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निष्पक्ष होंगे मालदीव में चुनाव?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: September 14, 2018 13:40 IST

भारत ने मालदीव से कहा भी है कि वह चुनावों से पहले वहां लोकतंत्न की बहाली करे क्योंकि स्वतंत्न तथा निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल माहौल होना आवश्यक है।

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-शोभना जैनमालदीव के  राष्ट्र्पति अब्दुल्ला यामीन देश में राजनीतिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक संस्थाओं के दमनचक्र  के बीच आगामी राष्ट्रपति चुनाव में गड़बड़ी होने के विपक्ष के तमाम आरोपों, आशंकाओं और अंतर्राष्ट्रीय जगत की चिंताओं को दरकिनार कर  देश में अगले पखवाड़े यानी 23 सितंबर को चुनाव कराने पर आमादा हैं। इस चुनाव में विपक्षी गठबंधन तथा मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के विपक्ष के साझा उम्मीदवार   ने आशंका व्यक्त की है कि सरकार इन चुनावों मे गड़बड़ी करवाएगी।  

गौरतलब है कि भारत, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व समुदाय मालदीव की संसद, न्यायपालिका जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं को स्वतंत्न तथा निष्पक्ष तरीके से काम करने का अवसर दिए बिना देश में चुनावों के ऐलान पर चिंता जता चुका है। इन सभी का कहना है कि पहले देश में राजनीतिक स्थिरता लाई जाए। चुनावों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए संसद तथा न्यायपालिका सहित लोकतांत्रिक संस्थाओं की बहाली हो और फिर चुनाव हों। भारत ने कहा कि वह चाहता है कि चुनावों से पहले वहां राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली हो तथा विधिसम्मत शासन की स्थापना हो।

भारत ने मालदीव से कहा भी है कि वह चुनावों से पहले वहां लोकतंत्न की बहाली करे क्योंकि स्वतंत्न तथा निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल माहौल होना आवश्यक है।  पड़ोस में लोकतांत्रिक व्यवस्था का होना क्षेत्न की शांति, सुरक्षा के लिए अहम है और वैसे भी पड़ोसी मालदीव सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए खासा महत्वपूर्ण है। इसी नाते भारत की भी इन चुनावों पर नजर है।  दूसरी तरफ मालदीव को अपना प्रभाव क्षेत्न बनाने वाले चीन की इन चुनावों पर खास नजर है और वह चाहता है किसी भी तरह यामीन गद्दी से नहीं हटें।

और यामीन ने पिछले कुछ समय से मालदीव के पुराने मित्न रहे भारत की उपेक्षा कर जिस तरह से चीन की पैठ अपने देश में बनवाई है वह इस बात का सबूत है।  चीन मालदीव सहित सेशल्स, नेपाल जैसे क्षेत्न के देशों में मदद और कर्ज के नाम पर अपना जाल बिछा रहा है। मालदीव में भी उसने वहां आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए बड़े ठेके हासिल किए। मालदीव की बाहरी मदद का 70 फीसदी हिस्सा अकेले चीन देता है। चीन  पहले से ही अपना सैन्य बेस मालदीव में बनाने के जुगाड़ में है। इसीलिए उसका प्रयास है कि किसी तरह यामीन गद्दी पर बने रहें।

(शोभना जैन स्तंभकार हैं)

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