नरेंद्रकौर छाबड़ा का ब्लॉगः प्रकृति की रक्षा करेंगे तभी सुरक्षित रहेंगे
By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: June 5, 2020 12:04 PM2020-06-05T12:04:23+5:302020-06-05T12:04:23+5:30
प्रकृति ने हमारे प्रति बहुत उदारता दिखाई है. बरसात का जल बिना किसी माप के गिरता है और हम बीज बो देते हैं. अगर यही जल किसी नहर, कुएं से लेना पड़े तो कितना बिल भरना पड़ेगा! फसल को धूप चाहिए तो प्राकृतिक ऊर्जा का स्नेत सूर्य अपनी किरणों से अनाज को पकाता है.
पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. वर्ष 1972 में इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए की थी. 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था. हमारी धरती पर पिछले कुछ सालों से भूकंप, बाढ़, अकाल, सुनामी जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. प्रकृति की इन आपदाओं में जान-माल का बहुत नुकसान होता है. यह सब धरती के इको सिस्टम में आए बदलाव और तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिग के कारण हो रहा है. इन आपदाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का हमारे द्वारा अंधाधुंध इस्तेमाल करना सबसे बड़ा कारण है.
आज दूषित हो रहे पर्यावरण को देखते हुए गंभीरता से चिंतन की आवश्यकता है. संसार में मनुष्य के सुखपूर्वक जीवनयापन के लिए वनों की मात्ना 33 प्रतिशत होनी चाहिए. वर्तमान समय में कागजों पर 14 प्रतिशत वन दिखाए जा रहे हैं जबकि वास्तव में 11 प्रतिशत ही हैं. यह बेहद चिंताजनक स्थिति है. औद्योगिकीकरण के कारण दिन-ब-दिन जल दूषित होता जा रहा है. वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसों के मिलने से पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है. पर्यावरण के असंतुलन के कारण कम बारिश, बाढ़ और अकाल जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रकृति ने हमारे प्रति बहुत उदारता दिखाई है. बरसात का जल बिना किसी माप के गिरता है और हम बीज बो देते हैं. अगर यही जल किसी नहर, कुएं से लेना पड़े तो कितना बिल भरना पड़ेगा! फसल को धूप चाहिए तो प्राकृतिक ऊर्जा का स्नेत सूर्य अपनी किरणों से अनाज को पकाता है. फसल पकने पर छिलकों और दानों को अलग करने के लिए हवा का सहयोग लिया जाता है. क्या हम इन तत्वों की कोई अदायगी करते हैं? जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश जीवन के मूलभूत तत्व हैं. इन्हीं से हमारी सृष्टि और मानव का अस्तित्व है. इन घटकों के असंतुलन से पर्यावरण दूषित होता है. आज इंसान ने पांचों तत्वों को दूषित कर दिया है. अपनी जरूरतों के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई करके अपने साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी संकट पैदा कर दिया है.
हाल ही में कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है. प्रदूषण पचास फीसदी कम हो गया है. नदियों, झीलों का पानी साफ हो गया है. सड़कों पर यातायात न होने के कारण हवा भी साफ हो गई है. प्रकृति ने दिखा दिया है कि अगर हम उसे स्वच्छ नहीं रखेंगे तो वह अपने तरीके से अपनी सफाई कर सकती है. यह हमारे लिए बहुत बड़ा सबक है. भविष्य में प्रकृति इसी प्रकार साफ, स्वच्छ बनी रहे, इस पर हम सबको मिलकर कार्य करना होगा.