’ मतलब अपना देश, अपना राज. 

यह नारा था अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोही आदिवासी जननायकों का, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत, महाजनी प्रथा और अंग्रेजों द्वारा नियुक्त किए गए सामंतों के शोषण के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ी. लेकिन देश की आजादी के 75 साल बाद भी भारत के लगभग 700 आदिवासी जनजाति समुदाय, जिनकी जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है. 

आज भी जल, जंगल, जमीन और खनिज के संरक्षण की लड़ाई के साथ अपनी परंपरा, संस्कृति, रीति-रिवाज और आदिवासी अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 9 अगस्त का दिन आदिवासी समुदाय की अपनी भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा , रीति-रिवाज और परम्पराओं को जिंदा रखने के लिए आवश्यक संरक्षण उपलब्ध करवाने के साथ-साथ उनके पारम्परिक अधिकार के लिए संकल्पबद्ध होने का दिन है. 

वर्तमान में जहां एक ओर हर समाज और व्यक्ति अपने विकास के लिए चांद और मंगल की ऊंचाइयों को छूना चाहता है वहीं दूसरी ओर आदिवासी समुदाय ही एकमात्र ऐसा समुदाय है जो अपनी अस्मिता, अस्तित्व और समान अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्षरत है. विश्व आदिवासी दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम आदिवासी समुदायों के प्रति संवेदनशील रहें और उनके अधिकारों, संस्कृति और विकास के लिए काम करें.

आदिवासियों की देशज ज्ञान परंपरा न केवल उनके समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समग्र मानवता के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है. आदिवासी समुदाय अन्य समाजों की तुलना में ज्यादा आत्मनिर्भर है और मानव कल्याण के लिए खनिज संपदा और पर्यावरण का संरक्षण करता है. आदिवासी समुदाय सदियों से पुनर्योजी कृषि करते आ रहे हैं, जिसमें फसल चक्र, अंतर-फसल, और कार्बनिक पदार्थों के साथ मिट्टी को पुनर्जीवित करने जैसी प्रथाएं शामिल हैं. 

विश्व आदिवासी दिवस भारत के लिए इसलिए भी विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु वनवासी समुदाय से जुड़ी होने के साथ-साथ एक महिला हैं, जिन्होंने प्रकृति एवं पर्यावरण के संकटों को करीब से देखा है. तभी उन्होंने कहा कि मेरा तो जन्म उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है. 

मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है. हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं. जल, जंगल और जमीन इन तीन तत्वों से पृथ्वी और प्रकृति का निर्माण होता है. यदि यह तत्व न हों तो पृथ्वी और प्रकृति इन तीन तत्वों के बिना अधूरी है. विश्व आदिवासी दिवस मनाने की सार्थकता तभी है जब हम इस जीवंत समाज को उसी के परिवेश में उन्नति के नए शिखर दें.

Web Title: Indigenous knowledge tradition of tribals is an invaluable heritage for humanity

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