वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग : निरंकुशता किसी की भी ठीक नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 31, 2022 01:18 PM2022-01-31T13:18:29+5:302022-01-31T13:21:02+5:30

सुप्रीम कोर्ट को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं।

Vedpratap Vaidiks blog Autocracy is not good for anyone | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग : निरंकुशता किसी की भी ठीक नहीं

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग : निरंकुशता किसी की भी ठीक नहीं

Highlightsमहाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव ने भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया थाअपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं

सर्वोच्च न्यायालय को विधानसभा के एक अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं। 5 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव के साथ कुछ विधायकों ने काफी कहासुनी कर दी। उनका क्रोधित होना स्वाभाविक था। 

उन्होंने इन विधायकों को पूरे एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया। ये 12 विधायक भाजपा के थे। भाजपा महाराष्ट्र में विपक्षी दल है। शिवसेना गठबंधन वहां सत्तारूढ़ है। अध्यक्ष के गुस्से पर सदन ने भी ठप्पा लगा दिया। अब विधायक क्या करते? किसके पास जाएं? राज्यपाल भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री तो अध्यक्ष के साथ हैं ही। आखिरकार उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे खटखटाए।

अच्छा हुआ कि अदालत ने अपना फैसला जल्दी ही दे दिया, इन मुअत्तिल विधायकों को साल भर इंतजार नहीं करना पड़ा। अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा के सदन में उनकी उपस्थिति को बरकरार कर दिया। अपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं। वे जनता के प्रति विधानपालिका की जवाबदेही को वजनदार बनाते हैं। जजों ने कहा कि विधायकों की एक साल की मुअत्तिली उनके निष्कासन से भी ज्यादा बुरी है, क्योंकि उन्हें निकाले जाने पर नए चुनाव होते और उनकी जगह दूसरे जनप्रतिनिधि विधानसभा में जनता की आवाज बुलंद करते लेकिन यह मुअत्तिली तो जनता के प्रतिनिधित्व का अपमान है। 

इसके अलावा यदि विधायकों ने कोई अनुचित व्यवहार किया है तो उन्हें उस दिन या उस सत्न से मुअत्तिल करने का नियम जरूर है लेकिन उन्हें साल भर के लिए बाहर करने के पीछे सत्तारूढ़ दल की मंशा यह भी हो सकती है कि विरोधी पक्ष को अत्यंत अल्पसंख्यक बनाकर मनमाने कानून पास करवा लें। जहां महाराष्ट्र की तरह गठबंधन सरकार हो, वहां तो ऐसी तिकड़म की संभावना ज्यादा होती है। इस घटना में अध्यक्ष, सत्तारूढ़ और विरोधी दलों-सबके सबक लिए समुचित सबक है।

Web Title: Vedpratap Vaidiks blog Autocracy is not good for anyone

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