Tirupati Temple Prasad Row: आस्था को तो राजनीति से बख्श दीजिए!

By विजय दर्डा | Published: September 23, 2024 05:13 AM2024-09-23T05:13:37+5:302024-09-23T05:13:37+5:30

Tirupati Temple Prasad Row: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लगाया है इसलिए इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. मेरा मानना है कि आस्था के मामले पर राजनीति ठीक नहीं है.

Tirupati Temple Prasad Row Please spare faith from politics blog Dr Vijay Darda Income of Rs 500 to 600 crores | Tirupati Temple Prasad Row: आस्था को तो राजनीति से बख्श दीजिए!

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HighlightsTirupati Temple Prasad Row:  तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन करीब साढ़े तीन लाख लड्डू बनाए जाते हैं.Tirupati Temple Prasad Row: ये लड्डू कहीं और नहीं बल्कि मंदिर के रसोईघर में ही तैयार किया जाता है. Tirupati Temple Prasad Row: हर साल इससे करीब 500 से 600 करोड़ रुपए की आय भी होती है.

Tirupati Temple Prasad Row: पूरी दुनिया में मशहूर आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में  मिलने वाले लड्डू में चर्बी मिले होने के आरोपों से हड़कंप मचा हुआ है. तिरुपति मंदिर में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति हैरत में है कि क्या यह संभव है कि प्रसाद के रूप में बांटे जा रहे लड्डू में चर्बी का इस्तेमाल हो रहा हो और किसी को पता न चले? मगर आरोप चूंकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लगाया है इसलिए इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. मेरा मानना है कि आस्था के मामले पर राजनीति ठीक नहीं है.

तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन करीब साढ़े तीन लाख लड्डू बनाए जाते हैं और ये लड्डू कहीं और नहीं बल्कि मंदिर के रसोईघर में ही तैयार किया जाता है. इस रसोईघर को पोटू कहा जाता है. प्रसाद के रूप में लड्डू बांटने की परंपरा करीब 300 साल से चली आ रही है. हर साल इससे करीब 500 से 600 करोड़ रुपए की आय भी होती है.

मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी व्यक्ति ने यह आरोप लगाया हो कि लड्डू निर्माण में चर्बी का उपयोग किया गया. नायडू ने आरोप लगाया कि ‘पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू को बनाने में शुद्ध घी की बजाय जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था. पिछले पांच सालों में वाईएसआर ने तिरुमला की पवित्रता को अपवित्र कर दिया है.’

लगे हाथ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार में पवित्र लड्डू बनाए जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि वाईएसआर के ताल्लुकात क्रिश्चियन धर्म से हैं. स्वाभाविक रूप से इस पर तत्काल बवाल मच गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने तत्काल मुख्यमंत्री नायडू से बात की और कहा कि वे सभी पक्षों से इस संबंध में जानकारी इकट्ठा करेंगे.

महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस रिपोर्ट को आधार बनाकर सोशल मीडिया पर हल्ला मचा, उस रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि वह रिपोर्ट तिरुपति बालाजी मंदिर में निर्मित लड्डू के संबंध में है. रिपोर्ट का पहला पन्ना तिरुमला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी के एक अधिकारी को संबोधित है जबकि जिस पन्ने पर कथित रिपोर्ट है उसमें टीटीडी का कोई जिक्र नहीं है.

जाहिर सी बात है कि ऐसी किसी रिपोर्ट की वैधानिकता को लेकर सवाल उठेंगे ही जब तक कि स्पष्ट रिपोर्ट सामने न हो! नायडू के आरोप के तत्काल बाद वाईएसआर नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने आरोप मढ़ दिया कि चंद्रबाबू नायडू को अपनी राजनीति चमकाने के लिए भगवान का इस्तेमाल करने की आदत है.

लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट के आरोप चंद्रबाबू के 100 दिनों की अपनी सरकार की असफलता को छिपाने   के लिए लगाए गए हैं. वाईएसआर नेता और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन वाई वी सुब्बा रेड्डी भी मैदान में कूदे और उन्होंने कहा कि नायडू ने तिरुमला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया है.

इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है. इधर आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिला रेड्डी ने इस मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर इस सारे मामले की जांच सीबीआई से करवाने का आग्रह किया है. उन्होंने लिखा है कि ऐसे संवेदनशील मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

पार्लियामेंट की कमेटी के सदस्य के रूप में मैंने तिरुमला में कामकाज का जायजा लिया है. वहां का रसोईघर बहुत स्तरीय और पवित्र है. वहां देवस्थानम प्रांगण में ही टीटीडी की स्वयं की एक लेबोरेटरी है जहां प्रसाद निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री की जांच होती है. प्रसाद का हर रोज प्रमाणीकरण होता है उसके बाद ही उसे भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.

ऐसी पुख्ता व्यवस्था के बीच क्या किसी को भनक नहीं लगती कि जो घी इस्तेमाल हो रहा है उसकी गुणवत्ता क्या है? जब मैं यह आलेख लिख रहा हूं तब सोशल मीडिया पर यह हल्ला मच गया कि एक खास ब्रांड का घी उसमें इस्तेमाल किया जाता था जबकि हकीकत यह है कि उस ब्रांड का घी कभी वहां इस्तेमाल ही नहीं किया गया.

इसका जिक्र मैं इसलिए कर रहा हूं ताकि आप यह समझ सकें कि अपुष्ट जानकारियों के कारण किस तरह से कुछ लोग अफवाहों को हवा देने में कामयाब हो जाते हैं. वैसे कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अफवाह की हवा भी निकालते हैं. बालाजी के एक भक्त ने मेरे ध्यान में एक और बात लाई है.

नायडू सरकार ने 14 जून को श्यामला राव को देवस्थानम का एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बनाया और 21 जून को उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीर जारी की जिस पर लिखा था- ‘शुद्ध घी से बने लड्डू ट्राई किए?’
मुझे लगता है कि लोगों की आस्था पर हमला बहुत आसान होता है लेकिन वह तीर बहुत गहरा जाता है. उसी को यहां खेला गया है. यह बहुत दुर्भाग्यजनक है.

प्रामाणिक लेबोरेटरी से पहले परीक्षण कराना चाहिए था. उसके बाद कोई टिप्पणी की जानी चाहिए थी. सरकार के लिए यह करना कठिन काम नहीं था लेकिन बगैर प्रामाणिक जांच के उसको हवा देना ठीक नहीं है. यह देश को कमजोर करने का काम है.

धर्म, जाति, भाषा और रंग के आधार पर राजनीति ठीक नहीं है. अब तो भगवान का प्रसाद भी राजनीति की चपेट में आ गया है. हे ईश्वर! ऐसी राजनीति को माफ कर देना. हो सके तो इन्हें थोड़ी सद्‌बुद्धि भी देना. कम से कम भगवान को तो बख्श दें..!

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