ब्लॉग: आज के वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास का होना बेहद चिंताजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 9, 2024 10:40 AM2024-03-09T10:40:47+5:302024-03-09T10:42:07+5:30

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बौद्धिक रूप से कमजोर छह लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘यह वास्तविकता है कि लोग अपने समाधान के लिए तांत्रिक या बाबाओं के पास चले जाते हैं, जो न सिर्फ उनकी कमजोरी-अंधविश्वास का फायदा उठाते हैं बल्कि उत्पीड़न भी करते हैं।’

worrying to have superstition even in today's scientific era | ब्लॉग: आज के वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास का होना बेहद चिंताजनक

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsएक तरफ तो हमारा देश चांद और मंगल तक पहुंच रहा हैदूसरी ओर काला जादू करने के संदेह में किसी बुजुर्ग को अंगारों पर नचवाया जाता हैउत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में अंधविश्वास में एक व्यक्ति की जान चली गई

यह कितनी बड़ी विडंबना है कि एक तरफ तो हमारा देश चांद और मंगल तक पहुंच रहा है, वहीं दूसरी ओर काला जादू करने के संदेह में किसी बुजुर्ग को अंगारों पर नचवाया जाता है! ठाणे जिले में कुछ लोगों ने काला जादू करने के संदेह में 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को दंड स्वरूप जलते कोयले पर नाचने के लिए मजबूर किया, जिसमें उसके पैर और पीठ झुलस गई। हैरानी की बात तो यह है कि जब उस बुजुर्ग को जलते कोयले पर चलने के लिए मजबूर किया जा रहा था तो यह देखकर भीड़ चिल्ला रही थी और खुश हो रही थी! आखिर यह कैसी मानसिकता वाले समाज में हम जी रहे हैं जहां समाज के सारे लोग इस तरह के अंधविश्वासपूर्ण और वहशियाना कृत्य में शामिल होकर खुशी मनाएं! इस तरह की घटनाएं अपवाद स्वरूप ही होतीं तो इसे कुछ लोगों की दिमागी विकृति मान नजरंदाज किया जा सकता था, लेकिन पहले से कम होने के बावजूद अभी भी इस तरह की घटनाएं आए दिन खबरों में आती हैं जिससे चिंता पैदा होती है।

अभी ताजा खबर है कि उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में अंधविश्वास में एक व्यक्ति की जान चली गई। मृतक ने घरेलू समस्या से छुटकारा और तनाव से मुक्ति के लिए एक तांत्रिक से संपर्क किया था, जिसके बाद तांत्रिक ने युवक को घर बुलाकर चाकू से उसका गला रेत दिया। करीब दो हफ्ते पहले राजस्थान के बूंदी अस्पताल में छह माह पूर्व मरने वाले व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए उसके परिजन पूजा-पाठ कराने अस्पताल पहुंच गए थे क्योंकि एक तांत्रिक ने बताया था कि मृतक की आत्मा भटक रही है। देश के किसी न किसी हिस्से से इस तरह की घटनाएं प्राय: रोज ही पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं। 

अभी पिछले हफ्ते ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने बौद्धिक रूप से कमजोर छह लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘यह वास्तविकता है कि लोग अपने समाधान के लिए तांत्रिक या बाबाओं के पास चले जाते हैं, जो न सिर्फ उनकी कमजोरी-अंधविश्वास का फायदा उठाते हैं बल्कि उत्पीड़न भी करते हैं।’ भारत ने पिछले कुछ दशकों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो सफलता अर्जित की है वह अद्भुत है. चंद्रयान, मंगल मिशन की सफलता के बाद भारत गगनयान मिशन की तैयारियों में लगा हुआ है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की उपकक्षा तक ले जाएगा और सफलतापूर्वक वापस लाएगा। लेकिन दूसरी तरफ जब हम समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को देखते हैं तो गहरी चिंता भी होती है कि समाज में विज्ञान और अज्ञान के बीच की इस गहरी खाई को कैसे पाटा जाए! अंधविश्वास की आड़ में अगर कोई किसी को परेशान करता है तो निश्चित रूप से उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन समाज से अंधविश्वास को दूर करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि लोगों की मनोवृत्ति बदले और एक वैज्ञानिक समाज का निर्माण हो ताकि अंधविश्वास से समाज को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।

Web Title: worrying to have superstition even in today's scientific era

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