ब्लॉग: खुशहाल भारत के सपनों को साकार करता दीप पर्व
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 1, 2024 08:10 AM2024-11-01T08:10:29+5:302024-11-01T08:10:33+5:30
समस्याएं तथा चुनौतियां अब भी हैं लेकिन देशवासियों की एकजुटता से उन पर उसी तरह हम विजय पा लेंगे जिस तरह भगवान राम ने रावण पर विजय हासिल की थी.
अंधकार को नष्ट कर उजले भविष्य की रोशनी बिखरने वाली दीपावली पर पूरा देश उल्लास से सराबोर है. लोकतंत्र के पर्व के बीच इस बार दीप पर्व आया है और एक सजग नागरिक के तौर पर हमें देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करवा रहा है. इस वर्ष लोकसभा चुनाव में देशभर में लोकतंत्र की रोशनी जगमगाई.
उसके कुछ माह बाद दीपावली के ठीक पहले जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के सफल आयोजन ने लोकतंत्र में आप आदमी के सर्वोत्तम स्थान को रेखांकित किया. आज जब हम दीपावली मना रहे हैं तो महाराष्ट्र तथा झारखंड में लोकतंत्र के दीपक जगमगाने लग गए हैं.
इस बार की दीपावली सिर्फ सफल चुनावों के लिए ही खास नहीं है. यह दीपावली उल्लास मनाने के कई अवसर दे रही है. भारत ने चीन को पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग में अपनी सेनाएं पीछे हटाने को मजबूर किया. चीन पर भारत की यह बेहद महत्वपूर्ण कूटनीतिक एवं सामरिक विजय है. 30 अक्तूबर को इन दोनों टकराव बिंदुओं से चीनी सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा हो गया.
सद्भावना का परिचय देते हुए भारत ने भी अपनी सेनाएं पीछे हटा लीं. इस वर्ष के दीप पर्व ने किसानों के चेहरे भी खिला दिए हैं. मानसून अच्छा रहा और कुछ क्षेत्रों में अतिवृष्टि के बावजूद कृषि उत्पादन नया रिकार्ड बनाने जा रहा है. शेयर मार्केट में आम आदमी के निवेश में भारी वृद्धि, सोने की खरीददारी के प्रति लगातार बढ़ता सम्मान तथा बाजारों में उमड़ रही जबर्दस्त भीड़ ने दीपावली का उत्साह द्विगुणित कर दिया है क्योंकि ये सब गतिविधियां इस बात का प्रतीक हैं कि देश खुशहाल होता जा रहा है और 2047 में विकसित भारत का सपना साकार होकर रहेगा. यह दीपावली इसलिए भी खास है कि चंद्रमा पर भारत ने अपने सुपुत्र को भेजने के मिशन को पूरा करने की दिशा में तैयारियां शुरू कर दीं.
2040 में चंद्रमा पर भारत माता के सुपुत्र के कदम पड़ सकते हैं. रक्षा उत्पादन में भी हम आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं. वडोदरा में सैन्य विमानों के निर्माण के केंद्र की स्थापना ने भी इस साल दीपावली पर हमारी बढ़ती ताकत का पूरा प्रकाश फैलाया है. भारत में दीपावली महज एक धार्मिक संप्रदाय का पर्व नहीं है. यह सामाजिक सद्भाव तथा अनेकता में एकता का संदेश देता है. हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है.
यह विविधता भारत में दीपावली के दिन एकता के रूप में साकार हो जाती है. पिछले दस वर्षों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी के अभिशाप से मुक्त हो गया है. इससे दीपावली की रौनक कई गुना बढ़ गई है. ऐसे में कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ये पंक्तियां सहज ही याद आ जाती हैं, ‘जब तन-मन जीवन सज जाएं/ सद्भाव के बाजे बज जाएं/ महकाएं खुशबू खुशियों की/ मुस्काए चंदनिया सुधियों की/ तृप्ति की आभा होती है/ उस रोज दिवाली होती है.’
अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी के लिए लंबा संघर्ष तथा त्याग करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने समृद्धि, सद्भाव, शांति, एकतायुक्त तथा तमाम बुराइयों से मुक्त भारत का सपना देखा था. आज दीप पर्व पर हम गर्व के साथ कह सकते है. कि भारत उनके सपनों का देश बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और वह दिन दूर नहीं जब उनके सपनों का भारत सही अर्थों में साकार हो जाएगा. समस्याएं तथा चुनौतियां अब भी हैं लेकिन देशवासियों की एकजुटता से उन पर उसी तरह हम विजय पा लेंगे जिस तरह भगवान राम ने रावण पर विजय हासिल की थी.