राजेश बादल का ब्लॉगः अमेरिका में भारतवंशियों को लुभाने की कोशिश
By राजेश बादल | Published: August 18, 2020 06:20 AM2020-08-18T06:20:37+5:302020-08-18T06:20:37+5:30
राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में उन्होंने भारत -अमेरिका परमाणु समझौता कराने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने वादा किया कि भारत सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, उनसे निपटने में उनके जीतने पर अमेरिका हरदम भारत के साथ खड़ा रहेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यकीनन तनिक राहत की सांस ले रहे होंगे. उनके डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन ने अमेरिकी मुस्लिमों के लिए विजन डॉक्युमेंट जारी कर अपनी परेशानी कुछ बढ़ा ली है. अभी तक वे सारे कदम फूंक-फूंक कर रखते आए थे. इसीलिए सारे पूर्वानुमानों में उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प पर अच्छी खासी बढ़त बनाई हुई थी. लेकिन अमेरिकी मुसलमानों के लिए जारी दृष्टि दस्तावेज में उन्होंने भारत की कश्मीर नीति की आलोचना कर भारतीय मूल के हिंदू वोटों को नाराज कर लिया.
विजन डॉक्युमेंट में जो बिडेन ने कहा था कि भारत सरकार ऐसे सभी कदम उठाए, जिससे कश्मीरियों के अधिकार बहाल हो सकें. उन्होंने कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध पर पाबंदी, इंटरनेट बंद करने और अन्य पाबंदियां लगाने जैसे फैसलों से गणतंत्न कमजोर होता है. बिडेन यहीं नहीं रुके. उन्होंने असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी निराशा का इजहार किया. उनकी राय थी कि भारत सरकार के इस सीमांत प्रदेश के बारे में लिए गए फैसले मुल्क की धर्मनिरपेक्ष परंपरा और संविधान के अनुरूप नहीं हैं.
इसके बाद उनकी पार्टी को शायद गलती का अहसास हुआ. डेमोक्रेटिक दल ने कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनकर भारतीयों की चोट पर मरहम लगाने का प्रयास किया. कमला के समर्थन में जो बिडेन ने कहा था, ‘मुङो ऐसे शख्स का साथ चाहिए जो स्मार्ट हो, कड़ी मेहनत करे और नेतृत्व के लिए तैयार रहे. कमला वो शख्सियत हैं.’ पर यह दांव भी बहुत कारगर नहीं कहा जा सकता क्योंकि कमला हैरिस खुद भी हिंदुस्तान की मौजूदा कश्मीर नीति की अनेक बार सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर चुकी हैं. इसी आधार पर साफ-सुथरी छवि और कुशल प्रशासक होते हुए भी कमला को भारतीयों का व्यापक समर्थन नहीं मिलने की बात कही जा रही है.
इसके बाद बिडेन ने अमेरिका में भारतीय हिंदुओं के लिए भी अलग से एक दृष्टि दस्तावेज (विजन डॉक्युमेंट) जारी किया. इसमें उन्होंने पिछले दृष्टि दस्तावेज से बनी खाई को पाटने की कोशिश की. इसमें पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा गया कि भारत में सीमा पार से आतंकवादी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. जो बिडेन ने कहा कि भारतीयों को उन पर और कमला हैरिस पर भरोसा रखना चाहिए. अमेरिका में आर्थिक सुधारों में भारतीयों की भूमिका महत्वपूर्ण है.
जो बिडेन को इस भूल का खामियाजा भुगतने का भय इस हद तक था कि हिंदुस्तान के स्वतंत्नता दिवस के दिन खास तौर पर कमला हैरिस और उन्होंने वीडियो संदेश जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि भारत के लोग अमेरिका के लोगों की सहायता से देश को आगे ले जा सकते हैं. उन्होंने उन दिनों को याद किया, जब भारत में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्नी थे और अमेरिका में वे उपराष्ट्रपति.
राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में उन्होंने भारत -अमेरिका परमाणु समझौता कराने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने वादा किया कि भारत सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, उनसे निपटने में उनके जीतने पर अमेरिका हरदम भारत के साथ खड़ा रहेगा. जो बिडेन को भारतीय मूल के मतदाताओं को लुभाने के लिए अब पापड़ बेलने पड़ रहे हैं. लेकिन तरकश से निकला हुआ तीर वापस नहीं लौटता.
डोनाल्ड ट्रम्प भारतवंशी मतदाताओं के इलाके में हयूस्टन रैली याद करना नहीं भूलते. लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ भी अनेक अवसरों पर बेरु खी दिखाई है. उनका अस्थिर चित्त, बड़बोलापन और मीडिया में लगातार विरोध आज उनकी मुश्किल बन गया है. वे भारत की कई बार खिल्ली उड़ा चुके हैं. अमेरिकी भारतीय इससे बखूबी वाकिफ हैं. डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ एक बात यह भी है कि अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की पहली और स्वाभाविक पसंद डेमोक्रेटिक पार्टी है. अधिकतर कर्मचारी, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग की पहली पसंद यही दल है.
ट्रम्प जब से राष्ट्रपति बने हैं, इस वोट बैंक को लुभाने का कोई अवसर नहीं छोड़ते. मुल्क के करीब एक दर्जन राज्यों में भारतीय मूल के लोगों की जनसंख्या बहुतायत में है. इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और मुस्लिम धर्मावलंबी हैं. बताने की जरूरत नहीं कि अमेरिका में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोग आज भी बेहद सौहाद्र्र और मेलजोल से रहते हैं. उनके बीच हिंदुस्तान और पाकिस्तान की आबादी जैसा शत्नुता भाव नहीं है.
यह सही है कि कश्मीर के मामले में जो बिडेन ने गलती जरूर की है, पर भारतवंशियों के लिए उनका दृष्टि पत्न निश्चित रूप से भरपाई करता है.
डेमोक्रेटिक पार्टी ने हिंदुस्तान के सभी धर्मो के लोगों की सुरक्षा का वादा किया है, नौकरीपेशा लोगों को परिवार रखने की छूट देने का वादा किया है, चीन के खिलाफसाथ आने की गारंटी दी है, नौकरियों के लिए वीजा संख्या बढ़ाने का वादा किया है, भारत के शोध छात्नों पर लगी रोक हटाने की बात कही है और नस्ली भेदभाव रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का वचन दिया है. एक पढ़े-लिखे देश का राष्ट्रपति बनने के लिए निर्णायक वोटों का समर्थन मिल जाए तो जो बिडेन को और क्या चाहिए.