ब्लॉग: कितनी बार अपने ही संस्थापक बंग-बंधु को मारेगा बांग्लादेश?

By आरके सिन्हा | Published: August 8, 2024 11:17 AM2024-08-08T11:17:30+5:302024-08-08T11:17:43+5:30

टाटा ग्रुप को ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा बताने वाले भूल गए थे कि टाटा ग्रुप भारत से बाहर दर्जनों देशों में  स्वच्छ, स्वस्थ और पारदर्शितापूर्ण कारोबार करता है। वहां पर तो उस पर कभी कोई आरोप नहीं लगाता।

How many times will Bangladesh kill its own founder Bangabandhu? | ब्लॉग: कितनी बार अपने ही संस्थापक बंग-बंधु को मारेगा बांग्लादेश?

ब्लॉग: कितनी बार अपने ही संस्थापक बंग-बंधु को मारेगा बांग्लादेश?

शेख हसीना का इस्तीफा बांग्लादेश के लिए एक दुखद अध्याय के रूप में याद किया जाएगी। उतनी ही दुखद वे तमाम छवियां हैं, जिन्हें सारी दुनिया टेलीविजन पर देख रही है। इनमें सैकड़ों लोग बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा पर चढ़कर उसे हथौड़े मारकर तोड़ रहे हैं।

जिस बंगबंधु की कुर्बानियों के चलते बांग्लादेश का 1971 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद जन्म हुआ था, उनकी प्रतिमाओं को तोड़ा जा रहा है और पूरी दुनिया इसे देख रही है। मैं तो उन चंद युद्ध संवाददाताओं में एक था जिसने बांग्लादेश  के ‘राष्ट्रपिता’ कहे जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम के नेता शेख मुजीब के पराक्रम, चमत्कार और करिश्माई नेतृत्व को मुक्तिवाहिनी के संघर्ष से लेकर भारत-पाक के युद्ध के बाद बांग्लादेश की स्वतंत्रता तक नजदीक से देखा है।

फिर यह भी देखा है कि 1975 में किस तरह उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों (विदेश में रह रही हसीना बच गई थीं) की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी। अब उनकी बेटी और बांग्लादेश को प्रगति के रास्ते पर लेकर जाने वाली शेख हसीना को भी निर्वाचित प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान, जो इस साल 23 जून से पद पर हैं, ने एक ‘अंतरिम सरकार’ का वादा किया है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि आदेश कौन देगा. उन्होंने विपक्षी दलों से बात की है. उन्होंने शेख हसीना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को रिहा कर दिया है। खालिदा जिया के प्रधानमंत्रित्व काल में बांग्लादेश आतंकवाद का केंद्र बन गया था।

खालिदा जिया घनघोर भारत विरोधी रही हैं. उनकी रिहाई से भारत की विदेश नीति को तय करने वाले चिंतित जरूर होंगे। खालिदा जिया जब अपने देश की प्रधानमंत्री थीं तब वहां टाटा ग्रुप की इनवेस्टमेंट करने की योजना का डटकर विरोध हुआ था।

उसे हवा खालिदा की बांग्लादेश  नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ही दे रही थी। टाटा ग्रुप की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की जा रही थी। टाटा ग्रुप को ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा बताने वाले भूल गए थे कि टाटा ग्रुप भारत से बाहर दर्जनों देशों में  स्वच्छ, स्वस्थ और पारदर्शितापूर्ण कारोबार करता है। वहां पर तो उस पर कभी कोई आरोप नहीं लगाता।

यह अफसोसजनक बात है कि बांग्लादेश में हिंदू कतई सुरक्षित नहीं हैं। जबकि बांग्लादेश में सदियों से बसे हिंदुओं ने बंग-बंधु के नेतृत्व में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

खैर, बांग्लादेश अब तो एक गहरे संकट में जा चुका है। अब इस बात की उम्मीद कम ही है कि वहां पर जिंदगी निकट भविष्य में पटरी पर लौट जाएगी। जो देश अपने संस्थापक का अपमान करता हो, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। 

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