इस साल नजर आएंगे कई क्षेत्रों में बदलाव, निरंकार सिंह का ब्लॉग
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 2, 2021 12:30 PM2021-01-02T12:30:54+5:302021-01-02T12:33:51+5:30
2021 में विज्ञान और तकनीक में नवाचारों से गांव और शहरों के बीच का अंतर कम होगा. जीवन आरामदायक बनेगा. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती होंगी. नए रोजगार विकल्प मिलेंगे तथा अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
सन् 2021 में कई नई संभावनाओं के द्वार खुलने वाले हैं. 2020 में किए गए कार्यों के नतीजे भी दिखाई देने लगेंगे. पिछले वर्ष की चुनौतियों का जिस साहस और सूझबूझ के साथ देश ने मुकाबला किया है उससे अब 2021 के लिए नई उम्मीदें जगी हैं.
कोरोना महामारी के साथ-साथ देश की सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान की घुसपैठ की कोशिशों को भी हमने नाकाम किया है. संकट के समय देश ने अपनी ताकत दिखाई है. इससे यह विश्वास बढ़ा है कि उसकी वर्तमान एवं भावी योजनाएं लक्ष्य को प्राप्त करेंगी.
2021 में विज्ञान और तकनीक में नवाचारों से गांव और शहरों के बीच का अंतर कम होगा. जीवन आरामदायक बनेगा. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती होंगी. नए रोजगार विकल्प मिलेंगे तथा अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. बीते साल में जहां सिर्फ कोविड-19 महामारी ही सबसे बड़ी चुनौती रही वहीं नए साल में भी यह हमें कसौटी पर परखेगी.
इसका गहरा प्रभाव अर्थव्यवस्था, शिक्षण एवं परिवहन के क्षेत्र पर पड़ा. बहरहाल विज्ञान व तकनीक की दुनिया में विकास बदस्तूर जारी रहा. इस बीच नए शोध व अनुसंधान का दौर शुरू हुआ जो इस नए वर्ष में भी जारी रहेगा. इनोवेशन का दायरा बढ़ा है. अंतरिक्ष विज्ञान हो अथवा मिसाइल विज्ञान, जो पूर्व नियोजित कार्यक्रम थे, वे सब पूरे हुए. हालांकि कुछ विलंब हुआ लेकिन लक्ष्य पूरा हो गया.
इस साल देश में कुछ अच्छी प्रवृत्तियां विकसित हुईं. सतत विकास लक्ष्य के 17 निर्धारित लक्ष्यों की बात करें तो उनमें से 13 का संबंध शिक्षा और साक्षरता से है. नई तकनीक से दूर बैठा बच्चा अब परंपरागत और तकनीक मिश्रित शिक्षण व्यवस्था को अपनाएगा. इससे सस्ती शिक्षा तक पहुंच आसान होगी. शोध व अनुसंधान परवान पर रहा, वहीं विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता सेहत तथा मितव्ययिता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर लोगों का ध्यान बढ़ा. नवाचारों के चलते चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा परिवर्तन आया है. अब देश में ऑनलाइन शिक्षण का दौर रहेगा.
वर्ष 2021 सही मायने में उम्मीदों का साल है. परिणाम और बदलावों का भी साल है. या यूं कहिए कि वर्ष 2020 में कोविड-19 ने जो परीक्षा ली है, वर्ष 2021 में उसका परिणाम घोषित होगा और निश्चित रूप से परिणाम बेहतर आएंगे क्योंकि हमने एक साल में वह कर दिखाया है, जिसकी आने वाले दशकों तक कल्पना नहीं की थी. दरअसल, वर्ष 2020 में कोविड-19 ने जो सबक सिखाया, उससे भारत सहित दुनियाभर की स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक ताने-बाने में जो बदलाव आया, वह इस साल साफ तौर पर नजर आएगा. एक तरह से पुरानी व्यवस्था की जगह नई व्यवस्था कायम हो जाएगी. लोगों के साथ-साथ सरकार की भी प्राथमिकताएं बदल जाएंगी.
भारत जैसे विकासशील देशों में अब तक स्वास्थ्य सेवाएं पहली प्राथमिकता नहीं रहीं, लेकिन कोविड-19 की वजह से हमने यह पूरा साल सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और बेहतर करने में बिताया है. छोटे से गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से लेकर बड़े-बड़े अनुसंधान केंद्रों ने एकजुट होकर जो काम किया, उसकी कल्पना हम कभी नहीं कर सकते थे. भारत जैसे देश में, अब तक मैन्युअल चेन सिस्टम ही सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आता रहा है. हमेशा एक अविश्वास रहता था कि पता नहीं आखिरी व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचेंगी या नहीं? मगर इस महामारी ने हमें अहसास करवाया कि यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है.
आज जब वैक्सीन लगभग तैयार है तो हमें यह सोचने की जरूरत नहीं है कि इसे गांव-गांव, घर-घर तक कैसे पहुंचाएंगे. अभी तक दो सरकारी विभागों में तालमेल बिठाना ही मुश्किल होता था, लेकिन कोविड-19 ने निर्वाचन आयोग और स्वास्थ्य विभाग को एक-साथ सोचना सिखा दिया.
मुसीबत में ही इंसान नया रास्ता खोजता है. जैसे 100 फीसदी मतदान का लक्ष्य लेकर चलने वाला निर्वाचन आयोग एक मतदाता के लिए भी मतदान केंद्र बनाता है तो वैक्सीन पहुंचाने के लिए भी उसी रास्ते का उपयोग हो सकता है. यह सब हमारे सिस्टम में मौजूद था लेकिन इससे पहले हमने कभी इसके उपयोग के बारे में नहीं सोचा था. नए साल में जब यह सिस्टम काम करेगा तो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए नया मॉडल प्रस्तुत होगा.
अब अनुसंधान केंद्रों और कंपनियों के बीच तालमेल का भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. बहुत लंबे समय से दोनों के बीच इसकी कमी महसूस की जा रही थी. कोविड-19 के दौरान दोनों ने साथ मिलकर काम किया. एक तरफ अनुसंधान चल रहा था तो दूसरी तरफ कंपनियों ने यह तैयारी कर ली कि अनुमति मिलते ही वे तुरंत बड़े पैमाने पर वैक्सीन उपलब्ध करवा सकें.वर्ष 2020 के पहले हमारे देश में पीपीई किट नहीं बनती थी लेकिन अब हम छोटी से छोटी यूनिट और जिलों में इसे तैयार कर पा रहे हैं.
वर्ष 2021 स्वास्थ्य से जुड़े विषयों में हमें आत्मनिर्भर बनाएगा. अब तीसरा सबसे बड़ा बदलाव होगा, स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में दो से तीन फीसदी बढ़ोत्तरी. हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय और उपक्रम होंगे. इससे स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हो जाएंगी.