यही सच तो शशि थरूर भी कहते रहे हैं

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 22, 2025 06:57 AM2025-01-22T06:57:50+5:302025-01-22T06:57:52+5:30

किसी ने ठीक ही कहा है कि ब्रिटेन को तो भूलने की आदत है इसलिए उसने दुनिया पर जो जुल्म किए उसे वह भूल गया है.

Shashi Tharoor has also been saying the same truth | यही सच तो शशि थरूर भी कहते रहे हैं

यही सच तो शशि थरूर भी कहते रहे हैं

दावोस में विश्व आर्थिक मंच के ठीक पहले ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट की बड़ी चर्चा हो रही है जिसमें कहा गया है कि सन्‌ 1765 से सन्‌ 1900 के बीच ब्रिटेन ने गुलाम भारत से 64 हजार 820 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि निकाली. महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें से 33 हजार 899 अरब अमेरिकी डॉलर ब्रिटेन के 10 प्रतिशत अमीरों की झोली में गया. इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन की हुकूमत के दौरान भारत का टेक्सटाइल उद्योग तहस-नहस हो गया.

1950 में भारत का वैश्विक औद्योगिक उत्पादन करीब 25 प्रतिशत था जो बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में केवल 2 फीसदी रह गया. विश्व आर्थिक मंच पर इस रिपोर्ट की कोई चर्चा होगी, ऐसी उम्मीद करना बेकार है क्योंकि जो कुछ भी इस रिपोर्ट में कहा गया है, वह सच पहले भी सामने आ चुका है.

शशि थरूर ने कोई 9 साल पहले ऑक्सफोर्ड के डिबेट में ब्रिटेन की कलई खोलकर रख दी थी कि किस तरह उसने अपने फायदे के लिए भारत को नेस्तनाबूद कर दिया. थरूर ने कहा था कि जब ब्रिटेन भारत में घुसा तब विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत थी और जब वह गया तो यह आंकड़ा कम होकर 4 प्रतिशत से भी कम रह गया था. उस वक्त का यदि आकलन करें तो ब्रिटेन ने जो उन्नति की वह भारत को लूट कर की गई उन्नति थी.

भारत का शासन ब्रिटेन की उन्नति के लिए चलाया जा रहा था. इतिहास पर नजर डालते हुए क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि जब ब्रिटेन का कपड़ा उद्योग तेजी से उन्नति कर रहा था तब भारत का कपड़ा उद्योग डूब रहा था. भारत की कपड़ा मिलें नष्ट हो गईं और ब्रिटेन की कपड़ा मिलें पैसा उगलने लगीं. जो भारत कपड़े का निर्यातक हुआ करता था, वह आयातक बन गया.

ढाका का मलमल पूरी दुनिया में मशहूर था लेकिन अंग्रेजों ने उसे खत्म कर दिया. ये तो केवल एक क्षेत्र है. हर क्षेत्र में अंग्रेजों ने भारत को लूटा. शशि थरूर ने जब ऑक्सफोर्ड डिबेट के दौरान पूरी प्रामाणिकता के आधार पर तथ्यों को पेश किया तो अंग्रेजों की चूं नहीं निकली. उनके सामने शर्मिंदगी से सिर झुका लेने के अलावा कोई चारा नहीं था. यह तो सर्वविदित है कि ब्रिटेन कभी भी इसकी भरपाई नहीं करेगा और हमें इसकी जरूरत भी नहीं है क्योंकि अपनी क्षमताओं की बदौलत हमने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है.

लेकिन यह सवाल तो उठ ही सकता है कि इतिहास में की गई गलतियों के लिए क्या ब्रिटेन को माफी नहीं मांगनी चाहिए? इतनी बड़ी धनराशि लौटाने की उसकी अब औकात नहीं रही तो कम से कम हर्जाने के रूप में एक रुपए तो भारत को दे और शर्मिंदगी जाहिर करे. गुलाम भारत के लोगों का जिस तरह उसने कत्लेआम किया, उसके लिए तो उसे बार-बार माफी मांगनी ही चाहिए. और सबसे बड़ी बात कि कोहिनूर जैसी हमारी धरोहर जो वह लूट कर ले गया, कम से कम उसे तो भारत को लौटा ही देना चाहिए.

लेकिन ऐसी उम्मीद करना भी किसी काम का नहीं है. मौजूदा ब्रिटेन की रगों में भी तो वही खून दौड़ रहा है जो उसके पूर्वजों की रगों में दौड़ रहा था. किसी ने ठीक ही कहा है कि ब्रिटेन को तो भूलने की आदत है इसलिए उसने दुनिया पर जो जुल्म किए उसे वह भूल गया है. कम से कम हम भारतीयों को वो जुल्म भूलना नहीं चाहिए. जुल्म की कहानियां याद रहेंगी तो फिर कोई हमें गुलाम नहीं बना पाएगा.

Web Title: Shashi Tharoor has also been saying the same truth

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे