UP Lok Sabha Elections: 2014 में 71, 2019 में 62 और 2024 में 36, भाजपा के लिए उप्र के झटके से उबरना फिलहाल कठिन, आखिर क्या है हार की वजह

By अरविंद कुमार | Updated: June 5, 2024 12:48 IST2024-06-05T12:46:05+5:302024-06-05T12:48:02+5:30

UP Lok Sabha Elections 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ समेत विभिन्न राज्यों के सारे प्रमुख नेताओं ने पूरा श्रम किया था. उत्तर प्रदेश ने एग्जिट पोल समेत सारे आकलनों को करारा झटका दिया.

UP Lok Sabha Elections result 71 in 2014, 62 in 2019 and 36 in 2024 currently difficult BJP recover shock Uttar Pradesh blog Arvind Kumar Singh | UP Lok Sabha Elections: 2014 में 71, 2019 में 62 और 2024 में 36, भाजपा के लिए उप्र के झटके से उबरना फिलहाल कठिन, आखिर क्या है हार की वजह

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HighlightsUP Lok Sabha Elections 2024: इस बार चुनाव में भाजपा के रणनीतिकारों के सारे आकलन फेल रहे.UP Lok Sabha Elections 2024: इंडिया गठबंधन बेअसर रहेगा और 80 में से 70 सीटों पर भाजपा विजय हासिल कर लेगी.UP Lok Sabha Elections 2024: 2019 में सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती के बाद भी 62 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी.

UP Lok Sabha Elections 2024: आजादी के बाद से ही यह कहावत रही है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से जाता है. पिछले तमाम चुनावों में भाजपा को असली शक्ति देने वाले उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने इस बार जिस तरह एग्जिट पोल के आकलन को धता बताते हुए विपरीत परिणाम दिया है, उसने राजनीति की दिशा बदल दी. पिछले चुनावों में सपा-बसपा जैसा मजबूत गठबंधन भी महज 15 सीटों पर जीत सका था, जिसके 54 सीटें जीतने की संभावना थी. पिछले दो आम चुनावों में भाजपा के लिए एकतरफा माहौल रहा. 2014 में 71 सीटें भाजपा ने जीती थीं, जबकि 2019 में सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती के बाद भी 62 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. लेकिन इस बार चुनाव में भाजपा के रणनीतिकारों के सारे आकलन फेल रहे.

उनका आकलन था कि इंडिया गठबंधन बेअसर रहेगा और 80 में से 70 सीटों पर भाजपा विजय हासिल कर लेगी. बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ समेत विभिन्न राज्यों के सारे प्रमुख नेताओं ने पूरा श्रम किया था. लेकिन उत्तर प्रदेश ने एग्जिट पोल समेत सारे आकलनों को करारा झटका दिया.

सबसे अधिक हैरानी बसपा के नतीजों को लेकर हुई है जो 1989 के बाद से उत्तर प्रदेश में लगातार लोकसभा चुनावों में अपनी मौजूदगी बनाए हुए थी. पर यह साफ नजर आया कि इस बार न केवल दलित समाज बल्कि बसपा के साथ खड़े रहे अल्पसंख्यकों ने भी उसे झटका देकर सपा-कांग्रेस गठबंधन का दामन थाम लिया.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा के अप्रासंगिक होने का खतरा बन गया है. बसपा ने इस चुनाव में में 13 टिकट बदले. उस पर आम आरोप रहा कि उसने ऐसे टिकट दिए जो सपा-कांग्रेस उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाएं. मायावती के प्रतिद्वंद्वी दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने संसद में अपनी एंट्री करके माहौल बदलने का काम भी किया है.

उत्तर प्रदेश के नतीजों की आंच कायम रहेगी और लंबे समय तक सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आकलन होता रहेगा. हो सकता है कि योगी आदित्यनाथ की इसी मुद्दे पर आगे विदाई भी हो जाए. 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने जो करारा झटका दिया है, उसके चलते भाजपा के कई समीकरण बिगड़ गए हैं. इससे उबर पाना सहज नहीं है.

इस चुनाव में अन्य कारणों के साथ ग्रामीण इलाकों की चुनौती भी उल्लेखनीय है. भाजपा को 2014 में गांवों से ताकत मिली थी और 178 सीटें उसे ग्रामीण क्षेत्रों से मिली थीं. 2019 में इसमें 20 सीटों का इजाफा हुआ. इसी कारण 2014 में भाजपा ने 282 सीटें जीतीं, जो 2019 में 303 हो गई थीं. पर 2024 में ग्रामीण इलाकों में दलित, अति पिछड़े और वंचित मतदाताओं ने संविधान और दूसरे सवालों पर भी वोट किया.

गांव और किसान के मुद्दे बहुत प्रमुखता से इस चुनाव में उभरे जिससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के चुनाव के ठीक पहले किसान सम्मान निधि आरंभ करके किसानों में पैठ का प्रयास किया था, जिसका भाजपा को राजनीतिक लाभ मिला. पर अब एक नई चुनौती सामने खड़ी है.

Web Title: UP Lok Sabha Elections result 71 in 2014, 62 in 2019 and 36 in 2024 currently difficult BJP recover shock Uttar Pradesh blog Arvind Kumar Singh

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