ब्लॉग: चिंता का विषय बनती जा रही हाथियों की तेजी से घटती संख्या
By योगेश कुमार गोयल | Published: August 12, 2023 11:01 AM2023-08-12T11:01:09+5:302023-08-12T11:09:15+5:30
बता दें कि देश के कोने-कोने में वन विभाग के साथ वाइल्डलाइफ एसओएस पीड़ित और गैरकानूनी रूप से बंधक हाथियों को मुक्त कराने के लिए अभियान चलाते हैं और कई जगहों पर हाथी संरक्षण केन्द्र भी चलाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली: चिंता का विषय यह है कि पिछले कुछ ही वर्षों में दुनियाभर में हाथियों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक चिंता का कारण है. इसी कारण हाथियों की लुप्त होती संख्या और उसके कारणों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने, हाथियों के संरक्षण के उपायों, पुनर्वास और बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता लाने तथा हाथियों की गैरकानूनी तस्करी रोकने के लिए प्रयासों को तेज करने के लिए साल में एक दिन निर्धारित करने की जरूरत महसूस की गई.
बता दें कि दुनिया में हाथियों के प्रति जागरूकता पैदा करने और उनके संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहली बार 12 अगस्त 2012 को ‘विश्व हाथी दिवस’ मनाया गया था.
हाथियों के मारने या नुकसान पहुंचाने पर क्या सजा है
हालांकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में हाथियों को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है तथा हाथी को मारना या नुकसान पहुंचाना कानून के तहत अपराध है और ऐसा करने पर आरोपियों को इस कानून के तहत हाथियों की हत्या पर 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है और कोई व्यक्ति यदि यही कृत्य दोबारा करता है तो उसे 7 साल तक की सजा हो सकती है लेकिन इसके बावजूद बीते कुछ दशकों में देश में हाथियों की संख्या में बड़ी तेजी से गिरावट आई है.
लाखों से हजारों की संख्या में हो गए देश में हाथी
मुगलकाल के दौरान मारवाड़, चंदेरी, सतवास, बीजागढ़, पन्ना इत्यादि मध्य भारत के कई हिस्सों सहित पूरे भारत में बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते थे किंतु अब देश में हाथियों की कुल संख्या कुछ हजारों में ही सिमटकर रह गई है. माना जाता है कि कुछ वर्षों पहले भारत में हाथियों की संख्या 10 लाख तक थी लेकिन अब यह भारी गिरावट के साथ 27 हजार से भी कम रह जाने का अनुमान है.
देश में आखिरी बार हाथियों की गिनती 2017 में हुई थी और प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा 2017 की उस गणना के अनुसार उस समय भारत में हाथियों की कुल संख्या 29964 थी लेकिन साल दर साल इस संख्या में और कमी आने का अनुमान है, जिस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
हाथियों को बचाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं
देश के कोने-कोने में वन विभाग के साथ वाइल्डलाइफ एसओएस पीड़ित और गैरकानूनी रूप से बंधक हाथियों को मुक्त कराने के लिए अभियान चलाते हैं और कई जगहों पर हाथी संरक्षण केन्द्र भी चलाए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद हाथियों की तेजी से घटती संख्या गहन चिंतन का विषय है. बहरहाल, हाथी को चूंकि राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया जा चुका है.
ऐसे में हाथियों का संरक्षण करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है. अवैध शिकार में वृद्धि, अवैध वन्यजीव व्यापार, निवास स्थान की हानि, मानव-हाथी संघर्ष और कैद में दुर्व्यवहार अफ्रीकी और एशियाई दोनों ही हाथियों के अस्तित्व के लिए बड़े खतरे हैं.