ब्लॉग: अमेरिकी समाज हिंसा से मुक्त कैसे हो...क्या है रास्ता?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 24, 2023 12:32 PM2023-01-24T12:32:18+5:302023-01-24T12:35:31+5:30
अमेरिका का पूंजीवादी समाज मूलतः उपभोक्तावादी समाज बन गया है. असल बात ये है कि हिंसा से बचने के लिए हथियार रखने की निर्बाध परंपरा ने अमेरिका में निर्बाध हिंसा को पैदा किया है.
अमेरिका दुनिया का सबसे संपन्न और शक्तिशाली देश है लेकिन यह भी सच है कि वह सबसे बड़ा हिंसक देश भी है. जितनी हिंसा अमेरिका में होती है, दुनिया के किसी देश में नहीं होती. अभी-अभी लॉस एंजिलिस के एक कस्बे में एक बंदूकधारी ने कहर ढा दिया. 60 हजार लोगों के इस कस्बे में एशियाई मूल के लोग बहुतायत में हैं, खास तौर से चीनी लोग. वे चीनी नववर्ष का उत्सव मना रहे थे और उसी समय एक बंदूकधारी ने 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
कई लोग घायल भी हो गए.
यह इस नए साल की पहली घटना नहीं है. ऐसी घटनाएं आए दिन अमेरिका में होती रहती हैं. पिछले साल बंदूक की गोलियां खाकर 40 हजार लोगों ने अपने प्राणों से हाथ धोए हैं. क्या इतनी हत्याएं किसी और मुल्क में कभी होती हैं? इतने लोग तो बड़े-बड़े युद्धों में भी नहीं मारे जाते. तो क्या हम मान लें कि अमेरिका सदा युद्ध की स्थिति में ही रहता है?
अमेरिका में इतनी शांति और सद्भाव रहना चाहिए कि दुनिया में उसका कोई देश मुकाबला ही न कर सके. चीन और भारत जैसे देश अमेरिका से 4-5 गुना बड़े देश हैं लेकिन उनमें क्या इतनी हिंसा होती है? यहां असली सवाल यह है कि क्या पैसे और डंडे के जोर पर आप शांति और सद्भाव खरीद सकते हैं?
सच्चाई तो यह है कि अमेरिका का पूंजीवादी समाज मूलतः उपभोक्तावादी समाज बन गया है. सारे लोग सिर्फ एक ही माला जपते हैं- अंधाधुंध पैसा कमाओ और अंधाधुंध खर्च करो. हमारे लोग भी भाग-भागकर अमेरिका में क्यों जा बसते हैं? उसके पीछे पैसा ही कारण है लेकिन भारतीयों का संस्कार कुछ ऐसा है कि वे मर्यादा में रहना पसंद करते हैं.
हिंसा से बचने के लिए हथियार रखने की निर्बाध परंपरा ने निर्बाध हिंसा को पैदा किया है. अमेरिका में त्यागवाद और हथियार मुक्ति की परंपरा जब तक कायम नहीं होगी, ऐसी घटनाएं होती ही रहेंगी.