Bangladesh ISKCON: बांग्लादेश आखिर किस भविष्य की ओर बढ़ रहा है?, हालात बद से बदतर
By शोभना जैन | Published: November 30, 2024 05:15 AM2024-11-30T05:15:02+5:302024-11-30T05:15:02+5:30
Hindus Safe In Bangladesh, No Plan To Ban ISKCON: बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जेल भेजने के बाद माहौल तनावपूर्ण है.
Hindus Safe In Bangladesh, No Plan To Ban ISKCON: राजनीतिक अस्थिरता में फंसे बांग्लादेश में हालात दिनोंदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. इसी अस्थिरता की स्थिति में धार्मिक कट्टरता हावी होती जा रही है. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों के उत्पीड़न, उनके धार्मिक स्थलों, व्यापारिक ठिकानों, घरों पर दिनोंदिन हमले, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जेल भेजने के बाद माहौल तनावपूर्ण है.
भारत के अनेक राजनेताओं, धर्मगुरुओं ने इन घटनाओं की तीव्र आलोचना करते हुए चिन्मय दास की अविलंब रिहाई की मांग की है. गौरतलब है कि बांग्लादेश में कुछ लोगों ने इस्कॉन पर सांप्रदायिक अशांति फैलाने का आरोप लगाते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और इस संबंध में एक कानूनी नोटिस भी भेजा गया है.
दूसरी तरफ बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक तरह से अतिवादियों को यह कह कर संरक्षण दे दिया कि हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं को जरूरत से ज्यादा तूल दिया जा रहा है. जबकि स्वयं उन्हीं के देश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने यूनुस के इस बयान पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि यूनुस हिंदुओं पर हिंसा की घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए स्थिति की गंभीरता को कम आंकने के प्रयासों में जुटे हैं. उधर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ कर जा चुकी हैं.
फिलहाल देश में यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार है. दिलचस्प बात यह है कि इस सबके बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री तथा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया को 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषमुक्त कर दिया गया है. खालिदा को इस अपराध में सात साल की सजा सुनाई गई थी.
बांग्लादेश जबकि घोर अस्थिरता और उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में खालिदा की रिहाई के आखिर क्या मायने हैं, राजनैतिक पटल पर उनकी भूमिका क्या हो सकती है? भारत के अनेक प्रतिपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है. बांग्लादेश के एक जानकार के अनुसार स्वतंत्रता के बाद से यहां कभी भी ऐसा माहौल नहीं रहा जहां अल्पसंख्यक अपने आपको इतना असुरक्षित महसूस करते हों. आंकड़ों के अनुसार बांग्लादेश की आबादी में लगभग आठ प्रतिशत की हिस्सेदारी हिंदुओं की है.
भारत ने बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता चिन्मय दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं दिए जाने पर गहरी चिंता जताई है. बांग्लादेश न केवल भारत का महत्वपूर्ण भू-राजनैतिक सहयोगी है, बल्कि सामरिक दृष्टि से भारत के लिए काफी अहम है. उसकी भूमि तीन ओर से भारत की सीमाओं से घिरी है और चौथी ओर बंगाल की खाड़ी है.
सबसे अहम है कि दोनों देशों की जनता गहरे भावनात्मक रिश्तों से जुड़ी है, दोनों के गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते हैं. कई बार दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव भी आए लेकिन यहां कभी भी ऐसा माहौल नहीं रहा कि अल्पसंख्यक अपने आपको इतना असुरक्षित महसूस करें.
उम्मीद की जानी चाहिए कि बांग्लादेश में जल्द राजनीतिक अस्थिरता समाप्त होगी जिससे सामाजिक समरसता का माहौल बहाल हो सकेगा. शांतिपूर्ण स्थिर बांग्लादेश न केवल भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों के लिए अच्छा है, बल्कि वह इस क्षेत्र के लिए भी बेहतर है.