शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः अंतरिक्ष में बड़ी छलांग की ओर बढ़ता देश

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 27, 2019 06:32 AM2019-09-27T06:32:34+5:302019-09-27T06:32:34+5:30

अब तक तीन भारतीय अंतरिक्ष में जा चुके हैं. इसमें वर्ष 1984 में राकेश शर्मा सोवियत रूस की मदद से अंतरिक्ष में गए थे. इसके अलावा भारत की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने भी भारत का नाम इस क्षेत्र में रोशन किया है.

Shashank Dwivedi's Blog: A Country Leading to a Big Leap in Space | शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः अंतरिक्ष में बड़ी छलांग की ओर बढ़ता देश

शशांक द्विवेदी का ब्लॉगः अंतरिक्ष में बड़ी छलांग की ओर बढ़ता देश

चंद्रयान-1, मंगल यान और चंद्रयान 2 की  कामयाबी के बाद भारत की निगाहें अब आउटर स्पेस पर हैं. इसरो ग्रहों की तलाश के लिए कई मिशन भेजने की योजना बना रहा है, जिसमें मानव मिशन भी शामिल है. पिछले दिनों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि देश दिसंबर 2021 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की इसरो की योजना बेशक पूरी नहीं हो सकी हो लेकिन इसका गगनयान मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफलता पाई है. अब तक तीन भारतीय अंतरिक्ष में जा चुके हैं. इसमें वर्ष 1984 में राकेश शर्मा सोवियत रूस की मदद से अंतरिक्ष में गए थे. इसके अलावा भारत की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने भी भारत का नाम इस क्षेत्र में रोशन किया है.

इसरो की योजना के मुताबिक 7 टन भार, 7 मीटर ऊंचे और करीब 4 मीटर व्यास की गोलाई वाले गगनयान को जीएसएलवी (एमके-3) राकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रक्षेपित करने के 16 से 20 मिनट में यह कक्षा में पहुंच जाएगा. इसको धरती की सतह से 300-400 किमी की दूरी वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को व्योमनट्स नाम देगा क्योंकि संस्कृत में व्योम का अर्थ अंतरिक्ष होता है.

इसरो के फ्यूचर प्रोग्राम के तहत जीएसएलवी मार्क-3 नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च वेहिकल चार टन के अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजने में सक्षम होगा. इसका मकसद दो या तीन अंतरिक्ष यात्रियों समेत यानी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की दिशा में कामयाबी हासिल करना है. अगले कुछ सालों में इसे अंजाम देने के मकसद से इस मिशन के लिए 12.4 अरब की रकम का आवंटन किया गया था. इस अभियान के संदर्भ में इसरो के समक्ष तीन बड़ी तकनीकी चुनौतियां हैं. इसके दायरे में पर्यावरण नियंत्रण, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, क्रू इस्केप सिस्टम और फ्लाइट सूट व मौजूदा गतिविधियों को सफल तरीके से संचालित करना बड़ी चुनौती है.

इसरो अध्यक्ष के अनुसार दिसंबर 2020 तक हमारे पास मानव अंतरिक्ष विमान का पहला मानव रहित मिशन होगा. हमने दूसरे मानव रहित अंतरिक्ष विमान का लक्ष्य जुलाई 2021 तक रखा है. इसके बाद दिसंबर 2021 तक पहला भारतीय हमारे अपने रॉकेट द्वारा ले जाया जाएगा. देश के लिए गगनयान मिशन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ावा देगा.

Web Title: Shashank Dwivedi's Blog: A Country Leading to a Big Leap in Space

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