नरेंद्रकौर छाबड़ा का ब्लॉग: रेडक्रॉस के जनक श्री गुरु गोविंद सिंहजी

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: January 13, 2019 05:55 PM2019-01-13T17:55:36+5:302019-01-13T17:55:36+5:30

मुहम्मद लतीफ लिखते हैं- ‘श्री गुरुगोबिंद सिंहजी का आदर्श उच्च था और उन्होंने जिस कार्य में हाथ डाला वह महान था। उन्हीं की कृपा है कि मुर्दा और पिसे हुए लोग जत्थेबंद हुए।

The Saint - Soldier Guru Gobind Singh, Founder of Red Cross | नरेंद्रकौर छाबड़ा का ब्लॉग: रेडक्रॉस के जनक श्री गुरु गोविंद सिंहजी

नरेंद्रकौर छाबड़ा का ब्लॉग: रेडक्रॉस के जनक श्री गुरु गोविंद सिंहजी

भारत की पुण्यभूमि पर कितने ही महापुरुषों ने जन्म लिया तथा देश के गौरव को बढ़ाया किंतु जो गौरव श्री गुरुगोबिंद सिंहजी ने भारत को दिया, वह कहीं और दृष्टिगोचर नहीं होता। केवल 42 वर्ष की जीवन यात्र में अपने सर्वपक्षीय व्यक्तित्व द्वारा मानवता के हित के लिए जो अनुपम कार्य किए, उनके समक्ष महान चिंतक भी नतमस्तक हो जाते हैं। कुछ प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा गुरुजी के बारे में कहे गए कथन उल्लेखनीय हैं-

मुहम्मद लतीफ लिखते हैं- ‘श्री गुरुगोबिंद सिंहजी का आदर्श उच्च था और उन्होंने जिस कार्य में हाथ डाला वह महान था। उन्हीं की कृपा है कि मुर्दा और पिसे हुए लोग जत्थेबंद हुए। उन्हीं पिसे हुए लोगों ने अंतत: राजनीतिक प्रतिभा और स्वतंत्रता प्राप्त की। खतरे और तबाही के बीच भी गुरुजी ने इस्तकबाल का पल्लू नहीं छोड़ा। रणभूमि में उनकी वीरता एवं साहस दर्शनीय थे। उन्हीं की कृपा से ही बेजान लोग एक कड़ी में पिरोए गए और योद्धा बने।’ साधु टी।एल। वासवानी लिखते हैं- ‘गुरुजी ने परमात्मा के नाम पर कुल (परिवार) तथा जनसाधारण की सेवा में अपना सब कुछ त्याग दिया। इसी में उनको असली आनंद प्राप्ति हुई।’

गुरुजी वीर योद्धा होने के साथ ही उच्च कोटि के कवि भी थे। पंजाबी साहित्य के भूषण भाई वीर सिंहजी के शब्दों में- ‘आप न केवल उच्च  कोटि के कवि थे, बल्कि विद्या तथा विद्वानों के सिरमौर थे।’ डॉ। गोकुलचंद नारंग ने लिखा है - ‘आपकी रचनाएं साहित्य तथा कवित्व से बहुत ऊंची हैं। इसके अनेक अंश हिंदी की वर्णात्मक तथा वीरगाथा की कविताओं में सवरेत्तम स्थान पाने योग्य हैं।’

श्री गुरुगोबिंद सिंहजी को अपने जीवन काल में जुल्म के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़नी पड़ीं। जिस वक्त औरंगजेब और पहाड़ी राजाओं की सम्मिलित सेना ने आनंदपुर साहिब को घेर लिया ताकि गुरुजी व उनकी फौज तंग आकर आत्मसमर्पण कर दें, तब गुरुजी ने अपनी फौज को छोटी-छोटी गोरिल्ला लड़ाई लड़ने की तरकीब दी। उस वक्त गुरुजी के पास उनका एक शिष्य भाई कन्हैया जी रहते थे, जो सभी सिखों की सेवा पानी से करते थे। वे अपनी ‘मश्क’ कंधे पर डाल सेना के जख्मी सिपाहियों को पानी पिलाने की सेवा करने लगे। एक सिपाही ने देखा कि वे जख्मी तुर्क सिपाहियों को भी बगैर भेदभाव के पानी पिला रहे हैं, तो उसने गुरुजी से शिकायत कर दी। जब गुरुजी ने पूछा तो कन्हैयाजी हाथ जोड़कर बोले- मैं जिसको भी पानी पिलाता हूं, सब में आपका रूप नजर आता है, कोई दुश्मन नजर नहीं आता। 

तब गुरुजी ने कहा- भाई कन्हैयाजी आपने सिक्खी जीवन पूर्ण रूप से समझा है। उन्होंेने कन्हैयाजी को मलहम देते हुए कहा, जहां जख्मी सिपाहियों को पानी पिलाते हो, वहीं उनके जख्मों पर मलहम भी लगाया करो। हमारे लिए सब समान हैं। हमारी लड़ाई जुल्म के खिलाफ है, किसी मजहब के खिलाफ नहीं। इस प्रकार गुरुजी ने रेडक्रॉस की नींव रखी। प्राय: रेडक्रॉस का प्रादुर्भाव अंग्रेजों से संबंधित माना जाता है। इस संस्था के उद्देश्य में किसी पीड़ित तथा जख्मी व्यक्ति की बगैर जातिगत भेदभाव या ऊंच-नीच का ख्याल किए सेवा करना शामिल है। मगर गुरुजी ने तो तीन सौ वर्ष पहले ही यह भावना प्रचलित की थी। अत: रेडक्रॉस के जनक श्री गुरुगोबिंद सिंहजी ही थे। आज उनके जन्म दिवस पर उन्हें कोटिश: नमन।

Web Title: The Saint - Soldier Guru Gobind Singh, Founder of Red Cross

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