प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: घाटी में घट रहे हैं पत्थरबाज

By प्रमोद भार्गव | Published: July 24, 2019 07:00 AM2019-07-24T07:00:49+5:302019-07-24T07:00:49+5:30

जम्मू-कश्मीर में सख्ती के चलते हालात तेजी से सुधर रहे हैं. आम जन-जीवन सामान्य हो रहा है और पत्थरबाजी की घटनाएं अप्रत्याशित ढंग से घट रही हैं. 2016 में जहां पत्थरबाजी की 2653 घटनाएं हुईं, वहीं 2019 के बीते छह महीनों में दर्जनभर वरदातें ही सामने आई हैं.

stone pelting reduced in kashmir | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: घाटी में घट रहे हैं पत्थरबाज

प्रतीकात्मक तस्वीर

देश के बदले राजनीतिक माहौल और जम्मू-कश्मीर पर नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह की सख्ती के चलते आतंकवाद, अलगाववाद व पत्थरबाजों पर शिकंजा कसा है. नतीजतन घाटी की आबोहवा बदली-बदली नजर आ रही है. गृह मंत्रलय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2016 में सेना पर पत्थर बरसाने वाले किशोर व युवाओं की संख्या ढाई हजार से ज्यादा थी, वहीं अब 2019 में घटकर कुछ दर्जनों में ही सिमट गई है. यह सरकार की कठोर रणनीति और सैन्यबलों की सख्त कार्रवाई की वजह से है. 

घाटी में तुलसीदास की कहावत ‘भय बिन होय न प्रीत’ चरितार्थ होती दिख रही है. घाटी में शांति है. डल झील की नौकाओं में पर्यटक ठहरने लगे हैं. अलगाववादियों पर नकेल कसने का आलम यह है कि वे अब जमीन से जुड़े रहने के लिए दुकानों के उद्घाटन का फीता काट रहे हैं और ऑल इंडिया हुर्रियत क्रॉन्फ्रेंस के नेता विस्थापित कश्मीरी पंडितों से मिलकर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. हुर्रियत ने पहली बार सरकार के साथ बातचीत की खुद पहल की है. पिछले महीने जब अमित शाह कश्मीर गए थे, तब यह भी 1987 के बाद पहली बार देखने में आया था कि किसी गृह मंत्री के कश्मीर पहुंचने पर घाटी में बंद का ऐलान नहीं किया गया. यह बदलाव कश्मीर में कयामत बरपा रहे नेताओं पर एनआईए द्वारा कसे गए शिकंजे से आया है. 

जम्मू-कश्मीर में सख्ती के चलते हालात तेजी से सुधर रहे हैं. आम जन-जीवन सामान्य हो रहा है और पत्थरबाजी की घटनाएं अप्रत्याशित ढंग से घट रही हैं. 2016 में जहां पत्थरबाजी की 2653 घटनाएं हुईं, वहीं 2019 के बीते छह महीनों में दर्जनभर वरदातें ही सामने आई हैं. इन मामलों में शरारती तत्वों की गिरफ्तारियां भी 10,571 से घटकर 100 के आंकड़े के इर्द-गिर्द सिमट गई हैं. 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में आतंक और पत्थरबाजी के साथ उथल-पुथल का लंबा दौर चला था. 19 जून 2018 को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद घाटी में आतंक लगातार काबू में आ रहा है और सुरक्षा की स्थिति सुधर रही है.

Web Title: stone pelting reduced in kashmir

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